शरीर पर सफेद दाग (White spots on the body) - सफेद दाग को ल्यूकोडर्मा या विटिलिगो के नाम से भी जाना जाता है। सफेद दाग एक ऐसी समस्या है जो शरीर के विभिन्न अंगो की त्वचा पर सफेद दाग बनने लगते है
और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि त्वचा में रंग बनाने वाली मेलेनोसाइट्स नामक कोशिकाएं नष्ट हो जाती है। यह सफेद दाग की समस्या हमारी शरीर में श्लेष्मा झिल्ली और आँखों को प्रभावित करते है। यह एक ऑटो इम्यून डिज़ीज़ है, जिसमें व्यक्ति की इम्युनिटी पॉवर उसकी ही त्वचा को हानि पहुंचाने लगती है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की कार्य प्रणाली में होने वाली गड़बड़ी का परिणाम है। ऐसी स्थिति में त्वचा की रंगत निर्धारित करने वाले मेलेनोसाइट्स नामक सेल्स धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं, जिसके कारण त्वचा पर सफेद धब्बे नज़र आने लगते हैं। ये सफेद दाग शरीर में सिर्फ एक भाग पर भी हो सकते हैं या कई भागों में अलग-अलग फैल सकते हैं। इसके ठोस कारण के बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया है।
वैसे तो सभी प्रकार के त्वचा रोग तीनो दोषों के बिगड़ जाने से होते हैं। परन्तु जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से उभरा एवं बढ़ा हुआ देखे तो उसका उपचार पहले करें पर प्राय: ये वात, कफ की प्रधानता होने पर होते हैं। सामान्यत: यह समस्या होंठों और हाथ-पैरों पर अधिक दिखाई देती है। इसके अलावा शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर भी ऐसे दाग नज़र आ सकते हैं। यह आम समस्या है जिसके कारणों का पूरी तरह पता नहीं चल सका है। फिर भी उपचार द्वारा इसे कंट्रोल किया जा सकता है। कई बार यह अनुवांशिक कारणों से भी हो सकती है पर ये संक्रामक नहीं होती है मतलब छूने से दूसरों लोगों को संक्रमित नहीं करती हैं। कुछ लोग इससे बहुत अधिक डर जाते है और इसे कुष्ठ रोग की शुरूआती अवस्था समझने लगते है हाँलाकि इसका कुष्ठ रोग से कोई सम्बन्ध नहीं है यह एक प्रकार का चमड़ी रोग है जिससे शरीर के किसी अंदरूनी हिस्से को कोई भी हानि नहीं पहुँचती है और यूरोपीय देशों के लोग इसे रोग की श्रेणी में भी नहीं लेते। कई बार एक से डेढ़ साल तक की अवधि में यह बीमारी ठीक हो जाती है जबकि कुछ मामलों में नहीं होती। इस समस्या में शुरुआत में छोटा-सा दिखाई देने वाला यह दाग धीरे-धीरे काफी बड़ा हो जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली नहीं होती। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति हीन भावना उत्पन्न हो सकती है।
सफेद दाग होने के कारण-
एक ऐसी समस्या होना जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम खुद रंग बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है,अधिक देर तक धूप में काम करने और अत्यधिक तनाव के कारण,औद्योगिक केमिकल आदि के संपर्क में आना,अनुवांशिकता के कारण,लीवर रोग होना,जलने या चोट लगने के कारण,शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण,पेट में कीड़े होने के कारण, आदि कारण हो सकते है।
लक्षण- त्वचा के रंग का फीका पड़ जाना या सफेद हो जाना,
समय से पहले सिर के बाल, दाढ़ी, भौहें व पलकें आदि के बालों का रंग उड़ जाना या सफेद हो जाना, नाक और मुंह के अंदर त्वचा की परत के ऊतकों यानी टिश्यू का रंग हल्का हो जाना या सफेद हो जाना, रेटिना की अंदरूनी परत का रंग फीका पड़ जाना आदि लक्षण हो सकते है।
इस समस्या में क्या खाएं क्या ना खाएं-
क्या खायें-
फल- पपीता,अखरोट,खजूर,अंगूर,खुबानी।
सब्जियां- प्याज, मेथी, पालक, मूली, गाजर,चुकंदर, फलियाँ।
अन्य खाद्य पदार्थ- गुड,पिस्ता,बादाम,गेहूँ, आलू, देशी घी, लाल मिर्च, बंगाली चना।
क्या न खायें-
फल- काजू, सीताफल, सुखा आलूबुखारा, संतरा, तरबूज, खरबूजा, करौंदा, अमरूद।
सब्जियां- लहसुन, बैंगन, नींबू, टमाटर, अजमोदा।
दूध उत्पाद- छाछ, दूध, दही।
मांसाहारी भोज्य पदार्थ- मछली, लाल मीट।
अन्य खाद्य पदार्थ- चिकनी तीखी और मसालेंदार चीजें,जंक फूड, चॉकलेट, कॉफी, कार्बोनेट पेय पदार्थ।
घरेलू उपचार-
1.तांबा- ताम्बे के बर्तन में रातभर पानी भरकर रख दें। सुबह खाली पेट इसका पीने से शरीर में मेलेनिन का निर्माण होता है। यह वर्षो पुराना तरीका है जो मेलेनिन के निर्माण में सहायक होता है।
2.नारियल तेल - नारियल तेल में बैक्टीरियारोधी और एंटी-ऑक्सडेंट गुण होते है जो त्वचा का प्राकृतिक रंग पुनः प्रदान करने में सहायक है। इसका प्रयोग प्रभावित त्वचा पर दिन में तीन बार करें। लाभ होगा।
3. हल्दी - 1 कप सरसों के तेल में 5 चम्मच हल्दी पाउडर डालकर लेप तैयार कर लें और इस लेप को रोजाना दिन में दो बार लगाना है जब तक दाग ठीक ना हो तब तक लगते रहना है इसके अलावा आप हल्दी पाउडर और नीम की पत्तियों का लेप भी कर सकते हैं।
4. नीम - नीम एक बेहतरीन औषधि है जो हमारे खून को शुद्ध करती है और हमें संक्रमण से बचाती है। नीम की पत्तियां लेकर छाछ के साथ पीसकर लेप बना लें और इसे प्रभावित त्वचा पर लगायें और पूरी तरह सूखने पर इसे धो लें। इसके अलावा आप नीम की पत्तियों का जूस बनाकर पी सकते है और नीम के तेल का प्रयोग भी कर सकते हैं।
5.लाल मिट्टी - अदरक के रस में लाल मिटटी मिलाकर प्रभावित त्वचा पर लगायें। क्योकि लाल मिट्टी में भरपूर मात्रा में तांबा पाया जाता है, जो मेलेनिन के निर्माण और त्वचा के रंग का पुन: निर्माण करने में मददगार है।
6 अदरक - थोडा सा अदरक का रस निकाल कर एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से रक्तसंचार बेहतर होता है और मेलेनिन के निर्माण में अदरक काफी फायदेमंद है।