Save on drowning

अगर कोई पानी में डूब गया तो उसे कैसे बचाए (Save on drowning)

अगर कोई पानी में डूब गया तो उसे कैसे बचाए (Save on drowning) बरसात के मौसम में डूबने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। कई लोग तैरना सीखने के लिए या नहाने के लिए नदी-तालाब में उतर जाते है

जब वह तैरना सीखने के चक्कर में तालाब या नदी की गहराई तक चले जाते है जिससे वह पानी में डूब जाते है अधिकतर केस इसी तरह डूबने के मिलते है। या फिर जिन लोगो को मामूली तैरना आता है वह लोग बड़े जलस्रोतों में अपना टैलेंट दिखाने उतर जाते हैं।

ऐसे लोगों के डूबने का खतरा अधिक रहता है। अच्छा यही होगा पूरी तैराकी सीखें बिना इस तरह का रिस्क नहीं उठाएं। जब कोई व्यक्ति पानी में डूब जाता है और उसे तुरंत निकालने के लिए कोई नहीं होता तो वह पानी में बचने के लिए हाथ पैर छटपटाता रहता है और जब वह अंत में शांत हो जाता है और कोई हलचल नहीं करता,और धीरे-धीरे वह पानी के तल में डूब जाता है। तो लोग समझते है कि उसकी डूबने से मौत हो गई है दरअसल यही गलती हम भी करते है।

विशेषज्ञों के अनुसार जब तक पानी में डूबे हुए व्यक्ति की लाश तैरकर बाहर नहीं आ जाती, तब तक उसे मरा हुआ नहीं मानना चाहिए। अगर डूबा व्यक्ति अभी भी पानी के अंदर है, तो इसका अर्थ यह है कि उसके शरीर में काफी पानी भर गया है जिसके कारण उसके शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया है। जब पानी में कोई डूब गया हो और दो से बारह घंटे हो गए, तब भी उसमें प्राण बचे हुए हो सकते है।

कोई डूब रहा है तो क्या करें?

अगर आप किसी डूबते हुए को बचा रहे हो तो इस बात का विशेष ध्यान रखें। कि आप बिना रस्सी नहीं जाएँ नहीं तो वह आपके गले पड़ जाएगा, आप पर चढ़ने लगेगा। ऐसे में वह आपको भी डुबो देगा। आपको भले ही तैरना आता हो फिर भी आप बिना सुरक्षा उपकरण के पानी में नहीं उतरे। इसलिए तैराकी के साथ डूबते व्यक्ति को बचाने का तरीका भी सीख लेना चाहिए

किसी से मदद लें, आसपास कोई नहीं है तो इमरजेंसी कॉलिंग करें। पीड़ित व्यक्ति के कपड़े अगर टाइट हों तो ढीले कर दें। उसकी ठोढ़ी ऊपर उठाकर सिर पीछे झुकाएं। (इससे फेफड़ों का वायुमार्ग सुगम होता है) कभी-कभी बेहोशी की वजह से पानी में तत्काल मृत्यु भी हो सकती है किन्तु कभी-कभी व्यक्ति हाथ-पैर की हरकत करने के वजह से वह पानी की सतह पर आ जाता है और सांस लेने के कोशिश में उसके शरीर में पानी चला जाता है। उस स्थिति को आद्र डूबना भी कहा गया है।

शरीर पानी में डूबने शरीर मे पानी की मात्रा बढ जाती है जिसके कारण शरीर में पानी भर जाता है और शरीर पानी में डूब जाता है, जिसे पूरा डूबना भी कहते है। मानव शरीर का औसत घनत्व 1.08 होता है जबकि पानी का 1.01 होता है जिसके कारण व्यक्ति पानी में डूब जाता है।

डूबने के प्रकार-

आंशिक डूबना - इसमें जब केवल चेहरा पानी में डूब जाता है व मुह व नाक से पानी फेफड़ों में चला जाता है।
सम्पूर्ण डूबना - जब पूरा शरीर पानी में डूब जाता है उसे सम्पूर्ण डूबना कहते है।

आद्र डूबना - जब डूबने से शरीर के अंदर पानी भर जाता है या बेहोश हो जाना।
शुष्क डूबना - जब शरीर के अन्दर पानी जाने से पहले ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

पानी में डूबने से किन कारणों से मृत्यु हो जाती है।
दम घुटना,शॉक लगना, बेहोश होना,आघात लगना,चोंटो के कारण से मृत्यु हो सकती है।

डूबने से कैसे बचाए-

पानी से निकालने के बाद उस व्यक्ति को एक कमरे में ले जाएं,जहां नमक के प्रयोग से एक बिस्तर तैयार करें। बहुत सारा नमक होना चाहिए, इस नमक के बिस्तर पर उसे लेटा दें और उसके ऊपर भी बहुत सारा नमक डाल दें। केवल उसकी आंखे, नाक और मुंह खुला रहने दें, बाकि सारे शरीर को नमक में दबा दें। नमक के गुणधर्मों से उसकी जो प्राणशक्ति है, नीचे के केन्द्रों में लौटेगी और आदमी को होश आ जायेगा। जिस कमरे में उसे लिटाया गया हो वहां थोड़ा गौ चन्दन धूप बत्ती भी जला देना चाहिए। इससे जल्दी असर होता है।

रोगी को पानी से निकालने के बाद पेट के बल लेटा दें।इसके बाद अगर उसके मुंह में कुछ कचरा वगैरह चला गया है तो उसे निकाल दें। अगर रोगी को साँस नहीं आ रही है तो उसकी नाक बंद कर मुंह को खोलकर फिर अपना मुंह ढक्कन की तरह उसके मुंह पर लगाकर पूरी हवा उसके के मुंह में छोड़ दें।

ऐसा हर पांच सेकंड बाद करते रहना है, जब तक रोगी की नाड़ी या धड़कन सही से काम नहीं करने लगे। अगर रोगी रोगी के मुंह से पानी निकलने लगे तो गर्दन टेढ़ी कर पानी निकाल दे।और फिर साँस देना चालू कर दें और तब तक साँस देते रहे जब तक नाड़ी चलने न लग जाये। रोगी के बाएं सीने पर कान रखकर धड़कन को चेक करें।

यदि उसकी धड़कन चल रही हो तो उसका शरीर गर्म रखें और डॉक्टर के आने तक उसे हिलाएं-डुलाएं नहीं। और यदि धड़कन नहीं है तो सीने पर हथेली से दबाव डालकर पंपिंग करें। बच्चों के लिए दो अंगुलियों का प्रेशर बहुत होता है और व्यस्क के लिए हथेली से दबाव लगायें, पसलियों पर अधिक दबाव न दें। इस क्रिया से फेफड़ों में भरा पानी निकल जाएगा और धड़कन लौट सकती है। रिस्पांस न मिले तो पीड़ित को कृत्रिम सांस दें। डॉक्टर के आने तक यह क्रिया करते रहे। धन्यवाद

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