इन आसनों के हैं कई आश्चर्यजनक लाभ (amazing benefits) योग जबर्दस्त संभावनाएं पेश करता है, लेकिन उसके लिए अनुशासन और सही तरीक़ा जरूरी है।
गलत तरीके से किया जाने वाला योग आपको फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। जो लोग बुनियादी योगासन करना चाहते हैं, वे उप योग से शुरुआत कर सकते हैं, जिसमें शुरुआत करने के लिए आसान योगासन हैं। ये आसन आपको शारीरिक और मानसिक लाभ पहुंचाते हैं।इससे मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है, चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है। महिलाओं के लिए शलभासन बेहद फायदेमंद होता है। खासकर मासिक धर्म में होने वाली तकलीफों में आराम देता है। हालांकि, महिलाएं मासिक धर्म में फायदे के लिए योग को करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
1 शलभासन
शलभासन या लोकस्ट पोज़ एक स्ट्रेचिंग पोज़ है जो की पेट, ऊपरी और निचले हिस्से पर केंद्रित होता है। इस योग मुद्रा के लाभ में लचीलापन और शक्ति का निर्माण करना होता है। इससे पीठ के बजाय पेट के बल लेट कर किया जाता है।
यह नाम संस्कृत के शब्द "शलभ" से आया गया है, जिसका अर्थ है "टिड्डी" होता है और इसका अभ्यास करते समय शरीर टिड्डे की तरह दिखता है। आइये जानते है शलभासन योग को करने का सही तरीका और इसके लाभ ।शलभासन की विधि |

शलभासन के फायदे |
शलभ का अर्थ टिड्डी (Locust ) होता है। इस आसन की अंतिम मुद्रा में शरीर टिड्डी (Locust ) जैसा लगता है, इसलिए इसे इस नाम से जाना जाता है। इसे Locust Pose Yoga भी कहते हैं। यह कमर एवं पीठ दर्द के लिए बहुत लाभकारी आसन है। इसके नियमित अभ्यास से आप कमर दर्द पर बहुत हद तक काबू पा सकते हैं। रीढ़ में रक्त की आपूर्ति को बढ़ाता है। पीठ, कंधे, गर्दन और नितंबों की मांसपेशियों को टोन करता है। पाचन आग को प्रज्वलित करता है जिसे गैस्ट्रिक परेशानियों और कब्ज से छुटकारा मिलता है।सावधानी
मासिक धर्म और गर्भवती होनी पर इस न करे । सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, ग्लूकोमा और थकान होने पर भी इस मुद्रा से बचें। यह उन लोगों के लिए नहीं है जिनकी पीठ, गर्दन, कंधे की चोट या हाल ही में पेट की सर्जरी हुई हो।यह भी पढ़े ⇒ अंगमर्दन’ (Angamardana) योग क्रिया ⇐
2 जानुशीर्षासन का अर्थ
जानुशीर्षासन संस्कृत भाषा का शब्द है जो 3 शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है जानु जिसका अर्थ होता है घुटना। दूसरा शब्द है शीर्ष जिसका अर्थ है सिर और तीसरा शब्द है आसन। आसन का अर्थ बैठने लैटने या खड़े होने की मुद्रा है। जानू शीर्षासन की खोज भारत के महान योग गुरुओं द्वारा की गई थी। और इसे सबसे नवीनतम आसनों में से एक माना जाता है।जानूशीर्षासन करने की विधि।
