इस लेख को पढ़ने के बाद दूध (milk) के प्रति आपका नज़रिया बिल्कुल बदलने वाला है तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि रोज दूध (milk) का सेवन करने वाले दूध (milk) के बारे में कितना जानते है और दूध ना पीने वाले दूध से जुड़े कितने रहस्यों से अनजान है।
दोस्तों दूध हम रोज पीते है और हर घर में इसका इस्तेमाल होता ही है। आपको पता ही है दूध सेहत के लिये सबसे उत्तम पेय पदार्थ है। दूध में कैल्शियम, पोटैशियम और विटामिन डी होता है जो ना केवल हड्डियों के लिये ही बल्कि पूरी सेहत के लिये बढिया माना जाता है।
दोस्तों अक्सर लोग दूध को जब मर्जी आया पी लेते है जो की आयुर्वेद के अनुसार बहुत गलत है। आपको किस समय दूध पीना चाहिए ताकि आपकी body उस दूध से भरपूर मात्रा में protein और calcium को ग्रहण कर पाए।
तो दोस्तों आइये जानते है दूध के बारे में कि मोर्डन साइंस एस पर क्या कहती है और आयुर्वेद क्या कहता है।
Modern science के मुताबिक रात को 1 घंटा पहले बिना शक्कर का दूध पीना चाहिए क्यों की दूध पेट में पचने और body में क्रिया करने में समय लगाता है। दूध में मोजूद प्रोटीन और हार्मोन दिमाग को शार्प और स्थिर करने में आपकी मदद करता है और साथ ही इसमे अमीनो एसिड भी होता है
जिससे वो कफ प्रवृत्ति को बढा कर एक अच्छी नींद लाने में आपकी मदद करता है। अगर दूध पीने में भारी लगे तो उसमें थोड़ा पानी मिलाकर उबालकर फिर इसका सेवन किया जा सकता है।
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यानि Modern science के मुताबिक दूध रात को ही पीना चाहिए।
अब आते है आयुर्वेद की ओर -
दोस्तों आयुर्वेद के अनुसार भी दूध रात को ही पीना चाहिए। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा की रात को ही क्यों सुबह क्यों नही दिन में क्यों नही?
दोस्तों दूध आप सुबह या दिन के समय नही पी सकते क्योकि आयुर्वेद में ये कहा गया है की दूध कफ को बढाने वाला है और आपको पता होगा की सुबह के समय हमारा शरीर कफ प्रवर्ती के प्रभाव में रहता है ऐसे में अगर हम और ऐसी चीजो का सेवन करेगे जिससे कफ बढ़ता हो तो हमे कफ से सम्बंधित 28 रोग हो सकते है
जिनका भी शरीर में कफ बढ़ा हुआ होगा उसको आलस बहुत आएगा यानि नींद बहुत आएगी,काम में मन नही लगेगा खुलकर भूख नही लगेगी और शरीर में थकावट महसूस होगी इसीलिए आयुर्वेद में इसका सेवन रात में ही बताया गया है रात में किया गया दूध का सेवन कफ प्रवृति को बढाता है और अच्छी नींद लाता है
दोस्तों आपने देखा होगा की छोटे बच्चो को नींद बहुत आती है क्योकि उस समय वो दूध का सेवन ज्यादा करता है और उस समय बच्चा कफ प्रवर्ती के प्रभाव में रहता है, इसे आप ऐसे भी समज सकते है।
बचपन में हम कफ दोष के प्रभाव में रहते है, जवान होने पर पित्त दोष के प्रभाव में और बुजुर्ग होने पर वात दोष के प्रभाव में गिरे रहते है ...ऐसे ही दिन में होता है सुबह कफ दिन में पित्त और शाम को वाट दोष का प्रभाव हमारे शरीर में रहता है।
इसलिए अगर आपको जब भी ये कहा जाए की सुबह इन चीजो को न खाए,दिन में न खाए,रात में न खाए तो समज जाइए की ये चीजे उस समय की विपरीत है दोस्तों अभी तो केवल हम दूध के बारे में आपको बता रहे है आप एक बार सोचिये ऐसी कितनी चीजे होगी जिनका हम उलट सेवन करते है यानि जिनका सेवन उस समय नही करना चाहिये फिर भी हम करते है।
