गुर्दे की पथरी (Kidney stones treatment) का रामबाण इलाज आजकल गुर्दे में पथरी होना एक आम समस्या बन गई है। अव्यवस्थित लाइफस्टाइल होने के कारण तेज़ी से लोग किडनी स्टोन के मरीज बनते जा रहे हैं.
कभी कभी पथरी किडनी से संबंधित बड़ी समस्याओं को भी जन्म दे देती है। ऐसे में यह बहुत ज़रूरी है कि पथरी से बचाव के उपाय किए जाएं।
हालांकि पथरी की बीमारी के दूसरे कारण भी हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर ये खान-पान की समस्या के चलते ही होता है. नमक और शरीर के दूसरे खनिज जब एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं तो पथरी बनने लगती है. इसका कोई निर्धारित आकार नहीं होता है. कई बार तो ये इतने छोटे होते हैं कि यूरीन के साथ ही बाहर निकल जाते हैं लेकिन कई बार इनका आकार हैरान कर देने वाला होता है
स्टोन कई तरह का होता है लेकिन कैल्शियम से बना स्टोन सबसे सामान्य होता है. 20 -30 आयु वर्ग के लोगों के इससे प्रभावित होने की आशंका सबसे अधिक होती है.
शरीर में अंत:स्त्रावी ग्रंथियों के असंतुलन के कारण कई बार पेशाब में कैल्शियम जमा हो जाता है। अगर पेशाब के साथ कैल्शियम निकल जाता है तो ठीक है वरना गुर्दे में जमा होकर पथरी बना देता है। कैल्शियम के जमा होने के कारण भोजन में ज्यादा कैल्शियम होना है। पथरी किसी भी उम्र में हो सकती है, कई बार आनुवांशिक कारणों से पथरी होती है। खान पान में असंतुलन भी पथरी का कारण बनती है।
गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोन (Kidney Stones) को नेफ्रोलिथिआरीस (Nephrolithiasis) भी कहते है। गुर्दे की पथरी एक क्रिस्टलीय खनिज पदार्थ है जो गुर्दे या मूत्र पथ में कही भी हो सकती है। एक छोटा पत्थर बिना लक्षण के मूत्र के साथ बाहर निकल जाता है। लेकिन अगर पथरी 5 एमएम से ज्यादा का हो तो यह मूत्रमार्ग में रुकावट पैदा करता है, जिससे परिणामस्वरूप दर्द और उल्टी जैसे लक्षण उत्पन्न होते है। विभिन्न कारक इन पत्थरों के विकास के जोखिम का बढ़ा सकते है। जब गुर्दे की पथरी काफ़ी बड़ी हो जाती है तो ऐसे में यह काफ़ी दर्द करती है लेकिन जब यह प्राथमिक स्टेज पर होती है तो हमें दर्द का अनुभव नहीं होता है।
अनुवांशिकी और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन के कारण अधिकांश पथरियाँ बनती है। जोखिम कारक में मूत्र में कैल्शियम का उच्च स्तर, मोटापा, कुछ खाद्य पदार्थ, कुछ दवाएं, कैल्शियम की खुराक, गाउट और पर्याप्त तरल पदार्थ न मिलना शामिल है। यूरीन में मौजूद कैमिकल यूरिक एसिड, फॉस्फोरस, कैल्शियम, ऑक्जालिक एसिड मिलकर पथरी बना देते है।
गुर्दे की पथरी (Calculi) मिनरल्स और नमक से बनी एक ठोस जमावट होती है। इनका माप छोटे से लेकर बड़ा हो सकता है। यह गुर्दे में या मूत्रपथ में पाई जाती है। मूत्रपथ में गुर्दे, मूत्रवाहिनी (Ureter), मूत्राशय (Bladder), मूत्रमार्ग, (urethra) होते है। इसमें बहुत ज्यादा दर्द होता है। लेकिन गुर्दे की पथरी के इलाज (Pathri ka ilaj) के बारे में जानने से पहले वह क्यों होता है पहले इसके बारे में जानते हैं।
किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी क्या है
आयुर्वेद में पथरी (Calculi) को अश्मरी कहा गया है, इसमें वात दोष मूत्राशय में आये हुए शुक्र सहित मूत्र को या पित्त के साथ कफ को सूखा देता है तब पथरी बन जाती है। जब यह अश्मरी मूत्र मार्ग में आ जाती है तब मूत्र त्याग में अत्यधिक रुकावट एवं असहनीय पीड़ा उत्पन्न करती है। इसके कारण अंडकोष से लेकर लिङ्ग मूत्राशय एवं पार्श्व में पीड़ा होती है। वात के कारण जब यह अश्मरी टुकड़े-टुकड़े होकर मूत्र मार्ग से निकलती है तब इसे आयुर्वेद में शर्करा कहा गया है।
किडनी स्टोन चार प्रकार के होते हैं
कैल्शियम स्टोन
यूरिक एसिड स्टोन
स्ट्रूविटा स्टोन
सिस्टिन स्टोन
लक्षण
1 पेशाब करते समय दर्द होना
2 मूत्र में खून आना
3 मूत्र में धुंधलापन होना
4 मूत्र में असमान्य गंध आना
5 सामान्य से अधिक बार पेशाब आना
6 एक बार में थोड़ा सा ही मूत्र आना
तुरंत अपने चिकित्सक के पास जाए अगर आपको दर्द के साथ और कोई लक्षण दिखाई देने लगे तो
1 पेशाब करने में कठिनाइ होना
2 मूत्र में रक्त आना
4 उल्टी होना
5 ठंड लगना
6 इतना गंभीर दर्द होना की आराम से बैठ ,खड़े या लेट न पाएं
बचाव
इसके बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए ताकि गुर्दे में नियमित पानी पहुंचें और कोशिकाओं को भी पानी की कमी न होने पाए, जिन लोगों को एक बार पथरी हो चुकी हो उन्हें दोबारा यह समस्या हो सकती है। ऐसे लोगों को पालक, टमाटर, आलू, चाय, चावल, नमक आदि बचकर खाना चाहिए।
ज्यादातर बीमारियों की तरह इसमें भी कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए.
1. बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन लेना हो सकता है खतरनाक
अगर आपको पता है कि आपको किडनी स्टोन है तो अपने भोजन में प्रोटीन की मात्रा को संयमित कर लें. ऐसी स्थिति में बहुत अधिक मछली और मांस का सेवन करने से परहेज करें.
2. बहुत अधिक सोडियम लेने से भी बचें
अगर आपके भोजन में सोडियम की बहुत अधिक मात्रा होती है तो ये आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. जंक फूड, डिब्बा बंद खाना और नमक के बहुत अधिक सेवन से बना चाहिए.
3. ऑक्सलेट के सेवन से करें परहेज
अगर आपको पथरी की शिकायत है तो किसी कीमत पर ऐसी चीजरें का अति सेवन न करें जिनमें ऑक्सलेट की मात्रा मौजूद हो. पालक, साबुत अनाज आदि में ऑक्सलेट पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इन्हें खाने से परहेज करें.
4. विटामिन सी के अति सेवन से
विटामिन सी के अति-सेवन से भी स्टोन बनता है. विटामिन सी का संयमित इस्तेमाल करने से स्टोन बनने का खतरा कम हो जाता है.
5. इन शाक-सब्जियों से करें परहेज
इन पोषक तत्वों के साथ ही कुछ ऐसी सब्जियां है जिनके बीज स्टोन के कारण बन सकते हैं. टमाटर के बहज, बैंगन के बीज, कच्चा चावल, उड़द और चने का अधिक सेवन करने से स्टोन की समस्या बढ़ जाती है.
