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पैकेटबंद फूड(Packaged food)का इस्तेमाल कर रहे हो या मानव भक्षण (कैनिबॉलिज्म)

पैकेटबंद फूड (Packaged food)का इस्तेमाल कर रहे हो तो हो जाओ सावधान !
आपके अनुसार मानव जाती के इतिहास में सबसे बड़ा अपराध क्या है? झूठ बोलना, मक्कारी करना, छल कपट करना, किसी की हत्या कर देना, चोरी-डकैती करना,गला रेत देना, बलात्कार वगैरह! में आपको बताता हूँ कि इनसे भी बड़ा एक अपराध है। जब एक मनुष्य दुसरे मनुष्य को खाने लगता है तो वह दुनिया का सबसे घिनौना और लज्जाजनक अपराध होता है। कैनिबॉलिज्म यानी स्वजाति भक्षण। जब कोई जीव अपनी ही जाति के जीवों को खाने लगता है तो इसे स्वजाति भक्षण कहते हैं। उसे अपनी ही जाति के जीव को मार कर खाने में स्वाद आने लगता है। बेशक इस संसार में कुछ जीव ऐसे हैं जो इस व्यवहार को प्रयोग में लाते हैं। कुछ पशुओं में यह प्रवृत्ति पाई जाती है किंतु वे किसी तरह के स्वाद के लोभ में ऐसा नहीं करते। यह लक्षण दुर्लभ है और केवल उन्हीं पशुओं में पाया जाता है जो अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए दूसरे पशुओं को खा जाते हैं या फिर ऐसा उन हालातों में होता है, जहां एक मादा संभोग के दौरान नर का भक्षण कर लेती है, जैसे बिच्छू या रैडबैक मकड़ा वगैरह।
नि:संदेह पशुओं की यह प्रवृत्ति फिर भी स्वीकार्य है क्योंकि वे मनुष्यों की तरह बुद्धिमान नहीं हैं किंतु जब हम नरभक्षण की बात करते हैं तो इसे किसी भी दृष्टि से स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह तो मानवता के प्रति एक घोर अपराध है। किसी भी विकसित सभ्यता में ऐसा व्यवहार मान्य नहीं ठहराया जा सकता। यदि हम मानव इतिहास के पृष्ठों पर नजर डालें तो कुछ ऐसे उदाहरण मिल जातेहैं जो इस व्यवहार की पुष्टि करते हैं।नरभक्षण का सबसे पहला दर्ज अभिलेख7 लाख 80 हजार वर्ष पुराना है, जब स्पेन के ग्रान डोलिना में छह व्यक्तियों को इसी आशय से मार दिया गया था। फिर लगभग एक लाख वर्ष पूर्व फ्रांस केमॉला गुईवे में नरभक्षण का एक और उदाहरण पाया गया। लीबिया वासी राष्ट्रपति चार्ल्स टेलर पर भी नरभक्षण का आरोप लगा है और अभी उन पर मुकदमा चल रहा है। कार गणराज्य के शासक व तानाशाह जीन बेडल को भी इसी श्रेणी में रखा जा सकता है। वह अपने शत्रुओं को खूखार जानवरों के आगे फिंकवा देताथा ताकि वे उसे अपना शिकार बना सकें। यदि आपसे कहा जाए कि आपको ऐसे क्रूर व्यक्तियों को दंडित करना है तो आप उन्हें क्या सजा देते? क्या उन्हें आजीवन कारावास देते, फांसी पर लटका देते या फिर बिजली की कुर्सी पर बिठा कर, जला कर राख कर देते! मेरे हिसाब से तो ऐसे लोगों के लिए ये दंड भी कम है। उन्हें तो ऐसे दंड दिए जाने चाहिए कि उनकी आने वाली पीढ़ियां भी ऐसा घिनौना काम करने से डरें। उन लोगों के लिए ऐसी सजा खोजी जानी चाहिए जो मौत से भी भयंकर और दर्दनाक हो ताकि वे ऐसे अमानवीय कृत्य फिर कभी न दोहराएं।
लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि ऐसे लोग हमारे पड़ोस में भी मौजूद हैं, जो जाने-अनजाने ही सही, लेकिन अपनी ही जाति या मनुष्य के किसी अंश को खा रहे हैं! या दूसरे शब्दों में कहें तो मानव शरीर के किसी अंश को खा रहे हैं ...!.......सुन कर चौंक गए न? आपको यह जानने का कौतूहल हो रहा होगा कि आपके पड़ोस में रहने वाले ऐसे लोग कौन हैं? इससे पहले कि मैं ऐसे लोगों की सच्चाई आपके सामने लाऊं, मैं सीनोमैक्स नामक कंपनी का सच आपके सामने लाना चाहूंगा। इसी कंपनी ने हमारे समाज में नरभक्षण की बुनियाद डाली। सीनोमिक्स की स्थापना प्रमुख जीव-रसायनी लूबर्ट स्ट्राइर ने 1999 में की। मई 2001 में उन्होंने उस पद से त्यागपत्र दे दिया और स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद ले लिया। हालांकि, वे वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के चेयरमैन बने रहे। सीनोमैक्स एक अमेरिकी जैव-तकनीकी कंपनी है, जो भोजन में स्वाद और गंध बढ़ाने के लिए कृत्रिम फ्लेवर्स बनाती है। यह फ्लेवरिंग एजेंट एचईके -293 कहलाता है। यह गर्भपात किए हुए शिशुओं की किडनी से निकली कोशिकाओं से बनाया जाता है। जब शिशु मां की कोख में इतना पनप जाता है कि उसके शरीर में किडनी विकसित हो चुकी हो और उसके बाद यदि गर्भपात कर दिया जाए तो किडनी से निकली कोशिका का इस्तेमाल ऐसे कई कामों के लिए किया जा सकता है। आप यह भी जान लें कि पूरे संसार में लगभग एक वर्ष में 5 करोड़ से अधिक गर्भपात होते हैं। यह एजेंट प्रोसेस्ड भोजन में मिठास और नमकीन स्वाद देता है ताकि वे यह डींग हांक सकें कि उन्होंने अपने खाद्य पदार्थ में एमएसजी नहीं मिलाया। सुनने में भले ही यह बात असत्य जान पड़े किंतु यह शत-प्रतिशत सत्य है। जो कम्पनियां इस फ्लेवरिंग एजेंट का प्रयोग करती है- इनमे पेप्सिको,नेस्ले,क्राफ्ट फूड्स,अजीनोमोटो जैसी कम्पनियां भी शामिल है। क्या इस विषय में आपको और अधिक जानकारी देने की आवश्यकता है या जब भी आप ऐसा ही कोई पैकेटबंद खाद्य पदार्थ लेंगे या कोल्डड्रिंक पिएंगे तो स्वयं ही सचेत हो जायेंगे कि आपके हाथ में पकड़ी बोतल में क्या मिलाया गया है? या फिर कहीं आप स्वयं भी नरभक्षण की प्रवृति के पोषक तो नहीं .....? निर्णय आपको ही लेना है। इतना जानने के बाद आपको लग रहा होगा कि आपने जाने-अनजाने में कहीं आपने तो ऐसे पैकेटबंद फूड का इस्तेमाल नहीं किया है। जिसे स्वाद बढ़ाने के लिए मानव अंश मिलाये गये हो। अगर किया हो तो इस पोस्ट को पढने के बाद आप सावधान हो जाइए और आज के बाद इस तरह के पैकेटबंद फूड को खाना बंद कर दीजिए। और इस पोस्ट को शेयर करके और लोगो तक भी पहुंचाए ताकि उनको भी इस सच्चाई का पता चल सके।

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