गिलोय -एक औषधि (Benefits of Giloy)-
गिलोय (Benefits of Giloy) को आयुर्वेद में एक महान औषधि माना जाता है। और इसे जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की बेल हमें जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों और पेड़ पोधों आदि जगहों पर आमतौर पर कुण्डलाकार बेल चढ़ती मिल जाती है। गिलोय में एक विशेष प्रकार का गुण होता है जिसके कारण यह बेल जिस भी पेड़ या पौधे पर चढती है उसके गुण अपने अंदर धारण कर लेती है। जैसे यह नीम के पेड़ को अपना आधार बनाती है, तो नीम के गुण भी अपने अंदर समाहित कर लेते है। इसी दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय सर्वश्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। इसका तना एक छोटी अंगुली से लेकर अगुंठे जितना मोटा होता है अधिक पुरानी गिलोय का तना बाहू जितना मोटा भी हो सकता है। इसमें से जगह जगह से जड़े निकलकर निचे की और लटकती रहती है। चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर यह जड़ें जमीन में घुसकर अन्य नई बेलों को उत्पन्न करती है। गिलोय एक प्रकार की ऐसी बेल है, जिसे आप सौ रोगों की एक दवा कह सकते हैं। और आपको बता दे संस्कृत में इसको अमृता भी कहा गया है कहा जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तो उसमे से जो अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई ऐसा माना जाता है गिलोय का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया है। गिलोय के पत्ते बिलकुल पान के पत्तों की तरह दिखते है और गिलोय की बेल जिस पेड पर चढ़ जाती है उस पेड़ को मरने नहीं देती है। आयुर्वेद में इसके बहुत से लाभ बताएं गये है। जो आपको केवल स्वस्थ ही नहीं रखते है बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते है। इसके फायदे इतने ज्यादा हैं कि शायद इसकी गिनती करना भी बहुत मुश्किल है और सबसे बड़ी बात यह है कि वात ,पित्त और कफ तीनों रोगों को ठीक करने के काम आती है। इसे कोई भी व्यक्ति चाहे वह वात का रोगी हो, चाहे कफ का रोगी हो या पित्त का रोगी हो इसे हर व्यक्ति प्रयोग में ला सकता है।गिलोय की तासीर कैसे होती है ?
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की तासीर गर्म बताई है। इसलिए गिलोय को सर्दी जुखाम और बुखार में विशेष रूप से इसका उपयोग किया जाता है।
गिलोय का सेवन कैसे करें ?
पुरे विश्व में कोरोना वायरस के कहर के कारण आज हर व्यक्ति को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना बेहद आवश्यक हो गया है। ऐसे में हम कई प्राकृतिक उपायों को अपनाकर अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत कर रहें हैं। जिन प्राकृतिक उपायों की हम बात कर रहें हैं इनमें गिलोय विशेषकर लोकप्रिय और गुणकारी औषधि मानी जाती है। मात्र गिलोय को उबाल कर पीने से ही हमारे घर के बच्चों और बड़ों की इम्युनिटी पॉवर काफी मजबूत होती है। लेकिन गिलोय को लेकर एक प्रश्न सभी के मन में उठता है कि इसको कितनी मात्रा में पीना चाहिए। जानकारी के अनुसार गिलोय का सेवन किसी भी बच्चे (पांच साल से अधिक)से लेकर बुजुर्ग तक को दिया जा सकता है। बच्चों को गिलोय रोजाना एक कप तक पिलाना चाहिए, जबकि व्यस्क या बुजुर्ग व्यक्ति रोजाना इस औषधि को एक गिलास तक पी सकते हैं। गिलोय पीने के बाद यदि आपको कुछ परेशानी हो तो इसका सेवन नहीं करें।
गिलोय को संग्रह करने का समय-
बारिश में मौसम में गिलोय की बेले पत्तों से भर जाती हैं। गिलोय की जड़ से लेकर ऊपर तक सभी चीजें काम आती है यानि गिलोय की जड़,तना,पत्ते,छाल और फल सभी उपयोगी है। गिलोय के तने का अधिकांश उपयोग हर्बल दवाओं में करते है इसके तनो को जनवरी से मार्च के बीच में इसका संग्रह किया जाता है। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। अपने सूजन कम करने के गुण के कारण, यह गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यंत लाभदायक है। गिलोय से किन-किन बीमारियों का उपचार होता है -
गिलोय हमारी इम्युनिटी को बढ़ा कर रोगो से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले तत्वों को बाहर निकालने का कार्य करते हैं। यह हमारे खून को साफ करती है। और हमारे शरीर को बैक्टीरिया से लड़ने के लिए तैयार करती है और हमारे लीवर और किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाती है। बुखार- अगर आपको बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर पिलायें। इससे उसका बुखार उतर जाता है
