वायरस Virus क्या हैं विषाणु (virus) अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं,
शरीर के बाहर तो यह मृत-सम्मान होते हैं। परन्तु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं इन्हें क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता हैं। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता हैं।
यह सैंकड़ों वर्षो तक सुसुप्तावस्था में रह सकता हैं और जब भी एक जीवित माध्यम या धारक के संपर्क में आता हैं तो उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता हैं और जीव बीमार हो जाता हैं। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता हैं।
वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता हैं और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनुरुत्पादन शुरू कर देती हैं।
वायरस कोशिका के बाहर तो मरे हुए होते हैं,लेकिन जब यह कोशिका में प्रवेश करते हैं तो इनका जीवन चक्र प्रारम्भ होने लगता हैं। प्रकृति के अनुसार विषाणु तीन प्रकार के होते हैं। (1) पादप विषाणु (plant virus) (2) जन्तु विषाणु (animal virus) (3) जीवाणुभोजी (Bacteriophage)।
विषाणु, लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी एक लाभप्रद विषाणु हैं, यह हैजा,पेचिश, टाइफाइड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता हैं।
कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं। एवं हानिप्रद होते हैं। एचआईवी, इन्फ्लूएंजा वाइरस,पोलियो वाइरस रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा,वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संरचण होता हैं परन्तु विशिष्ट विधियों द्वारा संरचण करते हैं।
वायरस क्या हैं - वायरस मतलब विषाणु और विषाणु मतलब विष और (विष) मतलब पॉयजन तो हमें पॉयजन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा क्या करना हैं हमें स्वस्थ रहना हैं,हमारी इम्युनिटी को स्ट्रोंग करना हैं
हमारी इम्युनिटी स्ट्रोंग रहेगी तो हम स्ट्रोंग रहेंगे और पूरा वल्ड भी स्वस्थ रहेगा। तो अब हमें जानना हैं की वायरस क्या होते हैं (वायरस) यानी हिंदी में कहते हैं विषाणु आपके आस-पास की हवा में छिकने,खासने या सांस लेने मात्र से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं
यह कोरोना वायरस अन्य वायरस की तुलना में तेजी से शरीर के माध्यम से यात्रा कर सकता हैं चीन के डेटा में पाया गया की लक्षण शुरू होने के 1 दिन बाद ही covid 19 वाले लोगों के नाक और गले में वायरस का संक्रमण मिला हैं। तो सबसे जरूरी हैं हमारे शरीर का ध्यान रखना हमारी इम्युनिटी को इट्रोंग रखना।
वायरस एक नहीं अनेक हैं अनगनित हैं पर खौफ अभी कोरोना का ही हैं लोगों पर वायरस अटैक करने से पहले तो खौफ से ही मर रहे हैं। इन वायरस में से एक वायरस और हैं (हंता) सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़ हंता वायरस चूहों से फैलता हैं।
अगर कोई इंसान चूहों के मल- मूत्र या लार को छूने के बाद अपने चेहरे पर हाथ लगाता हैं तो हंता संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती हैं। लेकिन आमतौर पर हंता वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं जाता हैं।
हंता संक्रमण का पता लगने में एक से आठ हफ्तों का वक्त लग सकता हैं। अगर कोई व्यक्ति की हालत बिगड़ने पर फेफड़ों में पानी भरने और सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती हैं।
हंता वायरस के लक्षण- हंता वायरस के लक्षण को आप आसानी से पहचान सकते हैं रिसर्च के अनुसार जब कोई इंसान में हंता वायरस से संक्रमित होने पर उसे 101 डिग्री के ऊपर बुखार होता हैं,
उसकी मांसपेशियों में दर्द रहता हैं और उसे सिर दर्द भी रहता हैं। इसके साथ-साथ हंता वायरस से संक्रमित व्यक्ति को मितली,उल्टी और पेट दर्द की समस्या भी होने लगती हैं साथ ही साथ त्वचा पर लाल दाने भी उभरने लगते हैं।
जीवाणु और बैक्टीरिया में क्या फर्क हैं - जीवाणु एक एककोशिकीय जीव हैं। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता हैं, इनकी आकृति गोल या मुक्त- चक्राकार से लेकर छड आदि आकार की हो सकती हैं ये अकेंद्रिक,कोशिका भित्तियुक्त, एककोशिकीय सरल जीव हैं
जो प्राय: सर्वत्र पाए जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिटटी में,अम्लीय गर्म जल-धाराओं में नाभिकीय पदार्थों में जल में,भू पपड़ी में,यहाँ तक की कार्बनिक पदार्थो में तथा पौधों में और जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाए जाते हैं। जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टीरियालोजी के अंतर्गत किया जाता हैं,
जो की सूक्ष्म जैविकी की ही एक शाखा हैं। मानव शरीर में जितनी भी मानव कोशिकाएं हैं,उसकी लगभग 10 गुणा संख्या तो जिवाणुकोष की ही हैं। इनमें से अधिकाँश जीवाणु त्वचा तथा आहार नाल में पाएं जाते हैं।
हानिकारक जीवाणु इम्यून तन्त्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुँचा पाते। कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे -हैजा, मियादी, बुखार, निमोनिया, तपेदिक या क्षयरोग,प्लेग इत्यादि सिर्फ क्षय रोग से प्रतिवर्ष लगभग 20 लाख लोग मरते हैं।
जिनमें से अधिकाँश उप-सहारा क्षेत्र के होते हैं। विकसित देशों में जीवाणुओं के संक्रमण का उपचार करने के लिए तथा कृषि कार्यो में प्रतिजैविक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक शक्ति विकसित होती जा रही हैं
औद्योगिक क्षेत्र में जीवाणुओं का किण्वन क्रिया द्वारा दही, पनीर, इत्यादि वस्तुओं का निर्माण होता हैं। इनका उपयोग प्रतिजैविकी के क्षेत्र में होता हैं।
विषाणु विज्ञान क्या होता हैं - विषाणु विज्ञान जिसे प्राय: सूक्ष्मजैविकी या विकृति विज्ञान का भाग माना जाता हैं, जैविक विषाणुओं व विषाणु-सम अभिकर्ताओं के वर्गीकरण, संरचना एवं विकास उनकी प्रजनन हेतु कोशिका दूषण या संक्रमण पद्धति, उनके द्वारा होने वाले रोगों,
उनके पृथक करने व संवर्धन करने की विधियाँ, तथा उनके अंतनिर्हित शक्तियाँ शोध व प्रयोगों में करने के अध्ययन को विषाणु विज्ञान कहते हैं। विषाणुओं के अध्ययन की एक मुख्य प्रेरणा यह तथ्य हैं,की वे कई संक्रामक रोग पैदा करते हैं।
इन रोगों में जुखाम,इन्फ्लुएंजा, रेबीज, खसरा दस्त के कई रूप, हैपेटाइटीस, येलो फीवर, पोलियों, चेचक कोरोना वायरस तथा एड्स तक आते हैं। कई विषाणु, जिन्हें ओंकोवायरस कहते हैं। कई तरह के कैंसर में भी योगदान देते हैं।
कई उप-विषाणु कण भी रोग का निमित्त हैं एक उपग्रह विषाणु। विषाणु जिस शैली में रोग करते हैं उसका अध्ययन विषाणवीय रोगजनक या वायरल पैथोजैनेसिस कहलाता हैं। जिस श्रेणी तक कोई विषाणु रोग करता हैं,उसे वायुरुलेंस कहते हैं।