Natural foods

प्राकृतिक आहार ठंडा होता हैं (Natural foods) इसे ठंडे मौसम में कैसे खायें ?

ठंडा और गर्म केवल आदत की बात हैं। प्राकृतिक आहार (Natural foods) का ठंडा या गर्म से कोई लेना-देना नहीं।

जिस तरह संसार के सारे प्राणियों के लिए उनका आहार (अपक्व रूप में) सिर्फ आहार है, न वह ठंडा है न गर्म, उसी तरह हमारा आहार है। जिस तरह सभी प्राणी हर मौसम में, सर्दी, गर्मी, बरसात में अपना निर्धारित अपक्व आहार खाकर स्वस्थ रहते हैं, उसी तरह हम भी अपने अपक्व आहार पर हर मौसम में स्वस्थ रह सकते हैं।
हमारी समस्या यह है कि हम 24 घंटे सारा भोजन गर्म और पका कर खाते हैं, गर्म पेय ही पीते हैं, इसके अलावा हमारा सारा भोजन ठोस आहारों (अन्न, दालें, प्रोटीन,चर्बी स्टार्च) से ही भरा होता है, ताजे, जल युक्त अपक्व आहार की मात्रा कम या नहीं के बराबर होती है। ऐसी अवस्था में प्राकृतिक आहार अपनाने वाले को अपक्व आहार पहले-पहले ठंडे, हल्के लगना स्वाभाविक हैं, जैसे हमेशा गर्म पानी नहीं।
इसी तरह एक बार अपक्व आहार की आदत पड़ जाने के बाद गर्म पक्व आहार कम अच्छे लगेंगे। जब गाय के लिए घास ठंडी नहीं होती, पशुओं के लिए चारा ठंडा नहीं होता तो मानव के लिए प्राकृतिक आहार कैसे ठंडा हो सकता है ? जहाँ तक ठंडे मौसम का सवाल है, अत्यधिक ठंडी जगहों पर मानव को रहना ही नहीं चाहिये।
सामान्य ठंडी जगहें जैसे पहाडियों, ठंडे प्रदेशों में प्रकृति फल ही ऐसे पैदा करती है जो उस मौसम से लड़ाई कर सकें। मेवे जो ठंडी जगहों पर अधिक पैदा हैं, उनका अधिक उपयोग करना चाहिये। ठंड से लड़ने के लिए सूखे फल, सूखे मेवे श्रेष्ठ आहार हैं, वैसे भी ठंड में जलयुक्त ठंडे, ताजे फल कम ही पैदा होते हैं। हजारों रोगियों और हमारे अपने ऊपर किये गये प्रयोगों से यह निर्विवाद सिद्ध हो चुका है कि ठंड में अपक्व आहार पर सामान्य लोगों के मुकाबले ज्यादा बेहतर, मजे से रहा जा सकता है, ठंड प्रिय लगती है।
अपक्व आहार से प्राकृतिक गर्मी इतनी प्रबल होती है कि अधिक कपड़े पहनना या गर्म कंबल या रजाइयों का इस्तेमाल करना अच्छा नहीं लगता, न आवश्यक होता है। अपक्व आहार पर रह रहे दमा जैसे रोग से ग्रसित मरीजों को नंगे-बदन का आनन्द लेते देखा है। जो व्यक्ति जितना पक्व आहार,गर्म आहार खाता हैं,उसको ठंड अधिक लगती है। जो व्यक्ति जितना अपक्व आहार पर रहता है, उसे ठंड कम लगती है।
इसके बावजूद कोई गर्मी देने वाले अपक्व आहार खाना चाहते हैं तो सूखे फल, सूखे मेवे बगैर भिगोये खाए। सीधी सच्चाई ये है कि प्रकृति ने हर प्राणी के शरीर की रचना ठीक उसके मौसम के अनुरूप की है, जिससे वह बगैर कपड़ो के उस मौसम से सहज लड़ाई कर सके या सहन कर सके। कपड़ो से शरीर ढकना सिर्फ एक आदत हैं, आवश्यकता नहीं।
जिस तरह संसार के सारे प्राणी अपना-अपना प्राकृतिक आहार खाकर सहजता से रहते है और किसी भी मौसम से प्रभावित नहीं होते, उसी तरह मानव भी अपना प्राकृतिक आहार खाकर मौसम के प्रभावों से बचा रह सकता है। यह अनुभव सिद्ध सत्य है, प्रयोग कर जान सकते हैं।
