Pitta dosha

पित्त दोष (Pitta dosha) को शांत करने के रामबाण उपाय

पित्त दोष (Pitta dosha) को शांत करने के रामबाण उपाय पित्त दोष क्या हैं - पित्त दोष ''अग्नि'' और ''जल'' इन दो तत्वों से मिलकर बना हैं। शरीर में बनने वाले हार्मोन और एंजाइम को नियंत्रित करता हैं,

शरीर की गर्मी जैसे की शरीर का तापमान, पाचक अग्नि जैसी चीजें पित्त द्वारा ही नियंत्रित होती हैं। पित्त का संतुलन अवस्था में होना अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। शरीर में पेट और छोटी आंत में पित्त प्रमुखता से पाया जाता हैं। ऐसे लोग पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कि कब्ज,अपच,एसिडिटी,आदि से पीड़ित रहते हैं। पित्त दोष के असंतुलित होते ही पाचक अग्नि कमजोर पड़ने लगती हैं। जिससे की खाए हुए भोजन का ठीक से पाचन नहीं होता हैं, पित्त दोष के कारण उत्साह में कमी होने लगती हैं साथ ही ह्रदय और फेफड़ों में कफ इक्कठा होने लगता हैं। जिससे की पित्त के बढ़ने के कारण आपको 46से 50 बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं। शरीर में वात-पित्त और कफ का संतुलन आपको स्वस्थ रखता हैं,लेकिन इनके असंतुलन होने पर आपको किसी न किसी प्रकार से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। दैनिक खानपान की वजह से ज्यादातर 14 से 40 की उम्र वालों को पित्त के रोग ज्यादा होते हैं। मुहँ से निकलने वाले बलगम को पित्त कहते हैं। कई बार पित्त बिगड़ने से पेट में गैस बनती हैं,और इसी वजह से सिर दर्द होता हैं,बढ़े हुए पित्त को कम करने के लिए आप अपने खानपान में जरुर बदलाव करें सबसे पहले मसालेदार भोजन करना बंद करें,और नॉनवेज बिलकुल ना खाएं, भोजन में देशी घी का सेवन करें। शरीर को ठंडक देने वाली कच्ची सब्जियों को अधिक खाएँ। वैसे तो कई चीजे होती हैं पित्त को कम करने के लिए लेकिन ये चीज हमारी किचन में ही मौजूद हैं और बहुत कमाल की हैं वो हैं (cumin) जीरा बहुत कम लोग जानते हैं इसके बारे में जो लोग दिल संबंधी बीमारियों से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए जीरा किसी अमृत से कम नही हैं नियमित रूप से जीरा खाने से शरीर में कोलेस्ट्रोल का लेवल कम होता हैं,डाईबिटीज से पीड़ित लोगों के शरीर में ग्लूकोज का स्तर सामान्य रहता है। त्वचा संबंधी बीमारियाँ,मासपेशियों का दर्द, खून की कमी, ब्लड प्रेशर,बुखार और शारीरिक दुर्बलता जैसी बीमारियों के लिए भी जीरा रामबाण उपाय हैं। पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण - पित्त का मुख्य गुण दोष ''गर्मी'' हैं। आमतौर पर पित्त प्रकृति वाले लोगों में पाए जाने वाले शारीरिक लक्षण इस प्रकार हैं - वजन कम होना, दुबला-पतला शरीर होना, चेहरे पर झुर्रियों या गालों को अंदर की और धंसा होना,त्वचा का रुखा-सुखा और बेजान नजर आना, अनियमित भूख या भूख न लगना और अधिक प्यास लगना, पाचक संबंधित विकार और गैस की समस्या, तेज बोलना या अस्पष्ट बोलना या अधिक बोलना, भूरे रंग के साथ सूखे और बेजान बाल, सूखे और फटे होंठ, दिमाक शान्ति