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ब्लड कैंसर (Blood cancer)होने पर करें ये रामबाण उपाय
ब्लड कैंसर (Blood cancer)की समस्या-

कैंसर(Blood cancer) का नाम सुनते ही डर लगने लगता है। इस बीमारी का खौफ हर किसी के मन में बैठा हुआ है यह शरीर के किसी अंग की कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि कैंसर का कारण बनती है। वैसे तो शरीर में कोशि‍काएं जरूरत के हिसाब से विभाजित होती रहती है। लेकिन जब यह लगातार वृद्धि करती हैं तो कैंसर का रूप ले लेती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो कोशिकाओं का यह असामान्य विकास कैंसर कहलाता है। ये कोशिकाएं जब कई गुना बढ़ जाती हैं तो वे कैंसर कोशिकाओं का एक समूह बन जाती हैं। यह समूह ट्यूमर कहलाता है।

आसपास के ऊतकों पर ये ट्यूमर हमला करते हैं और उन्हें नष्ट करते हैं। कैंसरस (कैंसर वाले) और नॉन कैंसरस (बिना कैंसर वाले) दोनों तरह के ट्यूमर हो सकते हैं। कैंसरस कोशिका एक जगह से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल सकती है। जबकि नॉन कैंसरस में ऐसा नहीं होता है। ब्लड कैंसर रक्त कोशिकाओं का कैंसर कहा जाता है। ब्लड कैंसर में, अस्थि मज्जा बड़ी संख्या में असामान्य सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है, जिन्हें ब्लड कैंसर कोशिका कहा जाता है। ये कोशिकाएं सामान्य सफेद रक्त कोशिकाओं के रूप में कार्य नहीं करती हैं। वे सामान्य कोशिकाओं की तुलना में तेज़ी से बढ़ते हैं, उनका विकास बंद नहीं होता है और सामान्य कोशिकाओं के लिए हानिकारक साबित होता है। ब्लड कैंसर के लिए पारिवारिक इतिहास (अनुवांशिकता) एक अन्य जोखिम कारक है।

आज की अनियमित और बदलती लाइफस्टाइल और गलत खान-पान की वजह से लोगों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है, ब्लड कैंसर भी इसमें से एक है जिसे ल्यूकीमिया भी कहते है। ब्लड कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्तियों को हो सकता है लेकिन 30 साल के बाद इसके होने का खतरा अधिक होता है।

ल्यूकीमिया होने पर कैंसर के सेल्स शरीर में खून बनने नहीं देते हैं। और फिर इंसान को खून की कमी होने लगती है साथ ही ल्यूकीमिया खून के साथ-साथ अस्थि मज्जा पर भी हमला कर देता है। ब्लड न बनने की वजह से इंसान मृत्यु तक हो जाती है। शुरुआत के चरण में रक्त कैंसर की पहचान करना मुश्किल हो सकता है। जब तक कैंसर एक उन्नत उम्र तक नहीं पहुंचता, तब तक कोई संकेत या लक्षण नहीं हो सकता है। अन्य समय में, कैंसर के लक्षण अन्य बीमारियों जैसे कि फ्लू के लिए गलत हो सकते हैं।

ल्यूकेमिया, मल्टीपल मायलोमा और लिम्फोमा रक्त कैंसर के तीन अलग-अलग रूप हैं।

ल्यूकेमिया- यह ब्लड कैंसर का मुख्य प्रकार है, जिसमें वाइट ब्लड सेल्स की मात्रा रेड ब्लड सेल्स की तुलना में काफी अधिक हो जाती है। इस ब्लड कैंसर की शुरूआत धीरे-धीरे होती है और कुछ समय के बाद यह काफी घातक रूप ले लेता है।
ल्यूमफोमा- जब किसी व्यक्ति के शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं का विकास असामान्य तरीके से हो जाता है, तो उस स्थिति को ल्यूमफोमा कहा जाता है।
माइलोमा- माइलोमा कैंसर से तात्पर्य ऐसे कैंसर से है, जिसमें प्लासमा झिल्ली प्रभावित होती है और इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की इम्युनिटी पॉवर कम हो जाती है। इस कैंसर की वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती है
ब्लड कैंसर के लक्षण-

