पित्त की पथरी (Gallstones) का बिना ऑपरेशन करें इलाज पित्त की पथरी यानी गोलस्टोन छोटे पत्थर होते हैं,जो पित्ताशय की थैली में बनते हैं पित्त की पथरी की लीवर के निचे होती हैं। अगर आप की पित्त की थैली में पथरी हैं
तो आप रोज ऐसे फलों का जूस लें जिसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में हो संतरा, टमाटर, मौसमी आदि का रस पीएं इनमें मौजूद विटामिन सी शरीर के कोलेस्ट्रोल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती हैं,जो पथरी को तोड़कर बाहर निकालता हैं।
अगर पित्त की थैली में इंफेक्शन हो जाएँ या स्टोन नली में फस जाता हैं। तो पेट के उपरी भाग में दर्द होना,छाती की हड्डी के निचे पेट के बीच में अचानक तेज दर्द होना कमर दर्द और दाएं कंधे में दर्द होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं
आप विटामिन सी संपूरक लें सकते हैं। या पथरी के दर्द के लिए यह एक उत्तम उपचार हैं। पित्त की थैली यानी गालब्लेडर शरीर का एक छोटा सा अंग हैं जो लीवर के ठीक पीछे होता हैं। इसका कार्य पित्त को संग्रहित करना तथा भोजन के बाद पित्त नली के माध्यम से छोटी आंत में पित्त स्त्राव करना हैं, पित्त रस वसा के अवशोषण में मदद करता हैं। कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता हैं
80% पथरी कोलेस्ट्रोल की बनी होती हैं, धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती हैं, पित्त की पथरी बहुत दर्दनाक हो सकती हैं ज्यादातर डॉक्टर इसका इलाज ऑपरेशन ही बताते हैं। यदि इसका समय रहते इलाज नहीं किया तो ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती हैं,लेकिन पित्त की पथरी का घरेलू उपचार संभव हें।यदि आप इस समस्या से परेशान है तो इसका इलाज संभव हैं
ऑपरेशन करने से पहले प्राकृतिक तरीके से इसे निकालने का प्रयास करें। इस बिमारी के कारण लक्षण आदि जानने से पहले पित्त के विषय में थोड़ा जान लेते हैं। पित्त दरअसल एक हरे रंग का एक तरल पदार्थ होता हैं। जो लीवर में बनकर लीवर से लगी हुई पित्त की थैली (गोलब्लेंडर) में इकट्ठा होता रहता हैं।
पित्त के रोगी को भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में हरी सब्जियाँ और फल लें इनमें कोलेस्ट्रोल कम मात्रा में होता हैं और प्रोटीन की जरूरत भी पूरी करते हैं,तली और मसालेदार चीजों से दूर रहे और संतुलित भोजन ही करें,खट्टे फलों का सेवन करें।
इनमें मौजूद विटामिन सी गोलब्लेंडर की पथरी दूर करने के लिए काफी मददगार साबित होता हैं। कई तरीके के जूस से इसका इलाज कर सकते हैं जैसे चकुंदर का रस,नाशपती का रस,सेब का रस लीवर को स्वस्थ करते हैं,पथरी बनने से रोकने के लिए इन तीनो का रस मिश्रण करके जरुर पीएं।
पित्त की पथरी होने के कारण -
पित्त की पथरी बनने का कारण अभी तक ज्यादा स्पष्ट नहीं हो पाया हैं लेकिन कम कैलोरी,तेजी से वजन घटाने वाले भोजन था लम्बे समय तक भूखे रहने गोलब्लेंडर सिकुड़ना बंद हो जाता हैं और इस वजह से इसमें पथरी विकसित होने लगती हैं। पित्त की पथरी और मोटापा,डायबिटीज,,हाइपरटेंशन तथा हाइपरकोलेस्टेरोलेमिया जैसे लाइफस्टाइल रोगों के बीच एक गहरा ताल्लुक होता हैं।
यह आमतौर पर यह रोग लगभग 40 वर्ष के बाद होता हैं। इस उम्र में कोलेस्ट्रोल की मात्रा लगभग सभी व्यक्तियों में बढ़ जाती हैं। मोटापा-मोटे व्यक्तियों में इस रोग की संभावना ज्यादा रहती हैं। क्योंकि उनमें कोलेस्ट्रोल ज्यादा होता हैं। यह रोग महिलाओं में ज्यादा होता हैं। महिलाओं के डिम्ब से निकलने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन पित्तीय लवण के बनने में रुकावट पैदा कर, उसका अनुपात कम कर देता हैं।
पित्त की पथरी के लक्षण -
पित्ताशय में पथरी वाले ज्यादातर लोगों में किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नही देते। वास्तव में उनको यह तब तक पता नहीं चल पाता जब तक उनको इसके कोई लक्षण महसूस नहीं होते। इसे साइलेंट गैलस्टोन भी कहा जाता हैं।
इसको किसी प्रकार के उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। जैसे-जैसे पित्ताशय की पथरी की जटिलताएं बढ़ती जाती हैं,इसके लक्षण भी उभरने लगते हैं, पेट के ऊपरी दायनी हिस्से में अत्यधिक दर्द होता है,इसके बाद मितली और उल्टी आती हैं। ये जो 30 मिनट से लेकर कई घंटों तक निरंतर बढ़ती ही जाती हैं।