महसूस न होना तनाव, चिंता और भय की स्थिति बनी रहना, छोटी-छोटी बातों पर अधिक गुस्सा आना, बहुत अधिक थकावट नींद में कमी और नहाने के कुछ देर बाद ही शरीर से दुर्गन्ध आने लगना ये इस बात को दर्शाता हैं की आपका शरीर पित्तज प्रकृति का हैं यानी कि आपके शरीर में पित्त की अधिकता हैं। और भी कई लक्षण हैं पित्त बढ़ने से जैसे कि पेट में गैस बनना और इसकी वजह से सिर में दर्द होना,पित्त के असंतुलन होने से कई बीमारियाँ आपको घेर लेती हैं, बार-बार पेट में दर्द होना, पेट में जलन होना, खट्टी डकारें आना, उल्टी होना, भोजन नहीं पचना, बार-बार उबासी आना ये सभी पित्त के बढ़ने के लक्षण हैं। Pitta dosha पित्त बढ़ने का कारण - चटपटे,नमकीन,मसालेदार और तीखे खाद्य पदार्थो का अधिक सेवन करना, ज्यादा मेहनत करना, हमेशा मानसिक तनाव और गुस्से में रहना, अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना, सही समय पर भोजन न करना और बिना भूख की ही भोजन करना, ज्यादा सेक्स करना, तिल का तेल, सरसों, दही छाछ, खट्टा सिरका आदि का अधिक सेवन करना। गोह, मछली, भेड,व बकरी के मांस का अधिक सेवन करना, पित्त प्रकृति वाले लोग स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए ऊपर दी गई चीजों का सेवन नहीं करें। पित्त का क्या कार्य हैं - पित्ताशय एक लघु गैर-महत्वपूर्ण हैं जो पाचक क्रिया में सहायता करता हैं और यकृत में उत्पन्न पित्त का भंडारण करता हैं। पित्त संतुलन करने के लिए क्या खाएँ - कड़वी कसैली और मीठी चीजों का सेवन करें। पित्त शांत करने में मक्खन,घी,और दूध का सेवन करें। फल,नारियल पानी, गोभी,खीरा,गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ का सेवन करें,सभी तरह की दालों का सेवन करें। pitta dosha एलोवेरा जूस अंकुरित अनाज,सलाद और दलिया का सेवन करें। पित्त संतुलन करने का सबसे अच्छा तरीका मेडिटेशन या ध्यान भी हैं,और योग की मदद से भी पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता हैं। पित्त मिटाने के लिए एक चम्मच त्रिपला चूर्ण में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह शाम खाने से पित्त शांत होता हैं। दो गिलास पानी में एक चम्मच खाने का सोढा मिलाकर पूरे शरीर में स्पंज करें पित्त के साथ शरीर की खुजली भी खत्म हो जायेगी। पित्त नाशक औषधि विरेचन - बढ़े हुए पित्त को शांत करने के लिए विरेचन (पेट साफ़ करने वाली औषधि) उपाय हैं, वास्तव में शुरुआत में पित्त आमाशय और गृहणी (duodenum) में इक्कठा रहता हैं,ये पेट साफ़ करने वाली औषधियाँ अंगों में पहुंचकर वहाँ जमा पित्त को पूरी सफाई से बाहर निकाल देती हैं। पित्त को संतुलन करने के लिए रामबाण हैं जीरा जी हा, (cumin) आपके बढ़े हुए पित्त को संतुलन करके सारी बीमारियों से निजात दिला सकता हैं। सबसे पहले आधा कप पानी को उबाल लें अब इसमें आधा चम्मच जीरा डाल लें,पानी ठंडा होने पर इसे चाय की तरह पी लीजिए, और पानी में मिला हुआ जीरा चबा-चबाकर खा लीजिए नियमित रूप से इस उपाय को करने से पित्त के सभी रोग खत्म हो जाते हैं।