दोस्तों एक और छोटी सी बात समज लीजिये की अगर आपको रोग मुक्त रहना है जीवन में कभी भी बीमार नही पड़ना है तो शरीर के तीनो दोषों को सम रखना बहुत जरुरी है और ये सम तभी हो पायेगा
जब आप इनके उलट चीजे ना खाए इसलिए आयुर्वेद में भोजन किस तरह करना चाहिये कब क्या खाना चाहिये इसके बारे में पहले ही बताया जा चूका हैअगर आपको जानना है की कब क्या खाना है तो इस विषय पर हमने पहले ही चैनल पर विडियो अपलोड किया हुआ है उसका लिंक आपको विडियो के निचे आ रहे discrabtion बॉक्स में मिलेगा।
दोस्तों राजीव दिक्सित जी ने ये बाते पहले ही बता दी थी और उन्होंने भी आयुर्वेद में बताई बातो का बहुत परीक्षण किया।
उन्होंने कहा की आयुर्वेद के नियमो को कभी उल्टा पुल्टा न करे और अगर कोई करता है तो उन्हें भी रोकें क्योंकि इससे बीमारी लगने के चांसेस बहुत बढ़ जाते हे, और अगर किसी बीमारी में सुबह दूध पीना जारी रखा तो बीमारी कभी ठीक नही होगी इस बात का ध्यान रखें।
दोस्तों आयुर्वेद में दूध का सेवन सुबह एक चीज के साथ कर सकते है और वो है अर्जुन छाल ...अर्जुन छाल का दूध के साथ काढा बनाकर हम इसका सेवन कर सकते है ऐसा आयुर्वेद में बताया गया है।
अब दोस्तों दूध के विषय में थोडा आगे बढ़ते है।
कई लोग यह भी पूछते हे की दूध गाय का ज्यादा अच्छा होता है यां भेंस का ?
ये उलझन भी में आपकी दूर कर देता हु !
दोस्तों दोनों का दूध शरीर के लिए अच्छा हे परन्तु यह आपके शरीर पर निर्भर करता हे की गाय का दूध आपके लिए ज्यादा बेहतर हे या भेस का।
गाय का दूध उनके लिये ज्यादा बेहतर है जो साधारण जीवन व्यतीत करते है गाय का दुध आपकी याद्श्यत को तेज़ ओर स्वस्थ रखता है इसके 100 मिली. दूध में 61 कैलोरी होती है जबकि भैंस के 100 मिली. में 97 कैलोरी होती है। भैंस के दूध में (6.9 ग्राम वसा यानि फेट होता है।
जबकि गाय के दूध में 3.4 ग्राम फेट होता है।
दोस्तों अगर आप अपना वजन और मासपेशियां बढाना चाहते हैं, तो भैंस का दूध आपके लिये अच्छा है।
यह तो था विज्ञानं के द्वारा गणना किया हुआ जवाब अब आयुर्वेद के ग्रन्थ की बात करे तो आयुर्वेद के 3000 साल पुराने ग्रन्थ में यह दर्शाया गया है की भेंस का दूध वो ही व्यक्ति पि सकता है जो अखाड़े में कुस्ती करता हो या फिर बहुत मेहनत का काम करता हो
दोस्तों भेंस का दूध भारी होता है और उसमे फेट की मात्रा गाय के दूध के मुकाबले दोगुनी होती है,जिसके कारण इसको पचने में भी ज्यादा समय लगता है...क्योकि आपको पता है फेट लो डाईजेस्टिव है।
इसलिए गाय का दूध ही सर्वोतम बताया गया है आपको पता होगा की हमारे दादा परदादा भी गाय का ही दूध पिया करते थे और इस ज़माने के मुकाबले उस ज़माने के लोगो का दिमाग तेज चलता था और उन्हें दूध पिने से कोई परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता था क्यों की वह आयुर्वेद के इन पुराने ग्रंथों के नियमो का पालन करते थे।
पुराने ग्रन्थ जैसे अष्टांग हर्द्यम, अष्टांग संग्रहम, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि ग्रंथो को पढ़ते थे और उनमे बताये नियमो का पालन करते थे। दोस्तों आप सोच रहे होंगे की इन ग्रंथो में लिखे सारे स्वस्थ रहने के नियम वाकई में प्रभावकारी है, क्या सच में ये नियम काम करते है?
