इनफर्टीलिटी की समस्या (Problem of infertility) से निजात पाने के रामबाण उपाय । महिलाओं के जीवन में मां बनना सबसे बड़ा सुख कोई और नही हो सकता है परन्तु आजकल की बिगड़ी लाइफस्टाइल और अन्य कारणों की वजह से अब स्त्रियों में बांझपन की समस्या बढ़ती ही जा रही है।
इनफर्टीलिटी वह समस्या है जिसमें स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। 1 साल से अधिक समय तक प्रयास करने के बाद भी अगर कोई महिला प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाती है तो इसका अर्थ यह है कि वो महिला इनफर्टीलिटी की समस्या से ग्रस्त है हालांकि गर्भधारण न हो पाने की एक वजह पुरुष बांझपन भी हो सकती है। कुछ महिलाएं विवाह के बाद कभी गर्भधारण नहीं कर पाती हैं
तो कुछ महिलाएं एक शिशु को जन्म देने के बाद दूसरी बार गर्भधारण नहीं कर पाती है। पुरुषों में प्रजनन क्षमता उनके शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या पर निर्भर करती है। अगर आपके वीर्य में 15 लाख अधिक शुक्राणु होने चाहिए। अगर कम है तो आपके वीर्य से गर्भधारण नहीं होगा। और अगर इससे अधिक है है तो फिर आपके वीर्य से गर्भधारण हो सकता है
बाँझपन के प्रकार -
इनफर्टीलिटी दो प्रकार की होती है
1.महिलाओं में बाँझपन
2.पुरुषों में बाँझपन
महिलाओं में बांझपन के लक्षण-
लम्बे समय तक बहुत प्रयास के बाद भी गर्भधारण नहीं हो पाना ही बांझपन का सबसे मुख्य लक्षण है। अगर किसी स्त्री को माहवारी 35 दिन या इससे अधिक दिनों का हो तो यह बांझपन का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा यदि आपको 21 दिन या इससे भी कम दिनों में माहवारी का आना अनियमित माहवारी कहलाता है जोकि बांझपन का एक लक्षण है। सिर के बाल झड़ना और इसके अलावा चेहरे पर अनचाहे बाल आना भी स्त्रियों में बाँझपन का कारण हो
पुरुषों में बांझपन के लक्षण -
पुरुषों में बाँझपन का मुख्य लक्षण उनकी जीवनसाथी का लंबे समय तक गर्भधारण ना कर पाना है। वीर्यपात होने में परेशानी होना, स्खलन के दौरान वीर्य का कम मात्रा में निकलना, कामेच्छा में कमी आना या नपुसंकता की समस्या पुरुषों में बाँझपन के लक्षण हैं। बार-बार सांस से संबंधित संक्रमण होना,पुरुषों में स्तनों (छाती) का बढ़ना,शरीर पर बालों का कम होना,हार्मोन्स का असंतुलन हो जाना, सामान्य से कम स्पर्म काउंट होना आदि लक्षण हो सकते है।
महिलाओं में बांझपन के कारण-
गर्भ नलियाँ अंडे को अंडाशय से गर्भाशय तक पहुंचाती है, जहाँ भ्रूण का विकास होता है। प्रजनन अंगो में इन्फेक्शन या सर्जरी के कारण गर्भ नलिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है जिससे शुक्राणुओं को अंडों तक पहुंचने में समस्या आती है जिसके कारण महिलाओं में बांझपन की समस्या होती है महिलाओं हार्मोनल असंतुलन होने के कारण भी बाँझपन हो सकती है। महिलाओं के हार्मोन्स में परिवर्तन नहीं होने के कारण अंडाशय से अंडे नहीं निकल पाते हैं,
गर्भाशय में गांठ (रसौली) का होना, तनाव भी महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण है।महिलाओं के अंडाशय में 40 वर्ष की उम्र के बाद अंडे बनना बंद हो जाता है पीसीओडी की बीमारी के कारण भी आज ज्यादातर महिलाएं बांझपन का शिकार हो रही हैं। इस बीमारी में गर्भ नलिकाओं में गांठ बन जाती हैं जिसके कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं।
पुरुषों में बांझपन के कारण -
अधिकतर पुरुषों में बाँझपन का कारण वीर्य का कमजोर होना और कम संख्या में होना है। इसके अलावा किसी गंभीर बीमारी, हार्मोंस का संतुलन बिगड़ जाने और अनुवांशिकता के कारण भी पुरुषों में बाँझपन की समस्या हो सकती है। सबसे पहले पुरुषों में बाँझपन किशोरावस्था के दौरान जननांगों के विकास और बनावट पर निर्भर करता है। पुरुषों में कम से कम एक टेस्टिकल(अंडकोष) ठीक तरह से कार्य करना आवश्यक है और शरीर टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन बना पाने में समर्थ हो ताकि वीर्य का उत्पादन हो सके।
