कुछ वर्ष पहले तक यूरिक एसिड की समस्या(Uric acid problem) बहुत कम ही लोगों को हुआ करता थी पहले यह बीमारी वृद्धावस्था में ही देखने को मिलती थी या फिर यह बीमारी केवल अमीर लोगों और जो गरिष्ट भोजन करने वालों, मेहनत नहीं करने वाले आलसी और अनुवांशिक दोषों वालों को ही होती थी। परंतु आज यह बीमारी अपनी पुरानी सीमाएं तोड़कर समाज के हर वर्ग, हर आयु और लगभग सभी को लोगों होने लगी है। इस बीमारी की शुरूआती अवस्था में शरीर में जकड़न आ जाती है। बाद में छोटे जोड़ों में दर्द होने लगता है। इतना होने पर भी ध्यान नहीं देने पर यह जोड़ों के स्थान में हड्डियां प्रभावित होने लगती हैं तो फिर इसका उपचार करना बहुत कठिन हो जाता है।
एलोपैथी में इस के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाइयाँ हमारे शरीर में किडनियों और लीवर आदि के लिए काफी घातक होती है। इस बीमारी में घुटनों, एड़ियों और पैरों की उंगलियों आदि में दर्द होने की सबसे बड़ी वजह यूरिक एसिड का बढ़ना है। इस बीमारी को गठिया या गाउट भी कहते हैं।
इस बीमारी का इलाज शुरुआत में ही सही समय पर न किया जाये तो रोगी का न केवल उठना बैठना और चलना फिरना भी कठिन होता ही है। बल्कि वक्त बीतने के साथ ही यह रोग अपनी जड़े जमाकर असाध्य हो जाता है फिर इसका इलाज होना मुश्किल हो जाता है। वैसे अभी भी ये समस्या 40 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में ही अधिक होती है और और यदि यह देखा जाये कि 40 से ऊपर की उम्र के अधिकांश लोग इससे पीड़ित होते है परन्तु खाने पीने के मामले में परं यदि प्राकृतिक स्वास्थ्य नियमों ध्यान नही रखें और उनका पालन न करें तो यह बीमारी 40 वर्ष की उम्र से पहले भी किसी भी उम्र में हो सकती है।
इसके लिए आपको अपना रोजाना खाने में ऐसा भोजन करना चाहिए जिससे शरीर में पाचन के दौरान आवश्यकता से अधिक प्युरिन न बने। क्योंकि प्युरिन के टूटने जाने की वजह से शरीर में यूरिक एसिड बनता है, जो रक्त किडनियों के पास पहुंचता है उस रक्त में से फालतू और बेकार तत्वों को फ़िल्टर करके हमारी किडनियां उन्हें मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकाल देते है। परंतु जब किन्ही गलत आचरणों के कारण ये प्यूरिन टूट कर टुकड़ों के रूप में रक्त के साथ किडनियों के पास पंहुचते है तब हमारे शरीर में स्थित किडनियां इनको खून में से छान कर मूत्र के रूप में शरीर से बाहर नहीं निकल पाते है और ये टुकड़े शरीर के अंदर क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगते है।
बॉडी में इसका लेवल बढ़ने से यह एक समस्या बन जाता है। और इसके बाद जोड़ों का दर्द शुरु हो जाता है। घुटनों, एड़ियों और पैरों की उंगलियों में दर्द होने लगता है। हममें से अधिकांश लोगों को तो इस बीमारी के लक्षण ही मालूम नही होते हैं। मोटापे की वजह से शरीर में प्यूरिन जल्दी टूटता है, जिससे यूरिक एसिड अधिक बनने लगता है। इसलिए अपना वज़न अधिक नहीं बढाये। वज़न कम करने के लिए डायटिंग न करके सही और शुद्ध भोजन करें। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बंद करना बहुत आवश्यक है। साग, पालक जैसे पदार्थ भी सेवन नहीं करें। विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएँ। इसके अलावा आप ये निम्न कुछ ऐसे घरेलु उपाय हैं जिनको अपनाकर इस बीमारी से बहुत आसानी से छुटकारा पा सकते है।
यूरिक एसिड का उपचार -