डायबिटीज- गिलोय के काढ़े का सेवन करने से यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करता है। जिसका सीधा फायदा टाइप 2 डायबिटीज के रोगी को होता है।
पाचन शक्ति- गिलोय पाचन तन्त्र के सभी कार्यो को सही तरीके से संचालित करती है यह भोजन को पचाने की क्रिया में भी मदद करती है। इसके सेवन से कब्ज और पेट की दूसरी समस्याएं नहीं होती है।
तनाव (स्ट्रेस)- आज की लाइफस्टाइल में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय का सेवन एडप्टोजन की तरह कार्य करती है। मानसिक तनाव और चिंता के स्तर को कम करती है। इससे आपको याददाश्त भी अच्छी होती है यह मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी ठीक रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।
आंखों की रोशनी- सबसे पहले गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना है फिर जब यह पानी ठंडा हो जाये तो आखों की पलको के उपर लगायें ऐसा करने से धीरे-धीरे आँखों की रौशनी बढ़ जाएगी।
अस्थमा(दमा)- मौसम बदलने पर विशेषकर सर्दियों में अस्थमा के रोगियों को बहुत परेशानी होती है। अस्थमा पीड़ित को गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए। और इसका जूस बनाकर पीना चाहिए। काफी आराम मिलेगा।
गठिया- गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी बहुत दिक्कत होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी कारण जोड़ो का दर्द और गठिया रोग ठीक हो जाता है।
एनीमिया- गिलोय का सेवन करने से हमारे शरीर में लाल रक्त कणिकाओ की संख्या बढ़ जाती है जिससे एनीमिया यानि खून की कमी दूर हो जाती है।
कान का मैल या दर्द होना- कान में दर्द हो रहा हो या जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा होने पर छान कर कुछ बुँदे कान में डालें। आराम मिलेगा।
पेट की चर्बी (मोटापा)- गिलोय का सेवन करने से हमारे शरीर का मेटाबॉलिजम को ठीक करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।
खूबसूरती- गिलोय का सेवन करने से हमारे त्वचा की चमक बढ़ जाती है और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है।
गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी सहायता से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर किया जा सकता है। इसके सेवन से आप निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं।
घाव जल्दी भरना - गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाकर अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा होने पर घाव पर लगाएं। घाव जल्दी भर जाएगा।
बालों की समस्या- गिलोय का सेवन करने से आपके बालों मे ड्रेंडफ, बाल झडऩे या रुसी आदि समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
डेंगू- गिलोय का सेवन करने से डेंगू के कारण कम हुई प्लेटलेट्स बढ़ जाती है अगर किसी को लगातार बुखार रह रहा हो तो वो भी गिलोय का काढ़ा पीएं तो फायदा होगा। गिलोय के चूर्ण और शहद मिलाकर खाएं।
बवासीर- गिलोय का रस और छाछ पीने से आपको बवासीर से आराम मिलेगा।
गैस और बदहजमी -गैस और बदहजमी होने पर आंवला और गिलोय का चूर्ण एक साथ लेने से यह समस्या दूर होगी। मोटापा से परेशान हो, पेट में कीड़े या खुन की कमी हो तो गिलोय का रस और शहद का सेवन करें।
टीबी रोग- अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग में लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से टीबी की बीमारी ठीक होती है।
पीलिया रोग- गिलोय के औषधीय गुण पीलिया को ठीक करने बहुत मदद करते हैं। गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है। गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
लीवर में विकार होने पर- दो नग नीम ,2 नग छोटी पिपली और 18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीसकर छान लें और फिर इसका सेवन करें। 15 से 30 दिन तक लगातार सेवन से लीवर व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक हो जाती है। मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना)- गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की समस्या ठीक हो जाती है।
फाइलेरिया (हाथीपाँव) - 10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग (कोढ़ की बीमारी)-10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
इसके अलावा भी कई रोगों में गिलोय का सेवन करने से लाभ होता है। धन्यवाद