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Rambaan Aushadhi

Allergy problem
एलर्जी की समस्या(Allergy problem) -
जब हमारा शरीर किसी चीज को लेकर ओवर-रिऐक्ट करता है तो उसे एलर्जी कहते हैं। जो खाने के चीजों से,किसी खास गंध की वजह से,या पालतू जानवरों जैसे कुत्ता या बिल्ली आदि से भी एलर्जी हो सकती है। एलर्जी की कुछ और भी वजह हैं। एलर्जी मौसम में बदलाव, कोई फूल-फल-सब्जी के सेवन, खुशबू, धूल, धुआं, दवा यानी किसी भी चीज से हो सकती है। इस स्थिति में हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कुछ खास चीजों को स्वीकार नहीं कर पाती और जिसका नतीजा ऐसे रिऐक्शन के रूप में दिखता है। इस स्थिति में शरीर पर लाल-लाल चकत्ते निकलना, नाक और आंखों से पानी बहना, जी मितलाना, उलटी होना या फिर सांस तेज-तेज चलने से लेकर बुखार तक हो सकता है। ज्यादातर एलर्जी खतरनाक नहीं होतीं, लेकिन कभी-कभार समस्या गंभीर भी हो सकती है। एलर्जी की समस्या गाँवो में रहने वाले लोगों की तुलना में शहरों में रहने वाले लोगों में अधिक पाई जाती है शहर के लोग अपने बच्चो को ज्यादा साफ-सफाई के साथ पालते है इसलिए इन बच्चों में यह समस्या अधिक पाई जाती है क्योकि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास सही से नहीं होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों में एलर्जी होने की सम्भावना कहीं ज्यादा होती है। बच्चे को अगर बहुत अधिक थकान रहती है और सर्दी -जुकाम बना रहता है और नाक में खुजली होती है तो उसको एलर्जी हो सकती है। जिन चीजों से हम बच्चों सावधानी के लिए परहेज करा रहे होते है वही परहेज उन्हें बीमार बना देता है। हम हाइजीन के नाम पर बच्चों को धूल, मिट्टी, बारिश आदि में खेलने से रोकते रहते हैं। जिन बच्चो के बचपन में टीके नहीं लगवाएं जाते है। उन बच्चो में एलर्जी की समस्या कम होती है। जिन बच्चो के टीके लगवाएं जाते है वह बच्चे बैक्टीरिया से तो बच जाते है पर इनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है इसलिए जो चीज शरीर के इम्यून सिस्टम को अपने मुताबिक नहीं लगतीं, वह उन्हें अपने तरीके से निकालने की कोशिश में लग जाता है। बुजुर्गो में भी यह समस्या इम्यून सिस्टम के कमजोर होने के कारण हो सकती है इसलिए बदलते मौसम में इन्हें अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह एलर्जी कई बार अनुवांशिक कारण से भी हो जाती है उसके माता-पिता को अगर धुल या अन्य चीज से एलर्जी है तो बच्चों को भी एलर्जी होने की संभावना अधिक होती है। हांलाकि यह जरूरी नहीं है बच्चो और माता-पिता को जिस चीज से एलर्जी है बच्चों को भी उसी चीज से एलर्जी होगी। अगर माँ को धुल से एलर्जी होने पर त्वचा पर रैशेज पड़ते है। तो बच्चे को फूलों की खुशबु से भी एलर्जी हो सकती है। हमारे देश में लगभग 30 फीसदी लोग इस समस्या से पीड़ित है। जबकि बाकि इन देशों में 40 फीसदी से भी अधिक है। एलर्जी की जानकारी हमारे देश के लोगों में बहुत ही कम है अधिकतर लोगों को पता ही नहीं चलता है कि हम बार बार बीमार क्यों पड़ रहे है या उसकी वजह खाना या मौसम हो सकता है। दरअसल, अगर किसी चीज को लेकर शरीर में रिएक्शन दिखे तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए और दोबारा इस चीज के इस्तेमाल से बचना चाहिए।

एलर्जी के लक्षण- Allergy problem

छींक आना,नाक बहना या रूकना, आंखों से पानी आना या खुजली होना ,साइनस होना, गले में खुजली होना,या कान के छिद्रों में खुजली होना,मुंह से कफ आना,आँखों या चेहरे पर सूजन आना,पेट में दर्द होना, मतली या उल्टी आना, दस्त लगना,सिरदर्द ,साँस लेने में दिक्कत, खांसी आदि लक्षण हो सकते है। बचाव के उपाय- 1.बच्चों को इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए इम्युनिटी बूस्टर देते रहना चाहिए। और बच्चो को धुप और धुल मिटटी आदि में खेलने दें।और घर आने के बाद उनके हाथ पैर अच्छे से धो दें। 2. अगर किसी को धुल मिटटी या धुएं से एलर्जी है तो मास्क लगाकर ही निकलें। 3. जिन लोगो को ठंडी व खट्टी चीजों से एलर्जी है वह इन चीजों का सेवन नहीं करें। 4.जिन लोगों को दवा से एलर्जी है वह दवा नहीं खाएं। डॉक्टर को दिखाएं तो इस एलर्जी के बारे में जरूर बताएं। 5.घर को हमेशा बंद न रखें। घर को खुला और हवादार बनाए रखें ताकि साफ हवा आती रहे। 6. घर की दीवारों पर फफूंद और जाले लग गए हों, तो उन्हें साफ करते रहें क्योंकि फफूंद के कारण भी एलर्जी हो सकती है। 7. फुल वाले पौधों को बारिश के मौसम में घर के अंदर न रखें। घरेलू उपचार - 1. रोज सुबह नीबू पानी पिएं। 2. त्वचा पर एलर्जी से चकत्ते या निशान होने पर फिटकरी के पानी से धोएं। 3.एलर्जी होने पर नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से खुजली कम हो जाती है और चकत्ते भी कम हो जाते है। 4.चन्दन को घिसकर लेप बनाकर शरीर पर लगाने से राहत मिलती है। 5. पंचकर्म का हिस्सा नास्य शिरोधारा भी एलर्जी में भी बहुत मदद करता है। इसमें खास तरीके से तेल नाक में डाला जाता है, एक्सपर्ट की देखरेख में इसे करें। 6. प्रतिदिन 15 मिनट तक अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका प्राणायाम करने से एलर्जी में फायदा होता है क्योंकि इनसे इम्युनिटी मजबूत होती है।

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