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Rambaan Aushadhi

Sunrise Sunset

सूर्योदय से सूर्यास्त (Sunrise Sunset) तक 1 स्वस्थ व्यक्ति की दिनचर्या अक्सर हम यह देखते हैं कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय हमें सूर्य बड़ा दिखता है। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य बड़ा क्यों दिखता है?

उस वक्त उसकी किरणें हल्की होती हैं। ऐसे में वह हमें पूर्ण रूप में दिखता है। लेकिन जब वह पूरी तरह उदित हो जाता है तो उसकी किरणों की रोशनी बहुत तेज हो जाती हैं। हमारी आंखें उसपर नहीं ठहरती हैं। तब हमें वह छोटा दिखता है क्योंकि हम उसके भीतरी भाग को ही देख पाते हैं।

1. स्वस्थ रहने के लिए ब्रह्मामुहूर्त में (सूर्योदय से डेढ़ घंटा पहले) सोकर उठें।

2.सुबह उठते ही सबसे पहले मुँह की लार काजल की तरह आँखों में लगायें , इससे आँखों को लाभ पहुंचता है।

3. शौच आदि क्रियाओं से निवृत होकर दातुन (मीठी दातुन में महुआ, कटु रस में करंज, तिक्तरस में नीम और कषाय रस में ख़ैर) या मंजन करें।

मंजन बनाने की विधि

त्रिकटु (सौंठ,पीपल,काली मिर्च ) का चूर्ण शहद में मिलाकर या सेंधा नमक को हल्दी,सरसों के तेल में मिलाकर या गोभस्म (गाय के उपले को जलाकर प्राप्त राख) में सेंधा नमक मिलाकर मंजन तैयार करे।

4. दातुन करने के बाद चांदी,तांबे की बनी जीभी से जीभ साफ करें या दातुन को दांतों से बीच से काटकर उससे जीभ साफ करें।

5.जीभ साफ करने के बाद कुल्ला करके योग,प्राणायाम करें।

6. स्नान करने से पहले शरीर के सभी अंगो पर तेल की मालिश करें क्योंकि यह शरीर को ताकत देता है। सिर कान और पैरों के तलवों, नाभी में तो अवश्य तेल लगाना तथा डालना चाहिए।

तेल लगाने के गुण

Sunrise Sunset

सम्पूर्ण अंगो में तेल की मालिश करने से वात,कफ थकावट ठीक होती है,यह शरीर का बल, सुख नींद, वर्ण, कोमलता और आयु बढ़ाने वाला होता है। त्वचा से संबंधी समस्याओं में भी बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है। तेल की मालिश करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्त संचार भी बेहतर होता है। यह शरीर में गर्माहट पैदा करने में भी मददगार होता है। तेल अपनी तासीर और गुणों के कारण कई तरह की समस्याओं में औषधि‍ के रूप में भी उपयोग किया जाता है।

7. मालिश के बाद किया जाने वाला स्नान जठराग्नि प्रदीप्त करने वाला, आयु बढ़ाने वाला,थकावट दूर करने वाला, चेहरे पर रौनक तथा बल देने वाला,खुजली,मल,पसीना,प्यास,जलन को दूर करने वाला होता है।अत्यंत गर्म पानी सिर पर नहीं डालना चाहिए इससे आँखों की रौशनी कमजोर होती है।

8. सुबह का भोजन 7 से 9 तक करना चाहिए।भोजन में पोष्टिक आहार जैसे फल,रोटी,चावल,सब्जी,दाल,गुड़ आदि होना चाहिए। जठराग्नि सुबह 7 से 9 बजे तक सूर्योदय से 2 घंटे तक सबसे अधिक तीव्र होती है।

9. दोपहर का भोजन 1 से 2 बजे तक करना चाहिए और शाम का भोजन 5 से 6 बजे तक करना चाहिए।सुबह भरपूर भोजन करना चाहिए,दोपहर का भोजन सुबह का आधा होना चाहिए और शाम का भोजन दोपहर का आधा होना चाहिए। भोजन हमेशा जमीन पर बैठकर करें।

10. सूर्यास्त के 40 मिनट पहले भोजन करे और रात्रि में भारतीय देशी गाय का दूध लेना लाभदायक है।

11. भोजन के अंत में पानी पीना विष के समान है।भोजन करने के कम से कम 48 मिनट पहले पानी पियें और भोजन के एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। भोजन के अंत में एक-दो घूंट पानी गला साफ करने के लिए पि सकते है।पानी जब भी पियें जब भी पियें घूंट-घूंट करके व निचे बैठकर पियें।

12. भोजन के बाद 10 मिनट वज्रासन में बैठना लाभदायक है।

13. सुबह और दोपहर के भोजन के बाद 20 मिनट बायीं करवट लेटना चाहिए।(विष्णु मुद्रा में)

14. शाम के भोजन के बाद कभी नहीं सोना चाहिए। सांय के भोजन के बाद 500 से 1000 कदम चलें।

15. हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके सोये।

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