1.आलू का छिलके सहित एक कप रस निकाल लें। इसमें एक कप गुनगुना पानी मिलाकर सुबह खाली पेट पीना है, इससे कुछ ही दिनों में यूरिक एसिड सही हो सकता है।
2. छाछ का सेवन करना इसमें बहुत फायदेमंद होता है।
3. सुबह गर्म पानी जरुर पियें,इससे पेशाब अधिक आता है जिसे शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते है जिससे जोड़ों के दर्द और यूरिक एसिड में बहुत लाभ देता है।
4. दो चम्मच लहसुन का रस निकाल कर उसमें शहद मिलाकर सेवन करने से बहुत फायदा होता है।
5.सेब का सेवन रोजाना करें,इसमें मैलिक एसिड होता है जो रक्त के साथ मिलकर एल्कलाइन कार्बोनेट बनाता है, जिससे खून में जमे हुए यूरिक एसिड के प्रभाव को ख़त्म हो जाता है और मल एवं मूत्र द्वारा बाहर निकल है।
6.1 चम्मच शहद में 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिलाकर 1 गिलास गुनगुने दूध के साथ सेवन करें।
7. एलोवेरा जूस में आंवले का रस में एलोवेरा जूस मिलाकर पीना भी फायदेमंद होता है।
नारियल पानी का रोजाना सेवन करें।
8. भोजन करने के आधे घंटे बाद एक चम्मच अलसी के बीजों को चबाकर खाने से लाभ मिलता है।
9. बथुए के जूस का खाली पेट सेवन करें। इसके सेवन करने के दो घंटे तक कुछ भी नहीं खाएँ पिएँ।
अजवाइन भी शरीर में हाइ यूरिक एसिड को कम करने की अच्छी औषधि है। इसलिए भोजन पकाने में अजवाइन का इस्तेमाल जरुर करें।
10. हर रोज दो चम्मच सेब का सिरका 1 गिलास पानी में मिलाकर दिन में 3 बार पिएँ। लाभ दिखेगा।
11. सेब, गाजर और चुकंदर का जूस हर रोज़ पीने से यूरिक एसिड कम होता है।
12.एक छोटे आकार का कच्चा पपीता लें, उसको काटकर छोटे छोटे टुकड़े कर लें। बीजों को हटा दें। कटे हुए पपीते को 2 लीटर पानी में 5 मिनट के लिए उबालें। इस उबले पानी को ठंडा करके छान लें और इसे दिन में चाय की तरह 2 से 3 बार पिएँ।नींबू पानी पिएँ। ये बॉडी को डिटॉक्सिफ़ाइ करता है और बेकार तत्वों को घोलकर शरीर से बाहर कर देता है।
13. खाना या सब्जियां पकाने के लिए तिल, सरसों या ऑलिव ऑयल का प्रयोग करें।
14. अगर लौकी का मौसम हो तो सुबह खाली पेट लौकी (दूधी) का जूस निकाल कर एक गिलास इस में 5-5 पत्ते तुलसी और पुदीना के भी डाल ले, अब इसमें थोड़ा सेंधा नमक डालकर नियमित रूप से सेवन करे। लौकी को टेस्ट करके ही सेवन करे। लौकी कडवी होने पर फायदे की जगह नुकसान करेगी।
15. रात को सोने से पहले डेढ़ गिलास साधारण पानी में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण ,आधा चम्मच दाल चीनी पाउडर डाल कर चाय की तरह पकाये और थोड़ा पकने पर छान कर निचोड़ कर पी जाएँ।यह प्रयोग 30 से 90 दिनों तक करें। 16. रात को सोने से पहले 3 अखरोट जरुर खाएं।
यूरिक एसिड बढने पर इन चीजो का सेवन नहीं करें-
दही, चावल, अचार, सूखे मेवे, दाल, और पालक आदि का सेवन बंद कर दे।
बेकरी उत्पाद जैसे पैनकेक, केक, पेस्ट्री जैसी चीजों को न खाएँ।
शराब और बीयर का सेवन बिलकुल नहीं करें। सबसे बड़ी बात खाना खाते समय पानी नहीं पीना, पानी खाने से डेढ़ घंटे पहले या बाद में ही पीना हैं।
फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, पैकेज्ड फ़ूड, अंडा, मांस, मछली, आदि का सेवन बिलकुल बंद कर दें। इन से परहेज करने से आपकी यूरिक एसिड की समस्या, हार्ट से सम्बन्धित कोई भी समस्या, जोड़ो के दर्द, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में बहुत आराम आएगा। धन्यवाद