वीर्य में पर्याप्त मात्रा में शुक्राणुओं का बनना आवश्यक है। अगर वीर्य में शुक्राणु कम होगे तो इससे महिला को गर्भधारण करने में कठिनाई आएगी। वीर्य में शुक्राणुओं का कम बनना पुरुषों में बाँझपन का कारण है। शुक्राणुओं का क्रियाशील होना और एक जगह से दूसरी जगह पर जाने में समर्थ होना जरूरी है
अगर शुक्राणुओं में समर्थता नहीं होगी तो वह महिलाओं के अंडे तक पहुंच पाने में असमर्थ रहते हैं। शुक्राणुओं का अक्रियाशील होना पुरुषो में बाँझपन का कारण है पुरुषों के अंडकोष की नसों में सुजन के कारण भी बाँझपन हो सकता है।अत्यधिक हस्त मैथुन करने से भी पुरुषों में बांझपन हो सकता है।
⇒इस तरह हो रहा है युवाओं का पतन PART- 3 ⇐click करें
महिलाओं में बाँझपन से बचाव-
बांझपन से बचने के लिए दैनिक दिनचर्या में बदलाव करना आवश्यक है। यहां कुछ ऐसे सरल सुझाव दे रहे है। जिन्हें अपनाकर बाँझपन से बच सकते है।
संतुलित आहार खाएं,ताजी फल सब्जियों का सेवन करें,इसके अलावा बादाम, खजूर, अंजीर जैसे सूखे-मेवों का सेवन जरुर करें, बांझपन को दूर करने के लिए उचित भोजन करना बहुत आवश्यक है। अपने आहार में जस्ता, नाइट्रिक ऑक्साइड और विटामिन सी और विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें।
शतावरी और ब्रोकली का सेवन करने से प्रजनन क्षमता बढ़ती है। रोजाना कम से कम 5-6 किशमिश या खजूर का सेवन जरुर करे। डेयरी उत्पाद, लहसुन, दालचीनी, इलायची को अपने आहार में शामिल करें।सूरजमुखी के बीजों का सेवन करें। चकोतरा और संतरे का ताजा रस पीएं। जो महिलाएं अपनी प्रजनन क्षमता को बढ़ाना चाहती हैं उन्हें अपने भोजन में टमाटर, दालें, सेवफली और एवोकैडो को शामिल करें। अनार का सेवन जरुर करना चाहिए। इसमें प्रचुर मात्रा में फोलिक एसिड और विटामिन बी होता है।
और इससे प्रजनन क्षमता बढती है। अश्वगंधा पाउडर का सेवन जरुर करे। यह शरीर में हार्मोंस के संतुलन को बनाए रखता है और प्रजनन अंगों की समुचित कार्यक्षमता को बढ़ाता है। महिलाओं को अपने आहार में दालचीनी को भी जरूर शामिल करना चाहिए। धूम्रपान और शराब बांझपन का प्रमुख कारण हैं इसलिए इनसे दूर रहें। जंक फूड, कैफीन और मांस का सेवन कम करें। तली हुई और मीठी चीज़ों का बहुत कम सेवन करें।
माहवारी के दिनों में तैलीय और मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करें। अगर आपका वजन बहुत अधिक या कम है तो उसे भी संतुलित करें। बांझपन का प्रमुख कारण तनाव है। तनाव से दूर रहकर बांझपन की समस्या से बचा जा सकता है। मानसिक शांति पाने के लिए रोज़ सुबह प्राणायाम करें।
पुरुषों में इनफर्टिलिटी से बचाव
पुरुषों में होने वाली कई प्रकार की बाँझपन को रोका नहीं जा सकता है। हालांकि, फिर भी कुछ चीज़ों से दूर रहकर पुरुष इनफर्टिलिटी की समस्या से बच सकते हैं। जैसे बीडी,सिगरेट का सेवन व अन्य धुम्रपानों से बचे। शराब का सेवन कम या बिलकुल बंद कर दें।अवैध ड्रग्स का इस्तेमाल नही करें। अपने वजन को कंट्रोल में रखें। नसबंदी नहीं करवाएं। अंडकोष पर लंबे समय तक गर्मी पैदा करने वाली चीज़ों से बचें। मानसिक तनाव से दूर रहें। और व्यायाम करें
घरेलू उपचार -
- पलाश का एक पत्ता गाय के दूध में औटाएं और उसे छान कर पीएं मासिक धर्म के बाद से शुरू करके यह प्रयोग 7 दिनों तक करना चाहिए
2. 5 ग्राम की मात्रा में त्रिफलाघृत सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है जिससे स्त्री गर्भधारण करने योग्य हो जाती है
3.मासिक धर्म की शुद्धि के बाद से 1 हफ़्ते तक 2 ग्राम नागकेशर के चूर्ण को दूध से साथ सेवन करना चाहिए
4.पीपल के सूखे फलों का चूर्ण बनाकर रख लें. मासिक धर्म के बाद 5-10 ग्राम चूर्ण खाकर ऊपर से कच्चा दूध पीएं यह प्रयोग नियमित रूप से 14 दिन तक करें
5. 50 ग्राम गुलकंद में 20 ग्राम सौंफ़ मिलाकर चबाकर खाएंं और ऊपर से 1 गिलास दूध नियमित रूप से पीएं इससे बांझपन से मुक्ति मिलेगी