  • लसिका ग्रन्थियों का बढ़ना- लसिका ग्रन्थियों में परिवर्तन होना अथवा सुजन आना भी ब्लड कैंसर का संकेत हो सकता है।
  • गले में सूजन- ब्लड कैंसर होने पर गले या अंडरआर्म्स में हल्का दर्द और सूजन आ जाती है। इसके अलावा अगर आपके पैरों में लगातार सूजन और सीने में जलन रहती है तो अपने शरीर की जाँच जरुर करवाएं।
  • शरीर पर निशान पड़ना- खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाना और इन प्लेटलेट्स की संख्या कम होने के कारण त्वचा के नीचे छोटी रक्त वाहिकाएं टूट जाती हैं जिसकी वजह से शरीर पर नीले या बैगनी कलर के निशान पड़ जाते हैं। जो ब्लड कैंसर का लक्षण है।
  • खून निकलना- अगर आपके मुंह से खांसते वक्त, नाक से या शौच के दौरान खून निकल रहा है तो यह ब्लड कैंसर का लक्षण है अपनी ब्लड कैंसर की जांच अवश्य करवाएं।
  • एनीमिया और बुखार- ब्लड कैंसर के शुरुआती स्टेज में आपको खून की कमी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। हर वक्त थकान रहना, कमजोरी या हल्का-सा बुखार भी ब्लड कैंसर का लक्षण होता है।
  • थकावट होना - ब्लड कैंसर होने से शरीर में हीमोग्लोबिन की संख्या तेजी से कम होने लगती है। शरीर के सभी अंगो तक ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं पहुंचती है जिसके कारण शरीर के सभी अंग काम करना बंद कर देते है और थकावट महसूस होने लगती है।
  • अचानक वजन का घटना- जिन लोगों को ब्लड कैंसर होता है उनका वजन असामान्य रूप से कम होने लगता है। अगर बिना किसी प्रयास के शरीर का वजन अधिक कम हो जाए। तो यह ब्लड कैंसर लक्षण हो सकता है।
  • हड्डियों और जोड़ों में दर्द- ब्लड कैंसर अस्थि मज्जा में होने वाला रोग है, जोकि हड्डियों और जोड़ों के आसपास ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। जिससे इनमें दर्द होता है।
  • पेट की समस्याएं- असामान्य सफेद रक्त कोशिकाएं लिवर में जमा होने से इकट्ठी हो जाती हैं जिससे पेट में सूजन और अन्य समस्याएं हो जाती है।और भूख कम लगती है या थोडा सा खाने पर भी पेट भरा-भरा लगने लगता है
  • उल्टी होना- ब्लड कैंसर की वजह से लीवर में उत्पन्न हुए विकार के कारण उल्टी होने लगती है। और उल्टी में खून आता है। यह ब्लड कैंसर का लक्षण होता हैं।
  • सांस जल्दी-जल्दी लेना- खून की कमी और वाइट ब्लड सेल्स की कमी के कारण फेफड़ों और खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जिसके कारण ब्लड कैंसर से पीड़ित व्यक्ति जल्दी-जल्दी सांस लेता है।
    ब्लड कैंसर से बचाव के उपाय-
  • अधिक से अधिक पत्तेदार सब्जियाँ, चना और फलों का सेवन करें। सब्जियों और फलों में फाइबर अधिक होता है जो बिमारियों से लड़ने की ताकत देता है। यह कई प्रकार के कैंसर से लड़ने में सहायक होता है। फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, एवोकाडो, गाजर जैसे फल और सब्जियाँ सेवन जरुर करें।
  • आप खाने के लिए जो तेल उपयोग कर रहे है वह स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है। सरसों का तेल या फिर नारियल तेल का इस्तेमाल भोजन पकाने में करें।
  • जहाँ तक संभव हो खाना बनाने में इलेक्ट्रॉनिक चीजों का उपयोग कम-से कम करें।
  • व्यायाम जरुर करें। अनुलोम-विलोम प्राणायाम प्रतिदिन अवश्य करें।
    घरेलू उपचार-
    लाल मिर्च- ब्लड कैंसर के रोगी को लाल मिर्च का सेवन चटनी बनाकर जरुर करना चाहिए।क्योंकि लाल मिर्च में मौजूद विटामिन-सी और एंटी-ऑक्सीडेंट कैंसर रोधी कोशिकाओं को बढने से रोकता है।
    हल्दी- हल्दी बहुत ही गुणकारी चीज है और हल्दी में कई बिमारियों को ठीक कर सकता है। हल्दी का सेवन खाने में या दूध में मिलाकर करने से हल्दी में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते है जिसके कारण स्वस्थ कोशिकाएं ज्यादा विकसित होती है और कैंसररोधी सेल्स का प्रभाव कम होता है।
    फल और जूस- ब्लड कैंसर के मरीजों को रोजाना ताजा फलों का सेवन करना चाहिए ताजे फलों के सेवन से हमारे शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ जाता है जिससे कैंसर सेल्स कम होते है।
    ग्रीन टी- ग्रीन टी का सेवन ब्लड कैंसर में बहुत फायदेमंद होता है इसके एंटीऑक्सीडेंट स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण करती है कैंसर कोशिकाओं को बढने से रोकती है। कैंसर के मरीज को इसका सेवन रोजाना 4-5 बार करना चाहिए।
    गेहूं के ज्वारे- रोजाना सुबह-सुबह खाली पेट एक गिलास गेहूं के ज्वारे का जूस बनाकर पीना चाहिए। इससे खून का संचार बढ़ जाता है और इम्युनिटी पॉवर बढ़ जाती है। और कैंसर सेल्स का प्रभाव कम हो जाता है।
    ऐलोवेरा- ऐलोवेरा पोधे के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर उसमें आधा लीटर शहद और 3-4 चम्मच फ्रूट जूस मिलाकर रोज खाना खाने से 15 मिनट पहले तक तीन से चार बार सेवन करें। और 10 दिन बाद अपने ब्लड सेल्स की जाँच कराएँ अद्भुत परिणाम मिलेगें।

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