आम -अधपचा अन्न ; वात - कुपित वात दोष(Rheumatism)
जिसकी अग्नि मंद है और नियमित व्यायाम नहीं करने वाला अगर विरुद्ध आहार करता है या अति स्निग्ध अन्न का सेवन कर तुरंत व्यायाम करता है उसे आम वात उत्पन्न होता है। अंग्रेजी में इसे (Rheumatism)रह्युमेटोईड अर्थराइटिस कहा जाता है। इसे साधारण बोलचाल की भाषा में गठिया भी कहते है।भूख कम होने पर भी जीभ के वश हो कर खाया गया अन्न पचता नहीं और आँव स्वरूप हो जाता है जिसे आयुर्वेद में "आम" कहा गया है।यह आम प्रकुपित हुए वात दोष के द्वारा सम्पूर्ण शारीर में घुमने लगता है। यह जब संधियों में पहुंचता है तो जकडन पैदा कर बिच्छु के काटे की तरह दर्द और सूजन पैदा करता है।ये एक संधि से दुसरे संधि में घूमता रहता है। इसलिए कुछ समय एक संधी (जॉइंट ) में फिर दुसरे में इस तरह दर्द घूमता रहता है। बारिश के मौसम में वैसे ही अग्नि मंद होती है ; इसलिए यह दोष और भी बढ़ जाता है और इसके रोगियों को बादल छा जाने पर ज्यादा दर्द होता है।