जिसकी अग्नि मंद है और नियमित व्यायाम नहीं करने वाला अगर विरुद्ध आहार करता है या अति स्निग्ध अन्न का सेवन कर तुरंत व्यायाम करता है उसे आम वात उत्पन्न होता है। अंग्रेजी में इसे (Rheumatism)रह्युमेटोईड अर्थराइटिस कहा जाता है।
इसे साधारण बोलचाल की भाषा में गठिया भी कहते है।भूख कम होने पर भी जीभ के वश हो कर खाया गया अन्न पचता नहीं और आँव स्वरूप हो जाता है जिसे आयुर्वेद में "आम" कहा गया है।यह आम प्रकुपित हुए वात दोष के द्वारा सम्पूर्ण शारीर में घुमने लगता है।
यह जब संधियों में पहुंचता है तो जकडन पैदा कर बिच्छु के काटे की तरह दर्द और सूजन पैदा करता है।ये एक संधि से दुसरे संधि में घूमता रहता है। इसलिए कुछ समय एक संधी (जॉइंट ) में फिर दुसरे में इस तरह दर्द घूमता रहता है। बारिश के मौसम में वैसे ही अग्नि मंद होती है ; इसलिए यह दोष और भी बढ़ जाता है और इसके रोगियों को बादल छा जाने पर ज्यादा दर्द होता है।
उपाय -
- सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मौसम के मुताबिक 3 से 6 लिटर पानी पीने की आदत डालें। ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।
सुबह के पानी में एलोवेरा ज्यूस डाल कर पिए।
- आलू का रस 100ml भोजन के पूर्व लेना हितकर है।
- संतरे के रस में 25ml काड लिवर आईल मिलाकर शयन से पूर्व लेने से गठिया में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
- लहसुन,गिलोय,देवदारू,सौंठ,अरंड की जड ये पांचों पदार्थ 50-50 ग्राम लें। इनको कूट-खांड कर शीशी में भर लें। 2 चम्मच की मात्रा में एक गिलास पानी में डालकर ऊबालें ,जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और ठंडा होने पर पीलें। ऐसा सुबह-शाम करने से गठिया में अवश्य लाभ होगा।
- लहसुन की कलियां 5० ग्राम लें। सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ 2-2 ग्राम लेकर लहसुन की कलियों के साथ भली प्रकार पीस कर मिलालें। यह मिश्रण अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। आधा या एक चम्मच दवा पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।
- हार सिंगार के ताजे पत्ती 4-5 नग लें। पानी के साथ पीसले या पानी के साथ मिक्सर में चला लें। यह नुस्खा सुबह-शाम लें 3-4 सप्ताह में गठिया और वात रोग नियंत्रित होंगे। जरूर आजमाएं।
-पंचामृत लोह गुगल,रसोनादि गुगल,रास्नाशल्लकी वटी,तीनों एक-एक गोली सुबह और रात को सोते वक्त दूध के साथ 2-3 माह तक लेने से गठिया में बहुत फ़ायदा होता है।
- उक्त नुस्खे के साथ अश्वगंधारिष्ट ,महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा 2-2 चम्मच मिलाकर दोनों वक्त भोजन के बाद लेना हितकर है।
- कंधे, गर्दन, पीठ आदि के लिए महायोगराज गुग्गुल की गोली प्रातः व शाम लें। हरड़, सौंठ व अजवान सममात्रा में कपड़छान चूर्ण सुबह-शाम 5 ग्राम गरम पानी से सेवन करें। यह आमवात, सूजन, अरुचि, जोड़ों के दर्द के लिए परीक्षित है। या अरंडी के तेल में बाल हरड़ का चूर्ण सोने से पहले लें, यह नुस्खा परीक्षित है।
- पंचकोल, पीपल, पीपलामूल, चिताक (चीता), सौंठ, चव्य, सममात्रा में कपड़छान चूर्ण 5 ग्राम गरम पानी से या काढ़ा बनाकर लें, आमवात के सभी उपद्रव नष्ट होंगे।
- सौंठ, कालीमिर्च, बायबिडंग, सेंधा नमक सममात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, प्रातः 5 ग्राम गरम पानी से सेवन करें।
- नेगड़ के बीज 100 ग्राम पीसकर बराबर 10 पुड़िया बना लें। प्रातः जल्दी उठकर शुद्ध घी व गुड़, आटे का हलवा बना लें, उसमें एक पुड़िया मिला दें। सेवन के बाद सो जाएँ। पानी न पिएँ। घुटनों के दर्द/सायटिका में लाभ होता है।
एक लिटर पानी तपेली या भगोनी में आंच पर रखें। इस पर तार वाली जाली रख दें। एक कपडे की चार परत करें और पानी मे गीला करके निचोड लें । ऐसे दो कपडे रखने चाहिये। अब एक कपडे को तपेली से निकलती हुई भाप पर रखें।
गरम हो जाने पर यह कपडा दर्द करने वाले जोड पर 3-4 मिनिट रखना चाहिये। इस दौरान तपेली पर रखा दूसरा कपडा गरम हो चुका होगा। एक को हटाकर दूसरा लगाते रहें। यह विधान रोजाना 15 -20 मिनिट करते रहने से जोडों का दर्द आहिस्ता आहिस्ता समाप्त हो जाता है। बहुत कारगर उपाय है।
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