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Rambaan Aushadhi

यौवन(youth) से भरपूर रहना है  तो करें ये उपाय

यौवन(youth) को पुन: पाना

जब आप आईने में स्वयं को देखते है तो झुरियों से भरा चेहरा पाते हैं। बालों की सफेदी और आँखों की चमक में कमी महसूस करते है। लटकी हुई त्वचा पाते हैं। सीढ़ियां चढने में आप हाँफने लगते हैं और घुटनों का दर्द अब आपको सताने लगा हैं। अपने साथी के साथ अब आप वो रोमांच महसूस नहीं करते नींद अब आपको कम आती हैं,
लेकिन थकान एवं अनिद्रापन बचा रहता है। यह सब लक्षण आप से चीख - चीख कर कह रहे हैं कि आप बूढ़े हो रहे हैं। 35 वर्ष के बाद की उम्र आपको आंकड़ो के माध्यम से भी सिद्ध कर रही है कि आप अब बूढ़े हो रहे हैं और यह समय के साथ बढ़ता जाएगा। इसे रोका नहीं जा सकता। यकीन मानिए आपका यह ख्याल बिलकुल गलत है कि आपके बुढ़ापे को फिर से यौवन में नहीं बदला जा सकता। हमारे शरीर में पल - पल नई कोशिकाओं का निर्माण होता है और वे पुरानी बूढी कोशिकाओं का स्थान लें लेती हैं।
यदि हम चाहें तो नई स्वस्थ एवं युवा कोशिकाओं का निर्माण करके पुरानी बूढी कोशिकाओं को हटाकर हमारे पूरे शरीर के अंगों को नया कर सकते है। फिर हम पा लेंगे एक नया और युवा शरीर। फिर से युवा होने से ज्यादा आनंददायक कुछ भी नहीं हो सकता। पुनः युवा होना सभी महिला - पुरषों की कामना होती हैं और इसे पाने के लिए व कुछ भी करने को तैयार रहते है, लेकिन वे मूलभूत परिवर्तन नही करते । व कुछ दवाइयाँ खाना शुरु कर देते है या फिर कुछ काँस्मेटिक्स खरीद लाते हैं।
प्रकृति के कुछ नियमों का पालन करके हम पुन: युवा हो सकते हैं। हमारा बुढ़ापा प्रकृति के नियमों को तोड़ने के कारण ही तो हुआ हैं प्रकृति हमारे शरीर कि मरम्मत के लिए हमेशा तैयार रहती हैं । बस, आवश्यकता हैं तो हमें उसका साथ देने की। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार बुढ़ापा रक्त वाहिकाओं की कठोरता एवं उसके ब्लाक होने के कारण होता है। रीढ़ की जकड़न जोड़ो एवं हड्डियों में जकड़न तथा दर्द,त्वचा में झुरियाँ एवं उसका लचीलापन नष्ट होना,बालों का सफेद होना आदि। ये सभी बुढ़ापे के लक्षण रक्त वाहिकाओं या आर्टरीज के ब्लाकेज के कारण होते हैं। इस ब्लाक की सबसे बड़ी कैल्शियम होता है। जब ये ब्लाक पैदा होते हैं,तो शरीर जकडन महसूस करता है और हम इस जकड़न के कारण चलना- फिरना एवं व्यायाम करना छोड़ देते हैं।
परिणामत:हमारी जकड़न और रक्त वाहिकाओं के ब्लाक और अधिक बढ़ जाते हैं तथा हम अधिक बूढ़े हो जाते हैं। जैसा कि मैनें बताया था कि हमारा शरीर हर पल नया होता रहता है इसलिए यदि हम सही आहार- विहार लें, तो हम मनचाहे अंगों को पा सकते हैं। रक्त वाहिकाओं के ब्लाक को फिर से घोल सकते हैं और रक्त प्रवाह निबार्ध कर सकते हैं। हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु को घोलने के लिए हमें एक साँल्वेंट की आवश्यकता होती हैं जिससे वह वस्तु आसानी से घुल जाए। कैल्केरियस प्लेक को घोलने के लिए सर्वश्रेष्ठ साँल्वेंट है शुद्ध पानी तथा शुद्ध जैतून का तेल।