एक और तथ्य -
जिसका शरीर जितना विषाक्त होगा, उसको उतनी ही अधिक ठंड लगेगी । इसलिये जब हम इस विषाक्त अवस्था से सही आहार-व्यायाम द्वारा मुक्त नहीं होते, प्राकृतिक आहार का वास्तविक लाभ अनुभव नहीं होगा । इसलिये शुरू-शुरू में कुछ दिन या सप्ताह प्राकृतिक आहार से ठंड अनुभव हो सकती हैं,परन्तु वह अस्थायी स्थिति है,इसे व्यायाम द्वारा आसानी से जीता जा सकता है ।
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दूसरा तथ्य -
ठंड में जो लोग बिल्कुल व्यायाम नहीं करते या कम परिश्रम करते है, उन्हें अपक्व आहार ठंडा लग सकता है । लेकिन जो लोग ठंड में खूब व्यायाम या परिश्रम करते है, उन्हें अपक्व आहार ही सच्चा आनन्द दे पायेगा,क्योंकि शारीरिक गर्मी का सम्बन्ध केवल आहार से नहीं, भरपूर व्यायाम से भी हैं और अच्छे व्यायाम के बाद अपक्व आहार का आनन्द और भी बढ़ जाता है । इसलिये यह भ्रम तोड़ दें कि अपक्व आहार ठंडा होता है । आम, खजूर, गर्म होते हैं, फोड़े-फुंसी, दस्त पैदा करते हैं ? हम सभी ने आहारों एवं स्वास्थ्य के बारे में जबरदस्त भ्रम पाल रखे हैं।
आम, खजूर अगर गर्म होते तो ये गर्म प्रदेश में भीषण गर्मी में ही क्यों पैदा होते । ईश्वर की रचना को अच्छी तरह समझें, उस पर पूरी श्रध्दा एवं विश्वास रखें। खजूर भयंकर गर्मी वाले देशों अरब, मस्कत, इरान में पैदा होता है और गर्मी में ही वहाँ के लोग इसका भरपूर उपयोग करते हैं । आम या खजूर का गर्मी से कोई लेन-देन नहीं है ।
अगर यह भ्रम होता है तो इसलिये कि ये अपने आप में ठोस कार्बोहाइड्रेट आहार हैं । इन्हें अनाज, आलू की जगह इस्तेमाल करना चाहिये । ये आहार इस्तेमाल करें तो अन्न, आलू या अन्य स्टार्चयुक्त (कार्बोहाइड्रट) आहार साथ में नहीं होना चाहिये ।
अगर साथ में उपयोग करेंगें तो अतिस्टार्च की विषाक्तता (जहर) पैदा होगी जो या तो फोड़े-फुंसी के रूप में निकलेगी या दस्तों के रूप में। गर्मी के मौसम में वैसे भी त्वचा एवं आँतें ज्यादा सक्रिय रहती हैं । अन्न, आलू बंद कर आम, खजूर का भरपेट आवश्यकतानुसार इस्तेमाल करें, आपको कोई भी रोग या समस्या पैदा नहीं होगी ।

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हमारे हजारों रोगियों ने तथा हमने गर्मी के मौसम में भरपूर आम यें हैं, दिन भर में करीब-करीब 10 आम से लेकर 15-20 आम तक बिना किसी भी समस्या के खाये हैं । ईश्वर ने अगर आम गर्मी में बनाया हैं तो भरपूर खाने के लिए,गर्मियों में अन्न-दालें खाना ही नहीं चाहिये, लेकिन मानव नियम तोड़कर दोनों खाकर अन्न-दालों को दोषी ठहराने के बजाय ईश्वर की श्रेष्ठ कृति आम, खजूर को दोषी ठहराता है ।
सीधा नियम- मानव अपनी भूख की क्षमता के अनुसार चाहे जितनी मात्रा में कोई भी मौसम फल भरपेट आराम से, बिना समस्या के खा सकता है ।

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