विपश्यना क्या है, (What is vipassana) इसे कैसे किया जाता है इसकी पूरी जानकारी
विपश्यना का अर्थ है - विशेष तौर से देखना स्वयं को विशेष तौर से देखने की तकनीक।
इस लेख को में 21-10-2020 की सुबह 6 बजे लिख रहा हूँ और आज ही मैं 3 बजे से पूर्व विपश्यना के लिए रवाना हो जाऊंगा। आज के दिन धम्म पुष्कर(कडेल) के विपश्यना केंद्र में मेरी 10 दिन के ध्यान की शुरुआत होगी।
मैं यहाँ दूसरी बार जा रहा हूँ। यह लेख में आपके लिए लिख रहा हूँ ताकि आप भी विपश्यना करके मन को शांत कर सके और दुःख-सुख के बीच शांति के मार्ग को जान सकें। यह भीतर की और मुड़ने का सही मार्ग है। आप यहां से अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर सकते है। पूरे भारत में इसके करीब 84 से भी ज्यादा सेंटर(केंद्र) मौजूद है इसके अलावा अन्य देशों में भी इसके केंद्र मौजूद है। अगर आपको पता करना है कि क्या विपश्यना केंद्र आपके शहर में भी है तो इसका पता आप आसानी से लगा सकते है। आप इस लिंक पर क्लिक कीजिये।
Link:- https://www.dhamma.org/en-US/locations/directory#IN
इस वेबसाइट पर जाकर आप आसानी से कोर्स का पता लगा सकते है। यहाँ हर सेंटर की एक अलग वेबसाइट है, यहां जाने के बाद आपको "India" को सलेक्ट् करना है वहां आपको इंडिया के किस-किस राज्य और जिले में इनके सेंटर है इसकी जानकारी दी हुई है। कोई समस्या होने पर आप सेंटर में कॉल भी कर सकते है।
अब मैं आपको विपश्यना के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते बता रहा हूँ जिनका आपको ध्यान रखना है-
सबसे पहले मैं तो यह कहूँगा कि यह विद्या बिलकुल फ्री है, यहाँ रहने और खाने के कोई भी चार्जेज (Charges) आपसे नही लिए जाते। हाँ, आप चाहे तो साधना करने के पश्चात् कुछ डोनेशन अपनी इच्छानुसार दे सकते है। भारत में मौजूद यह सभी विपश्यना सेंटर डोनेशन से ही चलते है।
यह 10 दिन की ध्यान विधि है यानि 10 दिन आप बाहरी दुनिया से संपर्क काट लेते है और इन पूरे 10 दिनों में आपको मौन धारण रखना होता है। आर्य मौन, यानि इशारे में भी बात नही कर सकते। हालाँकि आवश्यकता पड़ने पर सहायक आचार्य से और भोजन, आवास या व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कठिनाई होने पर आप धम्म-सेवक/ व्यवस्थापक से संपर्क कर सकते हैं।
इस दौरान टेलीफोन, मोबाइल, तार, फैक्स, पत्राचार या ई-मेल आदि बाहरी संपर्क पूर्णतया वर्जित हैं।
पुरुष और महिला आवासीय व्यवस्था पृथक-पृथक है। अत: पुरुष और महिला साधक आपस में सम्पर्क नहीं कर सकते फिर चाहें वे पति-पत्नी, मित्र हो या रिश्तेदार ही क्यों न हों | शिविर-काल के दौरान साधकों का आपस में किसी भी तरह का शारीरिक सम्पर्क नहीं हो फिर चाहे वो महिला हो या पुरुष।
शिविर के दौरान ढीले, आरामदायक सूती कपडे उदाहरण के लिए पुरुषों के लिए सूती कुर्ता-पजामा, धोती-कुर्ता और महिलाओं के लिए सलवार-कुर्ता, साड़ी आदि सुविधाजनक रहते हैं। कसे हुए, झीने, पारदर्शी व छोटे कपडे जैसे स्कर्ट्स, शॉर्ट्स पूर्णतया वर्जित है। यह इसलिए आवश्यक है ताकि दूसरों का ध्यान आपकी तरफ आकर्षित न हो।