तो दोस्तों इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की आयुर्वेद के इन ग्रंथो के नियमो को जब पुस्तको में लिखा जा रहा था तब प्रतिएक नियम या सूत्र पर 50-50 बार परिक्षण किया गया था और फिर ही इन्हें पुस्तको में लिखा गया था...यानि आप खुद एक बार सोचिये की इन ऋषियों का सारा जीवन तो इन नियमो को बनाने में ही बीत गये होंगे।
तो आप समझ ही सकते है की इन ग्रंथो में लिखे एक- एक नियम कितने अचूक और कारगर है !
दोस्तों दूध के विषय में और भी ऐसी बाते है जिनसे हम अनजान है
अक्सर लोग दूध को फ्रीज में रख देते है और फिर उसे गर्म करते है।
दोस्तों इस बात का भी विशेष ध्यान रखे की फ्रीज़ से निकालने के बाद दूध दोबारा गर्म ना करे क्योंकी ऐसा करने के बाद दूध में से सारे गुण नष्ट हो जाते है अगर ऐसा हुआ तो वह दूध आपके किसी काम का नही रहता है,
कई लोग दूध को ठंडा और कई लोग गरम पीना पसंद करते हैं। आज हम आपको बतायंगे की किन्हें ठंडा दूध और किन्हें गरम दूध पीना चाहिए।
दोस्तों अगर दूध पीने से पेट आपका खराब होता हो, तो गरम दूध पियें गरम दूध पीने की एक अच्छी बात यह है कि इसे पीने से आपका शरीर इसे आराम से हजम कर सकता है। अगर आप ठंडा दूध पीना चाहते है तो ठंडे दूध को कार्नफ्लेक्स या ओट्स के साथ मिला कर पी सकते हैं, लेकिन दोस्तों अगर आपको दूध हजम ना होता हो, तो ठंडा दूध एक बार में पीने से बचें। जब दूध को गरम किया जाता है तो, उसमें मौजूद लैक्टोज ब्रेक डाउन हो जाता है, जिससे वह पेट में जाने के बाद डायरिया या पेट को नहीं फुलाता है।
ठंडा दूध एसिडिटी को शांत करता है अगर आपको सीने में जलन और एसिडिटी की समस्या है तो, ठंडा दूध पियें। खाना खाने के बाद आधा गिलास ठंडा दूध पी लेने से अत्यधिक एसिड उत्पादन कम हो जाता है और एसिडिटी शांत हो जाती है।
नही तो वेसे आपको दूध ना ज्यादा ठंडा और ना ज्यादा गर्म हो दूध को कमरे के तापमान जितना होना चाहिए...उसे भी आप पी सकते है।
दोस्तों अक्सर लोग दूध को इसलिए नही पीते क्योकि उनके दूध हजम नही होता...दूध पिते ही उनको तुरंत दस्त हो जाते है या पेट फूल जाता है यानि पेट में गेस भर जाती है ...अगर जिन भी व्यक्ति को ऐसी समस्या होती हो उनके लिए आयुर्वेद में एक बहुत ही अच्छा उपाय बताया गया है पंचकोल चूर्ण।
दोस्तों इस चूर्ण के सेवन से आपका दूध बहुत ही आसानी से पचेगा क्योकि ये आपके शरीर में दूध को पचाने वाले तत्वों का निर्माण करता है जिससे दूध आसानी से पच जाता है,ये चूर्ण 5 चीजो का योग है इसलिए इसे पंचकोल चूर्ण कहते है।
ये पंचकोल चूर्ण आपको पतंजली स्टोर पर आसानी से मिल जायेगा इसको लाकर सुबह आधी गिलास पानी में एक छोटा चमच्च पंचकोल चूर्ण की मिलाये और शाम को इस पानी में से चूर्ण को मसलकर छान ले और एस पानी को पि जाये फिर इसके 10 मिनट बाद आप दूध पी सकते है तो इससे आपका दूध आसानी से पचेगा।
