टाइफाइड बुखार (Typhoid fever) -
टाइफाइड बुखार (Typhoid fever) एक प्रकार का गंभीर बुखार होता है
जो दूषित पानी पीने से और दूषित पानी का उपयोग करता है जो दूषित पानी से नहाने से भी यह रोग हो सकता है यह सेलमोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के कारण फैलता है। यह बैक्टीरिया खाने या पानी के माध्यम से लोगों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता है। वैसे, कई बार मौसम में परिवर्तन की वजह से भी यह बुखार आ सकता है। इसके अलावा भी अगर घर में अगर किसी को पहले से टाइफाइड है तो उसको घर के अन्य सदस्यो को भी इसका खतरा रहता है इसलिए बेहद सावधानी बरतना आवश्यक है। टाइफाइड होने पर रोगी को तेज बुखार आता है जो 103 से 104 डिग्री तक हो सकता है। सामान्यत: यह बुखार एक से दो सप्ताह तक रहता है। तेज बुखार के अलावा, टाइफाइड से पीड़ित रोगी को छाती में कफ जम जाना , पेट में दर्द होना, भूख न लगना, सिर और शरीर के अन्य भागों में दर्द होना दस्त की परेशानी होती है। टाइफाइड पाचन-तंत्र और शरीर में बहने वाले रक्त के लाल रंग के पदार्थ में बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। गंदे पानी, संक्रमित जूस या पेय के साथ साल्मोनेला बैक्टीरिया शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाता है। टाइफाइड के जीवाणु पानी या सूखे मल में हफ्तों तक जिंदा रह सकता है। इस तरह से दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में पहुँचकर संक्रमण का कारण बनता है। जब कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति का जूठा खाद्य-पदार्थ खाता या पीता है तो इससे दूसरे व्यक्ति को टाइफाइड रोग होने की संभावना बन जाती है। कई शोध यह बात कही जाती हैं कि टाइफाइड बुखार की वजह से इंसान में जल्द बुढ़ापा भी आ सकता है, इसकी वजह टाइफाइड के बैक्टीरिया से शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। स्नान से मनुष्य का शरीर दृढ़ और मजबूत हो जाता है। उसे ताजगी की अनुभूति होती है। त्वचा फ्रेश एवं खूबसूरत दिखती है। टाइफाइड में कमजोरी होने पर जब आपको थकान या आलस्य महसूस हो तो भी हिम्मत करके गरम पानी से स्नान करें। यदि रोगी स्वयं उठकर स्नान न कर पाए तो उसके शरीर में स्पौंजिंग करनी चाहिए। नहाने और स्पौंजिंग के लिए हमेशा गर्म पानी का उपयोग करें। पसीना आने से बुखार कम हो जाता है। टाइफाइड का बैक्टीरिया मनुष्यों के आंतों और रक्तप्रवाह में रहता है। यह एक संक्रमित व्यक्ति के मल के सीधे संपर्क में आने से दूसरों मनुष्यों में फैलता है। यह संक्रमण हमेशा एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को ही होता है, और मनुष्यों तक किसी भी जानवर से नहीं पहुँचता है। अगर इसका सही समय पर उपचार नहीं किया जाएँ तो हर 4 में से 1 व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और अगर उपचार सही समय तक किया जाएँ 100 में लोगों में से 4 से भी कम लोगो के लिए टाइफाइड घातक सिद्ध होगा। साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु मुंह में प्रवेश करता है और 1-3 सप्ताह तक हमारी आंतों में रहता है। उसके बाद यह आंतों की दीवार के जरिये खून में चला जाता है। और खून के जरिये यह अन्य ऊतकों और अंगों में फैल जाता है। जिससे आपकी इम्युनिटी साल्मोनेला टाइफी से नहीं लड सकती क्योंकि यह बैक्टीरिया आपकी कोशिकाओं में बिना आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली से प्रभावित हुए सुरक्षित रह सकता है।
टाइफाइड के लक्षण-

