अश्वगंधा के फायदे(Ashwagandha)-
अश्वगंधा (Ashwagandha)सबसे लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में से एक है, जो अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। अश्वगंधा एक ऐसी औषधि है जिसका उपयोग आयुर्वेद में 2,500 से भी ज्यादा सालों से किया जाता रहा है। और वास्तव में भी यह सबसे अधिक उपयोग में आने वाली औषधि है इसके अलावा यह बड़े पैमाने पर शोध किये जाने वाली जड़ी बूटियों में से एक है अश्वगंधा एक ऐसी औषधि है। जिसका प्रयोग कई रोगों में किया जाता है। अश्वगंधा को सामान्यत: एक ही रूप में अधिक जाना है कि यह यौन शक्ति बढ़ाने में इसका उपयोग है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह औषधि बहुत-सी बीमारियों में फायदेमंद होने के साथ ही कई बीमारियों से बचाव भी करती है कैंसर पर हुए कई शोधों में यह साबित हो चूका है कि अश्वगंधा के सेवन करने से हमारे शरीर में कैंसर के सेल्स को पनपने या बढने से रोकता है। इसके साथ जो कैंसर रोगी कीमोथेरेपी करवा रहे है वो भी इसका सेवन करने से इसके साइड इफेक्ट से बच सकते है। अश्वगंधा का नाम दो संस्कृत शब्दों से बना है अश्व का अर्थ है घोड़ा और गंधा का अर्थ है गंध। गंध का मतलब घोड़े जैसी गंध क्योंकि इसकी जड़ों से घोड़े जैसी गंध आती है। यह पौधा उगाने में आसान होता है। लोग कहते हैं कि अश्वगंधा घोड़े की शक्ति देता है इसकी तासीर थोड़ी गर्म होती है, इसकी गर्मी आपको ज्यादा प्रभावित नहीं करेगी, अश्वगंधा के पौधे की जड़ें, पत्तियां और फल सब उपयोगी होते हैं। अश्वगंधा के मुख्य रासायनिक घटक एल्कलॉइड और स्टेरॉइडल लैक्टोन हैं और इसलिए इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। भारत में मुख्य रूप से इसकी खेती मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान व गुजरात में होती है। अश्वगंधा को संपूर्ण शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। महिलाओं में होने वाली सफेद पानी की समस्या के लिए अश्वगंधा एक रामबाण इलाज है। अश्वगंधा में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते है जो हमारी इम्युनिटी को बढ़ाते है, जिससे हम कई तरह के संक्रमण से और सर्दी-जुकाम जैसी सामान्य समस्या से बचे रहते हैं। अश्वगंधा के सेवन से हमारी लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं में वृद्धि होती है और इसके अलावा ब्लड शुगर नियन्त्रण करने में भी बहुत मददगार है।जिन महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या आ रही है या शारीरिक दुर्बलता की वजह से गर्भधारण नहीं हो पा रहा हैं, वे भी इसका उपयोग कर सकती हैं। क्योंकि अश्वगंधा प्रजनन क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। पुरुषों में शारीरिक दुर्बलता, सम्भोग की इच्छा न होना, वीर्य कम बनना या वीर्य का पतला होने जैसी कई समस्याओं को दूर करने में अश्वगंधा लाभकारी है। परन्तु हर औषधि की अपनी खूबियां होती हैं और वह हमारे शरीर को फायदा ही पहुंचाती है। लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है और आधा-अधूरा ज्ञान नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए अपनी किसी भी समस्या में अश्वगंधा का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।अश्वगंधा का सेवन मात्रा-
जड़ का चूर्ण- 2-4 ग्राम
काढ़ा - 30-40 मिलीग्राम
अश्वगंधा का प्रयोग किन-किन बीमारियों में और कैसे कर सकते हैं-
स्त्रियों को गर्भधारण न होने की समस्या-
1 ली. पानी तथा 250 मि.ली. गाय के दूध में 20 ग्राम असगंधा चूर्ण मिलाकर इसे धीमी आंच पर पकाएं। जब इसमें केवल दूध बचा रह जाये तब इसमें 6-6 ग्राम मिश्री और गाय का घी मिला लें। इस व्यंजन का मासिक धर्म से शुद्धीकरण होने के तीन दिन बाद, तीन दिन तक सेवन करने से यह गर्भधारण में जल्दी ही हो जाता है।
इंद्रिय दुर्बलता-
अश्वगंधा के चूर्ण को कपड़े से छान कर उसमें उतनी ही मात्रा में खांड मिलाकर एक कांच की बोतल में रख लें। एक चम्मच की मात्रा में लेकर गाय के ताजे दूध के साथ सुबह सेवन करें। इसका सेवन करने के बाद तीन घंटे तक भोजन नहीं करना है। इन्द्रिय दुर्बलता दूर होगी।
रात को सोने से पहले अश्वगंधा की जड़े के बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और फिर चमेली के तेल में अच्छी तरह से घोंटकर लिंग पर लगाने से लिंग की दुर्बलता या शिथिलता दूर होगी।
गुम गठिया का इलाज- 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को सुबह और शाम गर्म दूध या पानी या फिर गाय के घी के साथ सेवन करने से गठिया में ठीक होता है।
शारीरिक कमजोरी-
10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, 10 ग्राम तिल व 10 ग्राम देशी गाय का घी लेकर इसमें तीन ग्राम शहद मिलाकर सर्दी के दिनों में रोजाना 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से शरीर मजबूत बनता है।
डायबिटीज- अश्वगंधा का सेवन करने से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रहता है जो शुगर के रोगियों के लिए लाभदायक होता है मदत कर शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंद हैं। एक रिसर्च के अनुसार इसके सेवन से इंसुलिन स्त्राव में बढ़ा और मांसपेसियों में सुधार देखने को मिला है
जोड़ो के दर्द- अश्वगंधा में दर्दनिवारक गुण होते हैं। इस गुण की वजह से अश्वगंधा की जड़ अर्थराइटिस से जुड़े सूजन, दर्द आदि को कम करती है।
यौन क्षमता में वृद्धि- अश्वगंधा के सेवन से पुरुषो में प्रजनन क्षमता बढती है। यह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की मात्रा में भी बढ़ाता है टेस्टोस्टेरोन प्रजनन के कार्य करता हैं। इसके उपयोग करने से जिनके अंदर इसकी कमी होती हैं। उसे यह पूर्ण करता हैं।
टीबी रोग -अश्वगंधा चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को असगंधा के ही 20 मिलीग्राम काढ़े के साथ सेवन करें। इससे टीबी में लाभ होता है।
इसके अलावा और भी अनेक रोगों में यह लाभदायक होता है