रतौंधी की समस्या (Night blindness Problem) है, जिसमें व्यक्ति को रात में दिखना कम हो जाता है यह समस्या किसी को जन्म से भी हो सकती है या अगर गंभीर चोट लगने या कुपोषण की वजह से भी हो सकती है
अगर किसी व्यक्ति के शरीर में विटामिन ए की कमी हो जाती है तो उसको यह रोग हो जाता है रतौंधी होने का सबसे आम कारण है रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा। यह एक ऐसा विकार है जिसमें रेटिना में मौजूद रॉड कोशिकाएं धीरे-धीरे कम रौशनी(अँधेरे) की ओर प्रतिक्रिया देने की अपनी क्षमता खत्म हो जाती है।
अगर यह समस्या अनुवांशिक है तो रोगी की रात को देखने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है और फिर दिन में दिखना भी बंद हो सकता है। जिसको जन्मजात रतौंधी है उसकी रॉड कोशिकाएं या तो बिल्कुल भी काम नहीं करती हैं या बहुत कम काम करती हैं। सामान्यत: इस रोग का मुख्य कारण रेटिनॉल या विटामिन ए की कमी है। शरीर में विटामिन ए की कमी होने से आपकी आंखों का पानी सूख सकता है।
रतौंधी (रात को नहीं दिखना) रोग-
रतौंधी के कारण कॉर्निया को पहले से ज्यादा नुकसान हो सकता है। इस समस्या में आपकी आंखों में सफेद धब्बा दिखने लगता है कॉर्निया में अल्सर बढ़ने लगता है। सामान्यतौर पर विटामिन ए थेरेपी से ठीक हो सकती है। रतौंधी के लक्षण शुरुआत में हल्के दिखते हैं और अगर इस समस्या का उपचार समय पर न हो तो यह अधिक गंभीर होती चली जाती है।
अगर आपको यह समस्या है, तो आपकी आंखों के सामने के हिस्से में मौजूद झिल्ली में सूखापन आने लगता है और यह मोटी व संकुचित हो जाती है। इस समस्या में आपको कम रौशनी में दिखाई नहीं देता है। इस समस्या में आपके शरीर में विटामिन ए नहीं बन पाता। इसके अलावा आपको अलग से खाद्य पदार्थों में से विटामिन ए लेना पड़ता है। विटामिन ए आंखों की देखने की क्षमता के लिए बेहद आवश्यक होता है क्योंकि यह प्रोटीन का एक तत्व है जो रेटीना में रौशनी को अवशोषित करता है। विटामिन ए ह्रदय, फेफड़ों, किडनी और अन्य अंगों के कार्यों और रखरखाव के लिए भी आवश्यक होता है। रतौंधी की बीमारी एशियाई और अफ्रीकी देशों में ज्यादा होती है।
भारत में असम, आन्ध्रप्रदेश और तमिलनाडु आदि राज्यों में इस रोग के रोगी अधिक संख्या में मिलते है। अधिकतर गरीब व कम आय के लोग इस रोग की चपेट में आते हैं, क्योंकि ऐसे लोग पौष्टिक आहार से दूर रहते हैं। कुपोषण के कारण इस रोग से ग्रसित हो जाते है। इस रोग में रोगी की आंखो का कॉर्निया सुख सा जाता है तथा आई बॉल धुंधला और मटमेला सा दिखाई देने लगता हैं। जिसकी वजह से रोगी को दिन में अच्छी रोशनी होने के वजह से साफ दिखाई देता हैं परन्तु रात के वक्त रोगी नजदीक की वस्तुएं ठीक से नहीं देख पाता हैं। कम रोशनी में भी रोगी को देखने में तकलीफ होती हैं। रोगी की आंखो से सफेद रंग के द्रव का स्राव होने लगता है।
रतौंधी के लक्षण-
सिरदर्द होना,रात को दिखाई नहीं देना आँख में दर्द होना,दृष्टि धुंधली हो जाना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता होना, दुरी से देखने में दिक्कत होना, आँखों से आंसू आना,आँखों में सुजन आना आदि लक्षण हो सकते है।
घरेलू उपचार-
- रतौंधी होने पर अपनी आँखों पर शुद्ध शहद को सुबह-शाम लगायें।
- सौंफ और खांड- रात को सोने से पहले सौंफ तथा खांड दोनों को 25 ग्राम की मात्रा में लेकर रोज सेवन करें।
- घी और कालीमिर्च- रत्ती भर कालीमिर्च का चूर्ण लेकर उसमे देशी घी मिलाकर आँखों में काजल की तरह लगायें। इससे रतौंधी में फायदा होगा
- 7 बादाम, 5 ग्राम मिश्री और 5 ग्राम सौंफ दोनों को मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर रात्रि को सोने से पहले दूध के साथ पीने से रतौंधी में लाभ होता है और नेत्रज्योति बढ़ती है।
- सौ ग्राम गुलाबजल में एक चने के दाने जितनी फिटकरी को सेंककर डालें और रोजाना रात को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पाँच बूँद आँखों में डालकर आँखों की पुतलियों को इधर-उधर घुमायें। साथ ही पैरों के तलुए में आधे घण्टे तक गाय के शुद्ध घी की मालिश करें। ऐसा करने पर रतौंधी में लाभ होगा।
- आंवले के पानी से आंख धोने से या गुलाब जल डालने से आंखे स्वस्थ रहती है। और रतौंधी रोग ठीक होता है।
- ताम्बे के बर्तन में पानी डालकर रातभर के लिए रख दें, और सुबह उठकर इस पानी को पीएं। तांबे में रखा पानी शरीर विशेषकर आंखों को बहुत फायदा पहुंचाता है।
- पान के पत्ते का रस आँखों में डालने से रतौंधी में लाभ मिलता है
- बथुए का रस निकाल कर इसकी कुछ बुँदे आँखों में डाले और एक कप रस में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें।
- शुद्ध देशी घी को काजल की तरह कुछ दिनों तक आँखों में लगाने से रतौंधी खत्म हो जाती है।
- आंखों में अनार के रस कुछ बुँदे रोज डालने से रतौंधी का रोग ठीक हो जाता है। पानी में थोड़ा-सा सिरका तथा शहद मिलाकर कुछ दिनों तक रोज पीने से रतौंधी खत्म हो जाता है।
- दो हरड़ लेकर रात को साफ पानी में भिगो दें। फिर इस पानी को सुबह के समय आंखें धोएं।रतौंधी ठीक होगी।