यह भी पढ़े ⇒ कच्चे आहार (Incurable diseases by raw diet) द्वारा असाध्य रोगों का 5 असरदार उपचार⇐

तरबूज - तरबूज खाने से शरीर में ठंडक का अहसास होता हैं,आप इसका सेवन सीधे काटकर या फिर जूसर में इसका रस निकालकर कर सकते हैं। यह एंटी ओक्सीड़ेट्स का एक अच्छा स्त्रोत हैं, इसमें 90% पानी होता हैं, इसके साथ ही इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स भी होते हैं तरबूज एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक हैं यह लीवर और किडनी को सेहतमंद रखता हैं। नारियल - नारियल पित्त को शांत करता हैं और शरीर को ठंडक देता हैं। यह अलग बात हैं की ये भारी हैं और कमजोर पाचन वाले लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। कार्बोनेटेड पेय के मुकाबले नारियल पानी ज्यादा सेहतमंद पेय हैं, इसके अंदर वसा पोटेशियम और जरूरी इलेक्ट्रोलाईट होते हैं गर्मियों में जब आपको पसीना बहुत आता हैं आपका शरीर इलेक्ट्रोलाईट को खो देता हैं उस समय नारियल पानी के सेवन से आप इलेक्ट्रोलाईट को वापस पा सकते हैं और शरीर को पानी की कमी से बचा सकते हैं विरेचन यानी शुद्धता के पंचकर्म उपचार में नारियल पानी पंचकर्म आहार का एक हिस्सा हैं। अंकुरित दालें - मूंग दाल को अंकुरित करके या फिर पकाकर खाया जा सकता हैं। दोनों के अंदर ठंडक देने वाला विपाक होता हैं,और यह पित्त दोष को संतुलित करता हैं। पिली मूंग दाल पचने में आसान हैं और इसे रोज खाया जा सकता हैं अंकुरित मूंग दाल भी गर्मियों में ठंडक देने वाला ऐसा नाश्ता हैं,जिसमें भरपूर पोषण हैं। घी - आयुर्वेद के मुताबिक घी की तासीर शरीर और दिमाक दोनों के लिए ठंडक देने वाली होती हैं। सही मात्रा में घी का सेवन पुरे शरीर को पोषण देता हैं घी पित्त दोष को शांत करता हैं इसलिए घी का सेवन भोजन से पहले या शुरूआती समय में ही कर लेना चाहिए यह ध्यान रखें की घी के सेवन के बाद कुछ भी ठंडा न खाएँ न पीएं जैसे -आइसक्रीम या ठंडा पानी भोजन के दौरान हल्का गर्म पानी पिने की सलाह दी जाती हैं। गाय का घी - गाय का घी तो आप खाते ही होगें लेकिन कोशिश करें की गाय के घी का ही प्रयोग करें। यह पित्त की समस्या में लाभ देता हैं। अंकुरित दालें - मूंग दाल को अंकुरित करके या फिर पकाकर खाया जा सकता हैं। दोनों के अंदर ठंडक देने वाला विपाक होता हैं,और यह पित्त दोष को संतुलित करता हैं। पिली मूंग दाल पचने में आसान हैं और इसे रोज खाया जा सकता हैं अंकुरित मूंग दाल भी गर्मियों में ठंडक देने वाला ऐसा नाश्ता हैं जिसमें भरपूर पोषण हैं। हैं गर्मियों में जब आपको पसीना बहुत आता हैं आपका शरीर इलेक्ट्रोलाईट को खो देता हैं उस समय नारियल पानी के सेवन से आप इलेक्ट्रोलाईट को वापस पा सकते हैं और शरीर को पानी की कमी से बचा सकते हैं विरेचन यानी शुद्धता के पंचकर्म उपचार में नारियल पानी पंचकर्म आहार का एक हिस्सा हैं। यह लीवर और किडनी को सेहतमंद रखता हैं। सलाद,दलियाँ आदि खाएँ। खीरा - खीरा जो प्राकृतिक ठंडा होता हैं, यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद हैं जिनको मूत्र संबधित परेशानियां हैं या प्यास ज्यादा लगती हैं अपने आहार में खीरे को शामिल करने से आप गर्मियों में ठंडक का अहसास करेंगे। आप अपने लिए खीरे का एक स्वादिष्ट पेय भी तैयार कर सकते हैं। इसके रस में आप पुदीने की कुछ पत्तियाँ डाल लें। इस रस में आधा नींबू निचोड़कर चुटकी भर नमक डाल सकते हैं। एलोवेरा जूस की तासीर भी ठंडी हैं, खीरा और एलोवेरा दोनों ही पित्त दोष को संतुलित करने वाले माने जाते हैं। जिन लोगों का पित्त बढ़ा हुआ हो वो लोग क्या नही खाएं - जिन लोगों का पित्त बढ़ा हुआ हो तो उन कुछ खास चीजों का सेवन बहुत सीमित मात्रा में करना चाहिए। जैसे की कच्चे टमाटर ना खाएँ ड्राईफ्रूट्स बहुत ही कम खाएँ, बादाम को रातभर पानी में भिगोकर खा सकते हैं। मूंगफली का सेवन कम से कम करें, चाय और कॉफी कम पीएं, अल्कोहल से दूर रहें।

⇒बीमारी किस प्रकार बनाई जाती है और क्या है बीमारियों का सच ?⇐ click करे

Back to blog
1 of 3