इसका सबसे सामान्य लक्षण होता हैं। क्योंकि इसका दर्द आम तौर पर प्रकरण एकाएक के रूप में आता हैं। इसे अक्सर ''अटैक के रुप में भी संदर्भित किया जाता हैं। दर्द के अटैक आने के बीच दिन,सप्ताह,महीने और यंहा तक की साल का समय भी लग जाता हैं। दर्द आमतौर पर गंभीर,सुस्त और स्थिर हो सकता हैं,और यह दर्द लगातार कई घंटों तक रह सकता हैं,
दर्द आमतौर पर फैटी भोजन खाने के 30 मिनट बाद शुरू होता हैं।इस दर्द की लहरें दाहिने कंधे व पीठ तक जा सकती हैं यह दर्द ज्यादातर रात के समय में ही होता हैं जिससे मरीज जाग जाता हैं। और दर्द इतना ज्यादा होता हैं की व्यक्ति राहत पाने के लिए इधर-उधर हिलने लग सकता हैं,लेकिन कई मरीज ऐसी स्थिति में स्थिरिता से लेट जाते हैं और दर्द का अटैक कम होने के प्रभाव का इन्तजार करते हैं।
इसके और लक्षण भी सामने आते हैं जैसे की मितली, उल्टी, गैस बनना, डकार आना, अपच, बुखार उबकाई, पीलिया, आँखों में सफेद व त्वचा में पीलापन आना, फैटी चीजो के प्रति शरीर की नकारात्मक प्रतिक्रिया आदि लक्षण सामने आते हैं।
पित्त की पथरी के परहेज - पित्त की पथरी वाले को मांसहार से भी परहेज करना चाहिए। जैसे मिट, लाल मांस, और चिकन आदि इसके अलावा आप तैलीय मदली भी न खाएँ। प्रोसेस्ड फ़ूड के पीछे लोग क्यों भागते हैं क्योंकि यह खाने में अच्छे लगते हैं और इसे बनाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। लेकिन इसका स्वाद हमारे शरीर को नुक्सान पहुँचा सकता हैं
यह न केवल शरीर के पाचन तन्त्र को खराब कर सकता हैं बल्कि पित्त की पथरी की समस्या को भी बढ़ा सकता हैं। आमतौर पर ट्रांस फैटी एसिड,पैकेज्ड फ़ूड में मौजूद होते हैं जो पित्त की पथरी के लक्षणों को बढ़ाने का काम करते हैं।
आप चिप्स, कुकीज, डोंट्स, मिठाई या मिश्रित पेक वाले खाद्य पदार्थो से बचें पित्त की पथरी होने पर आप परिष्कृत अवयव वाले खाद्य पदार्थो से दूरी बनाएँ व्हाईट ब्रेड, परिष्कृत आता पास्ता सफेद चावल और परिष्कृत चीनी ये सभी चीजें फैट का रूप ले लेती हैं जो पित्त में कोलेस्ट्रोल में वृद्धि कर सकती हैं। मीठी चीजों में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में पाया जाता हैं इसके साथ ही चीनी के ज्यादा सेवन से कोलेस्ट्रोल गाढ़ा होता हैं,
जिससे दिल के रोगों के साथ - साथ गोलब्लैडर में पथरी का खतरा भी बढ़ जाता हैं इसलिए मीठी चीजों का बहुत अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।डेयरी उत्पादों से बचें। दूध, पनीर, दही, आइसक्रीम भारी क्रीम और खट्टा क्रीम में उच्च स्तर के फैट होते हैं जो पित्त की पथरी को बढाने का काम करते हैं।
पित्त की पथरी निकालने के रामबाण उपाय -
(1) गुडहल के फूलों का पाउडर - पित्त की थैली की पथरी निकालने के लिए आपको गुड़हल के फूलों के पाउडर की आवश्कता पड़ेगी अगर गुडहल का पौधा हैं तो आप गुडहल की फुल इकठा करके उनका पाउडर बना सकते हैं।और अगर आपको गुडहल के फूल नहीं मिल रहे हैं
तो इसका पाउडर पंसारी की दूकान पर आसानी से मिल जाएगा। प्रयोग करने की विधि-गुडहल के फूलों का पाउडर एक चम्मच रात को खाना खाने के एक डेढ़ घंटा बाद सोते समय गर्म पानी के साथ फांकी ले लीजिए। ये थोड़ा कडवा होता हैं पर इतना भी कडवा नहीं की खा भी नहीं सकते इसके बाद कुछ भी खाना पीना नहीं हैं।
(2) गाजर और ककड़ी का जूस- गाजर और ककड़ी रस पित्त की पथरी को निकालने में काफी मदद करते हैं। ऐसी समस्या में ये अत्यंत लाभदायक माना जाता हैं। ये कोलेस्ट्रोल के सख्त रूप को नर्म कर बाहर निकालने में मदद करती हैं।
(3) ऐप्पल सीडर विनेगर - ऐप्पल सीडर विनेगर की अम्लीय प्रकृति लीवर को कोलेस्ट्रोल बनाने से रोकती हैं जो अधिकाँश पथरियों का कारण होता हैं, यह पथरी को विघटित करने तथा दर्द को समाप्त करने में सहायक होती हैं।
(4) रोजाना एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से भी पथरी दूर होती हैं।
योग और व्यायाम करने - नियमित व्यायाम रक्त उतकों में कोलेस्ट्रोल को घटाता हैं जो की पित्ताशय की समस्या उत्पन्न कर सकता हैं। प्रतिदिन टीस मिनट तक, सप्ताह में पाँच बार,अपेक्षाकृत मध्यम मात्रा की शारीरिक सक्रियता, व्यक्ति के पित्ताशय की पथरी के उत्पन्न होने के खतरे पर अत्याधिक प्रभावी होता हैं।