बारिश का पानी इस संसार का सबसे शुद्ध जल है इसलिए हमें बारिश के जल का पीने में इस्तेमाल करना चाहिए। पानी पिने के सही तरीके भी हमें पता होना चाहिए। हमें भोजन के बीच थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिए, भोजन के बाद लगभग चालीस मिनट बाद ही पानी पीना चाहिए। पानी हल्का गर्म होना चाहिए, ठंडा पानी विष है। पानी को थोड़ा-थोड़ा करके घूँट-घूँट पीना चाहिए
एक साथ बहुत सारा पानी एक ही सांस में नहीं पीना चाहिए। पानी को हमेशा होंठ लगाकर गिलास से ही पिएँ, ऊपर से या बोटल से पानी न पिएँ। सुबह उठकर पानी पिएँ तथा रात में सोते समय भी पानी पीकर सोएँ। रात में यदि कभी नींद खुले तो भी एक गिलास पानी जरुर पी लें। हमारी रक्त वाहिकाओं, मसल्स,मस्तिष्क एवं जोड़ो में लाखों कैल्शियम प्लेक हर दिन जमा होते हैं जिससे ये अंग कठोर एवं अक्रियाशील होते है। यदि शुद्ध जल का सेवन किया जाता रहे तो ये प्लेक घुलकर मल- मूत्र के रास्ते शरीर से बाहर निकलते रहते हैं।
प्रकृति में पेड़-पौधों द्वारा अवशोषित किया गया जल भी शुद्ध जल हैं इसलिए फलों एवं शाखों का रस भी पिया जा सकता है। जो कि शरीर से प्लेक को निकालता है।आजकल प्रचलन में आए बोरिंग का पानी कैल्शियम की अधिक मात्रा से युक्त होता है जो कि हमारी नलिकाओं में अधिक प्लेक जमा करता है और हम जल्दी बूढ़े होने लगते हैं। इसलिए पिने में हमें बारिश का पानी,डिस्टिल्ड वाटर,फलों का रस,बहता हुआ शुद्ध पानी,प्राथमिकता के अनुसार ग्रहण करना चाहिए।
याद रखें कि उबालने या छानने से पानी शुद्ध नहीं हो सकता है,केवल डिस्टिलेशन (वाष्पीकरण) के द्वारा ही पानी को शुद्ध किया जा सकता है। यदि पानी,चूने या अन्य मिनरल से अत्यधिक संतृप्त नहीं है तो वह अन्य साल्वेंट को अधिक घोलता है। यदि हम पानी में चूने के एक टुकड़े को डालेंगे तो वह उसे घोल लेगा। यदि यह पानी थोड़ा उष्ण होगा तो वह चूने का टुकड़ा जल्दी घुलेगा हैं। जब हम शुद्ध एवं उष्ण पानी पीते हैं तो यह प्रक्रिया हमारे शरीर में में भी होती है और रक्तवाहिकाओं से प्लेन घोल दिए जाते है और सारे अवरोध नष्ट होकर रक्तवाहिकाओं में रक्त का प्रवाह निर्बाध हो जाता है ओए अंग पुन: युवा होने लगते हैं।
प्राचीन ग्रीकवासी लगभग सभी मानव सभ्यताओं में सबसे तंदुरुसत नजर आते हैं। क्या आपको पता है कि इसकी प्रमुख वजह क्या है? हाँ, मेरे प्रिय पाठकों इसकी वजह है कि वे जैतून के तेल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते थे। नि:संदेह ग्रीक या युनानवासी चिकत्सा के महान ज्ञाता है तथा शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें हवा,पानी,सूर्य की रोशनी एवं भोजन के प्रयोग का भी विशिष्ट ज्ञान था। उनका व्यायाम का ज्ञान भी विशेष था। लेकिन जैतून के तेल के प्रयोग का उपयोग उनके शरीर को विशेष शुद्धीकरन तथा शक्ति प्रदान करता था।
जैतून का तेल खाने का सबसे अच्छा तरीका तो यह है कि पके हुए जैतून के फलों को भोजन के बाद खाया जाए। यदि जैतून के फल उपलब्ध न हों, तो किसी भरोसेमंद ब्रांड का नॉन रिफाइंड तेल खाएँ। इसे सीधे पिया जा सकता है,खाने को पकाने में प्रयोग करें या सलाद में डालकर खाएँ। यदि आपको जैतून का तेल स्वाद के कारण खाते नहीं बने तो आप थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा रोजाना बढ़ाते जाएँ। जैतून का तेल लेने से शरीर में लचीलापन आता है।