आवेदक अपनी सामान्य आवश्यकता के सामान जैसे कि तौलिया, नहाने के लिए साबुन, टूथपेस्ट व टूथब्रश, मच्छर दूर रखने का उपकरण, अलार्म घडी, टॉर्च, थर्मस या पानी की बोतल, बारिश के मौसम के लिए छाता (जून से सितम्बर), सर्दी के मौसम (नवम्बर से मार्च) में शॉल या स्वेटर या सर्दी से बचने के लिए कोई भी गरम कपडे साथ में लायें।
केंद्र की ओर से आवेदक को गद्दा-तकिया, एक चद्दर, ओढ़ने के लिए एक रजाई/कम्बल और ध्यान करने के लिए कुशन केंद्र की ओर से उपलब्ध करवाया जायेगा । साधक यदि चाहें तो अपनी सुविधानुसार बिस्तर साथ ला सकते हैं।
अगर किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं जैसे कि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मिर्गी, हृद्दय-रोग, मानसिक कमजोरी आदि हो तो ऐसे व्यक्तियों को शिविर में भाग लेने के लिए अपने साथ सम्बंधित चिकित्सक से स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र लाना आवश्यक है साथ ही पंजीकरण के समय अपने आचार्य को पूर्व-सूचित करना अनिवार्य है।
शिविर के दौरान केंद्र पर सादा भारतीय शाकाहारी भोजन ही परोसा जाएगा। केंद्र पर बाहर का भोजन वर्जित है।
ध्यान रहे इसे भूलकर भी किसी संप्रदाय से मत जोड़ देना - यह तो ज्ञान की गंगा है यहाँ सभी सप्रदाय के लोग अपनी प्यास बुझाने आते है।
विपश्यना के लाभ-
मन एकाग्र होने लगता है, स्मरण शक्ति बढती है।
स्वयं की खूब प्रगति होने लगती है।
मन धैर्यवान बनता है और निर्णय लेने की शक्ति बढती है।
कोई भी बात समझने और समझाने की शक्ति बढ़ जाती है।
आत्मविश्वाश बढ़ता है मानसिक संतुलन बना रहता है।
आलस्य, किसी पर संदेह करना, नकारात्मक विचार, उदासी और बेचैनी खत्म होती है।
अपने साहस में वृद्धि होती है।
पुराने संस्कार ये सब विपश्यना से खत्म हो जाते है।
अति महत्पूर्ण बात - इस शिविर में भाग लेने के पश्चात 2 गलतिया व्यक्ति से हो सकती है। पहली गलती कि "साधना" को शुरू ही न करना और दूसरी गलती "मार्ग" को बीच में ही छोड़ देना। कई लोग साधना को बीच में छोड़ देते है जो अपनी बहुत बड़ी हानि कर बैठते है। 2018 में जब पहली बार मैं विपश्यना गया तब इसे बीच में छोड़कर जाने का मन मेरा भी हुआ, यह साधना के तीसरे दिन और छठे दिन साधक के साथ ऐसा होता है, ऐसा कई बार देखा जा चूका है। यह इसलिए होता है क्योंकि हम मन और शरीर की दिनचर्या के विरुद्ध कार्य कर रहे है। तो वह विद्रोह करेगा ही कि ये क्या करने लगे। यहां हमे संयम रखना अति आवश्यक है और भूलकर भी साधना को बीच में नही छोडनी है चाहे कुछ भी जाए।
बहुत कुछ बाते है जो मुझे आपको बतानी है वो मैं आने के बाद आपको जरुर बताऊंगा। साधना के पश्चात मुझे किसी दूसरी जगह भी जाना है तो में में 8-11-2020 को घर लौटूंगा।
भावनाओं की इस जंग मे मैं विजयी होऊ और उस परमानंद को पाऊ जिसे पाना सबका मूल कर्तव्य है ऐसा आशीर्वाद आप सभी मुझे दें ।
आप सभी का प्यार मुझ पर बना रहे।
सबका मंगल हो...सबका कल्याण हो...सबकी स्वास्थ्य मुक्ति हो।