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Rambaan Aushadhi

अद्भुत जड़ी बूटियों से बनी चाय (herbal tea) कब्ज, पेट में जलन, भूख  न लगना , चेहरे  पर पिम्पल होना, गैस बनना , आदि रोग से छुटकारा दिलाये
हर्बल चाय (herbal tea)के फायदे- लोगों की मान्यता है कि चाय-कॉफी पीने से शरीर व मस्तिष्क में स्फूर्ति आती है, ऐसे बहाने बनाकर मनुष्य इसके व्यसन में अधिकाधिक गहरे उतरते जा रहे हैं।
शरीर, मन, मस्तिष्क तथा पसीने की कमाई गँवा देते हैं और भयंकर रोगों में फँसते जाते हैं, भूख मर जाती है, पाचनशक्ति मंद पड़ जाती है, मस्तिष्क सूखने लगता है और इससे नींद भी हराम हो जाती है। ऐसे तुरंत मिलने वाली कृत्रिम स्फूर्ति को सच्ची स्फूर्ति मानना यह बड़ी भारी भूल है।

चाय-कॉफी के घातक दुष्परिणाम

चाय-कॉफी में पाये जाने वाले केमिकल्स व उनसे होने वाली हानियाँ-
केफिनः ऊर्जा व कार्यक्षमता कम होती है। कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नेशियम आदि खनिजों तथा विटामिन 'बी' का ह्रास होता है। कोलेस्टरोल बढ़ता है। परिणामतः हार्टअटैक हो सकता है। पाचनतंत्र कमजोर होने से कब्ज और बवासीर होती है। रक्तचाप व अम्लता बढ़ती है।
नींद कम आती है। सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, मानसिक तनाव उत्पन्न होते हैं। गुर्दे और यकृत खराब होते हैं। शुक्राणुओं की संख्या घटने लगती है। वीर्य पतला होकर प्रजननशक्ति कम होती है। यह गर्भस्थ शिशु के आराम में विक्षेप करता है, जो जन्म के बाद उसके विकृत व्यवहार का कारण होता है। अधिक चाय-कॉफी पीने वाली महिलाओं की गर्भधारण की क्षमता कम होती है।
गर्भवती स्त्री अधिक चाय पीती है तो नवजात शिशु को जन्म के बाद नींद नहीं आती। वह उत्तेजित और अशांत रहता है, कभी-कभी ऐसे शिशु जन्म के बाद ठीक तरह से श्वास नहीं ले सकते और मर जाते हैं। संधिवात, जोड़ों का दर्द, गठिया व त्वचाविकार उत्पन्न होते हैं।
टेनिनः अजीर्ण व कब्ज करता है। यकृत को हानि पहुँचाता है। इससे आलस्य व प्रमाद बढ़ता है, चमड़ी रूक्ष बनती है। थीन: से खुश्की चढ़ती है, सिर में भारीपन महसूस होता है। सायनोजनः अनिद्रा, लकवा जैसी भयंकर बीमारियाँ पैदा करता है। एरोमिक ओईलः आँतों पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
अधिक चाय पीने वाले मधुमेह, चक्कर आना, गले के रोग, रक्त की अशुद्धि, दाँतों के रोग और मसूड़ों की कमजोरी से ग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए चाय-कॉफी का सेवन कभी न करें। अब इसके स्थान पर आपको क्या करना है ताकि आपकी चाय की पीने की लालसा पूर्ण हो सके।
अभी एक बहुत ही जबरदस्त प्रयोग आपको बताया जा रहां है... चाय-कॉफी के स्थान पर.....
जब भी चाय-कॉफी पीने की इच्छा हो तब उसके स्थान पर निम्नलिखित प्रयोग करके उसका सेवन करने से अत्यधिक लाभ होगा एवं सर्दी, जुकाम, खाँसी, श्वास, कफजनित बुखार, निमोनिया आदि रोग कभी नहीं होंगे।

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सामग्री -
बनपशा , छाया में सुखाये हुए तुलसी के पत्ते, दालचीनी , छोटी इलायची , सौंफ , ब्राह्मी के सूखे पत्ते, छिली हुई यष्ठिमधु – प्रत्येक वस्तु एक-एक तोला (लगभग 12-12 ग्राम)।
इन सबको अलग-अलग पीसकर मिश्रण बनाकर रखें। जब चाय पीने की इच्छा हो तब आधा तोला ( लगभग 6 ग्राम) चूर्ण को एक रतल (450 ग्राम) पानी में उबालें। आधा पानी शेष रहे तब छानकर उसमें दूध, मिश्री मिलाकर पियें। इससे मस्तिष्क में शक्ति, शरीर में स्फूर्ति और भूख बढ़ती है

पाचनशक्ति व बुद्धि वर्धक, हृदय के लिए हितकारी

14 जड़ी बूटियो से बनी ओजस्वी चाय

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