रक्त वाहिकाएँ भी लचीली एवं स्वस्थ होती हैं,उसके अंदर की सतह चिकनी होती है, जिससे प्लेक को जमने की जगह नहीं मिलती, क्योंकि खुरदरी जगह पर किसी भी वस्तु का जमाव अधिक तेजी से होता है। जैतून तेल की मसाज भी हमें तीन दिन में एक बार स्नान के बाद करनी चाहिए। अन्य तेलों के मुकाबले जैतून का तेल अधिक तेजी से शरीर में अवशोषित होता है जिससे कि शरीर को एक लुब्रिकेंट मिलता है। यह मसल्स,जोड़ एवं रक्तवाहिकाओं को लचीला बनाता है एवं प्लेक को जमने नहीं देता। पुन:यौवन प्राप्ति में निस्संदेह सूर्य की किरणे एक महत्वपूर्ण साधन हैं। हम देखते हैं कि पेड़- पौधे चाहे कितने ही खाद, पानी और पोषक तत्व से भरपूर जमीन में उगे हों लेकिन वे बिना सूर्य के प्रकाश के जीवित नहीं रह सकते। ठीक इसी प्रकार हमारे जीवन एवं यौवन की कल्पना सूर्य की किरणों के बगैर नहीं की जा सकती है। हममें से अधिकांश लोग सूर्य की किरणों के महत्व को नहीं जानते या फिर उसके महत्व को नजरअंदाज कर देते हैं।
हम जानवरों को देखें कि वे कैसे सूर्य की किरणों या धूप का प्रयोग करके स्वस्थ रहते हैं। वे कई-कई घटें तक धूप में खड़े,बैठे या लेटे रहते हैं जबकि उनके पास छांव में खड़े रहने के विकल्प भी होते हैं। आप एक बगीचे में कुल चार दिनों के लिए घास के एक हिस्से पर एक चादर डालकर रखें ताकि उस पर धूप नहीं पड़े। आप पाँचवें दिन जाकर जब चादर को उठाएँगें तो पायेंगे कि वहाँ की घास बाकी घास से थोड़ी सफेद एवं मरियल है। क्या इस उदाहरण से भी आपको धूप का महत्व समझ नहीं आ रहा?
हजारों रिसर्च चीख-चीख कर कहे रहे हैं कि लगभग सभी रोगों को रोकने में धूप सक्षम है। कैंसर, डिप्रेशन,पाइल्स,बुढ़ापा मोटापा एवं हड्डी रोगों की समस्या उन लोगों में अधिक होती है, जो धूप से परहेज करते हैं । आप दिनभर में कम से कम 30 मिनट धूप में अवश्य रहें । कोशिश करें कि आपके पूरे शरीर को धूप लगे। इसके लिए सनबाथ लें। महिलाएँ घर में जिस स्थान पर धूप पहुंचती है,वही अपने पूरे शरीर पर धूप लें पुरुष किसी बीच या घर की छत पर धूप स्नान या सनबाथ ले सकते हैं। सूरज की किरणों का घर में प्रवेश अति आवश्यक है। छत पर एक सनबाथ रुम बहुत कम खर्च पर आसानी से बनाएँ।
ये आपको बुढ़ापे और बीमारियों दोनों से दूर रखेगा। सूरज की किरणों की प्राकृतिक गर्मी से त्वचा के छिद्र खुलते हैं,रक्त का प्रवाह निर्बाध होता है, फैट पिघलती है, हार्मोन्स का निर्माण होता है, विटामिन डी का निर्माण होता है और रक्त प्राकृतिक रूप से तरल या पतला होता है और इसका परिणाम होता है कि प्लेक रक्त में घुलकर शरीर के मल-मूत्र द्वारा बाहर निकाल दिए जाते है और हमारा यौवन फिर मिल जाता है। मेरे बताए उपरोक्त नियमों का आप अनुसरण करें और फिर अपनी उम्र को घटाना शुरु कर दें...पुन: यौवन की और।

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