लू लगना(Sunstroke) एक ऐसी परिस्थिति है
जब व्यक्ति बहुत अधिक देर तक बहुत गर्मी में रहता है, चाहे वह गर्मी में काम कर रहा हो, या बस गर्म वातावरण में बैठा हो। यह समस्या शरीर के बहुत अधिक गर्म रहने की वजह से होती है, सामान्य तौर पर अधिक देर तक गर्म वातावरण में रहने पर या शारीरिक मेहनत की वजह से यदि आपके शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्याद हो जाता है, तो आपको लू (Sunstroke)की समस्या हो सकती है।
गर्मी के महीनों में यह स्थिति सबसे आम है। लू लगने की समस्या को आपातकालीन चिकित्सा की जरूरत होती है।समय पर उपचार नहीं किए जाने पर यह आपके दिल,दिमाग,गुर्दे और मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकती है। लंबे समय तक उपचार नहीं करने या उपचार में देरी करने पर और भी गंभीर नुकसान हो सकता है और इससे मौत तक हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। मान लें कि हमें कोई इन्फेक्शन नहीं हुआ, बस हुआ ये है कि मौसम बहुत खराब है। गर्मी बहुत तेज बेहद पड़ रही है। दिन-रात लू चल रही है। ऐसे मौसम में हमारा शरीर भी गर्म बना रहता है। ऐसे में हमारा शरीर का तापमान बहुत अधिक नही बढना चाहिए इस बात का विशेष ध्यान रखें।
शरीर ऐसा करता भी है तो हमारे शरीर का तापमान नियंत्रण सिस्टम शरीर में प्रवेश कर रही इस गर्मी को कम करने लगातार कोशिश करता रहता है। यदि आसपास का वातावरण गर्म है तो वह हमारे शरीर में पसीने की मात्रा बढ़ाकर यह अतिरिक्त गर्मी शरीर से बाहर निकालता रहता है और हमें बाहर तेज गर्मी होने के बावजूद बुखार नहीं हो पाता है। लेकिन हमारे शरीर में यह कार्य एक निश्चित सीमा तक ही कर सकता है। हमारे शरीर में एक घंटे में अधिकतम ढाई लीटर तक पसीना आ सकता है।
फिर भी यदि हम उसी भयंकर गर्मी में ही काम करते रहे तो हमारे शरीर का यह सिस्टम, एक सीमा के बाद काम करना बंद कर देगा। जिससे पसीना कम होने लगता है तब हमारा शरीर का तापमान पूरी तरह बाहर की तेज गर्मी के हवाले हो जाता है। और फिर हमें बुखार आ जाता है शुरूआत में बुखार कम होता है। फिर भी यदि आसपास की गर्मी में कोई बदलाव नहीं आए तो इस तेज गर्मी में शरीर के थर्मोस्टेट(नियत ऊष्मा) का पूरा सिस्टम फेल हो जाएगा और हमें इतना तेज बुखार हो जाएगा कि उसके असर में शरीर का हर सिस्टम फेल होने लगेगा यही स्थिति तेज़ लू लगना कहते है। यहां आपको यह भी बताना आवश्यक है कि लू इतनी खतरनाक बीमारी है जिसके पूरे इलाज के बाद भी करीब 63 प्रतिशत लोग इससे मर जाते हैं।
लू लगने के कारण -
अधिक कपडे पहनना, शराब कका अत्यधिक सेवन करना,कम मात्रा में पानी पीना, अत्यधिक गर्मी में भी शारीरिक परिश्रम करना, तेज धुप में अधिक देर तक रहना,गर्म वातावरण में रहना,गर्मी में भी अधिक व्यायाम करना आदि कारणों से लू लग सकती है।
लू लगने के लक्षण-
गर्मी में काम करते हुए अचानक आंखों के सामने अंधेरा छाना जाना ,चक्कर खाकर गिर जाना,मांसपेशियों में असहनीय दर्द होना,बड़ी बैचेनी होना,घबराहट होना,पागलों की तरह व्यवहार करना,हल्का या तेज बुखार आना, जी मिचलाना ,बार बार प्यास लगना, तेज सिरदर्द होना,बहुत कमजोरी महसूस होना आदि लक्षण हो सकते है।
यह जरूरी नही है कि यह सारे लक्षण एक साथ हो। हल्की लू में मरीज को आता रहता है लू में जब तक पसीना आ रहा है तो यह एक अच्छा लक्षण है पसीने से पता चलता है कि अभी भी उसका सिस्टम काम कर रहा है।
लू से बचाव के उपाय-
1.लू लग जाने पर सबसे आवश्यक होता है शरीर के तापमान को कम करना। सबसे पहले उसको छाया में ले जाकर बिठाएं। फिर ठंडा कपड़ा उसके शरीर पर रखें।
2. मरीज के पैरो और हाथों की हल्के हाथों से मालिश करें |
3.मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं हो इसके लिए निम्बू पानी, शर्बत, मौसमी जूस आदि पिलाते रहें।
4.प्याज के रस को कनपट्टी और छाती पर लगाने से तुरन्त राहत मिलती है। अगर आप आधे कटे प्याज को जेब में रखकर धुप में बाहर जाएँ तो आपको लू नहीं लगेगी।
5.तेज बुखार होने पर ठंडे पानी से पट्टी का प्रयोग करें। इससे बुखार कम हो जायेगा।
6.मरीज को ठंडा पानी बिल्कुल भी नहीं पिलायें आप चाहे तो जूस पिला सकते है।
7.मरीज के शरीर को दिन में तीन से चार बार गीले तौलिये से पोछे। इससे शरीर का तापमान सामान्य रहेगा।
8. दो ग्राम जीरा, लौंग और पुदीने के दस पत्ते को लेकर पीस कर आधे गिलास पानी में मिलाकर मरीज को पिला दें।
9.धनिया पत्ती के जूस में थोड़ी चीनी मिलाकर पिएं। यह सबसे प्रभावी तरीका है। धनिया या पुदीने की चटनी भी खा सकते है।
यदि मरीज के शरीर में कफ बन रहा है तो प्याज के रस को गर्म करके रोगी को पिला दें। इससे कफ निकल जायेगा।
घरेलू उपचार-
1.दो बूंद पुदीने का रस,सौंफ का रस छह छोटे चम्मच और दो चम्मच ग्लूकोज पाउडर करीब एक-एक घंटे बाद पिलायें।
2.नारियल की गिरी को पीसकर उसका दूध निकाल लें। उसे काले जीरे के साथ पीसकर शरीर लगाएं।आराम मिलेगा।
3.ताजा प्याज का रस लेकर उसको छाती पर मलने से भी लू का असर कम हो जाता है।
4.पकी हुई इमलियाँ लेकर उसको पानी में घोलकर कपड़े से छानकर उस कपड़े को मरीज को ओढ़ा दें।और इस रस को हाथ-पैरों और माथे पर भी लगा दें। राहत मिलेगी।
5.1ग्राम आंवले का चूर्ण, मीठा सोडा आधा ग्राम और तीन ग्राम मिश्री को सौंफ के रस के साथ रोगी को पिला दें।