6. कोल्ड-ड्रिंक्स से करना चाहिए परहेज
एक ओर जहां स्टोन की समस्या हो जाने पर पर अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है वहीं ऐसी स्थिति में कोशिश करनी चाहिए कि कोल्ड ड्रिंक से दूर ही रहें. इसमें मौजूद फॉस्फोरिक एसिड स्टोन के खतरे को और बढ़ाता है
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उपाय
गाय का मूत्र
गाय का मूत्र आधा कप पिने से गुर्दे की पथरी टूट कर निकल जायगी एक से दो महीने में
तुलसी
औषधीय गुणों से युक्त तुलसी भी किडनी स्टोन से राहत दिलाती है। इसके सेवन के लिए आप तुलसी के अर्क को पानी के साथ सेवन करें। तुलसी न सिर्फ गुर्दे में पथरी बनने से रोकती है, बल्कि इसमें एक ऐसा कंपाउड भी पाया जाता है जो स्टोन को निकालने में मदद करता है।
पपीते की जड़
पथरी निकालने के लिए पपीते की जड़ भी काफी मदद करती है। इसके लिए 7-8 ग्राम पपीते की जड़ को 1 ग्लास पानी में अच्छी तरह से घोल लें और फिर छान लें। अब रोजाना इस पानी को पिएं। ऐसा करने पथरी गल जाएगी और कुछ ही दिनों में निकल जाएगी।
सेब का सिरका
सेब के सिरके की मदद से किडनी स्टोन को खत्म किया जा सकता है। बस आपको इतना करना है कि आप भोजन से पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच सिरका डालकर सेवन करें। सेब साइडर सिरका में मौजूद साइटि्रक एसिड की मदद से किडनी स्टोन से राहत पाई जा सकती है।
अनार
अनार में एन्टीऑक्सिडेंड होते हैं. यही वजह है कि यह इम्युन सिस्टम को मजबूत करने का काम करता है. इसके अलावा अनार में और भी बहुत से पोषक तत्व होते हैं. यही वजह है कि अनार को स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है. अनार का जूस आपके शरीर को पानी की कमी से बचाने में मदद करता है और प्राकृतिक तरीके से किडनी स्टोन में राहत दिलाता है.
पथरी के इलाज के लिए कुलथी कुलथी की दाल को पथरीनाशक माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार कुलथी की दाल में विटामिन 'ए' पाया जाता है, यह शरीर में विटामिन 'ए' की पूर्ति कर पथरी को रोकने में मदद करता है। यह दाल उड़द के समान और लाल रंग की होती है। इसे पानी गला क्र सेवन किया जा सकता है इसे रात भर के लिएरखना है एक गिलास पानी में एक चमच कुलथी की दाल डाल दे और सुबहे छान ले ओर इसका सेवन करे पथरी गलकर 1 से 2 महीने में गुलकर निकल जायगी।
कुलथी की दाल का प्रभाव कुलथ की दाल के सेवन से पथरी टूटकर या धुलकर छोटी हो जाती है, जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर यूरिन के रास्ते से बाहर आ जाती है। मूत्रवर्धक गुण होने के कारण इसके सेवन से यूरिन की मात्रा और गति बढ़ जाती है, जिससे रुके हुए पथरी के कण पर दबाव ज्यादा पड़ता है और दबाव ज्यादा पड़ने के कारण वह नीचे की तरफ खिसक कर बाहर आ जाती है। कुलथी की दाल मसाले कम ही हो।
पथरी दुबारा न हो:पथरी कही पर भी हो गुर्दे में, पित्त की थली या पेट में हो अगर बार-बार पथरी बनती है तो एक कारण यह भी है की पानी को एक साथ ना पाई गुट - गुट कर और बैठकर पानी पीना चाहिय जिससे जीवन में कभी भी दुबारा पथरी ना बने।
जिस व्यकित को पथरी एक बार हो जाती है, उसे फिर से होने का भय बना रहता है। इसलिए पथरी निकालने के बाद भी रोगी कभी-कभी इसका सेवन करते रहें। कुलथी पथरी में अमृत के समान है।