पंचकोल चूरन को दूध को लेकर आपके मन में एक और सवाल आ रहा होगा की दूध को फीका ही पिए या मीठा दोस्तों दूध अगर आप फीका पीते है तो ये आपके लिए बहुत अच्छा है क्योकि दूध में एक प्राकृतिक मिठास होती है वो आप गाय का ताजा ताजा निकाला हुआ दूध पीकर उसमें मोजूद मिठास को महसूस कर सकते है
पर आजकल के दोर में हर चीज में मिलावट बढ़ने के कारन हम प्रक्रति दुआरा निर्मित चीजो का मजा नही ले पाते है दोस्तों दूध को मीठा करने के लिए लगभग सभी लोग शक्कर का इस्तेमाल करते है आज के बाद आप भूलकर भी शक्कर का इस्तेमाल नही करेंगे,हां दोस्तों आपने बिलकुल सही सुना सफ़ेद शक्कर का इस्तेमाल नही करना है।
इस्तेमाल क्यों नही करना है ये बाद का विषय है अभी इस पर बात करेंगे तो एक अलग ही टॉपिक बन जायेगा,इसलिए आगे आने वाली विडियो में इस विषय बात करेंगे, अभी आपको दूध को मीठा करने के लिए क्या मिलाना है
ये आपको जानना जरुरी है दूध को मीठा करने के लिए आप इसमे डोरेवाली मिश्री का इस्तेमाल कर सकते है इसके अलावा आप दूध को मीठा करने के लिए गुड का इस्तेमाल कर सकते है।
या फिर आप दूध में ठंडाई मिलाकर भी पी सकते है,दूध में ठंडाई डालकर पिने से पेट में जलन,एसिडिटी,अपच,अल्सर जैसी समस्याए दूर होती है।
दोस्तों सूखे मेवे के साथ बनाई गयी ठंडाई दिमाग को ठण्डा रखती है !
परन्तु एक बात का अवश्य ध्यान रखे की दूध पिने के तुरंत बाद मॉस मदीरा का सेवन कदापि ना करे क्योकि इससे चमड़ी के रोग होते है।
इसके साथ ही खट्टी व मसालेदार चीजों का सेवन दूध के साथ नहीं करना चाहिए।
ज्यादातर लोग सब्जियों से बने पराठों का सेवन जैसे मूली व प्याज़ के पराठे दूध के साथ सेवन करते है,जिसके कारन उनको त्वचा से सम्बंधित रोग होने लगते है,इसलिए भूलकर भी दूध का सेवन खट्टी व तीखी चीजो के साथ बिलकुल न करे।
पर दोस्तों आवला एक ऐसी चीज है जो खट्टी होने पर भी हम दूध के साथ इसका सेवन कर सकते है।
आवला और दूध का सेवन शरीर को स्वस्थ व दिमाग तेज करता है व वजन भी कम करता है !
दोस्तों अभी आपने जाना की दूध का सेवन कब और कैसे करना चाहिए।
पर दोस्तों आपको पता है पुरे साल भर में एक महिना ऐसा भी आता है जिसमे हमें दूध का सेवन नही करना चाहिए।
उस महीने में हम दूध से परहेज रखे तो ही अच्छा है वो महिना हे अश्विन का महिना जो की 21 सितम्बर से 19 अक्टूबर तक रहता हे इस महीने में दूध पिने के लिए इसलिए मना किया जाता है।
क्यों की इस महीने में पशुओं की सेहत थोड़ी ठीक नही रहती उनके पेट में गैस ज्यादा स्तर पर रहती हे जिस से वो दूध में भी प्रवेश कर सकती है। इसलिए आप याद रखिये की 21 सितम्बर से 19 अक्टूबर तक आपको दूध का सेवन नही करना है।