हैजा रोग(Cholera Disease)-
हैजा रोग को कॉलरा रोग(Cholera Disease) भी कहा जाता है। हैजा रोग का प्रमुख कारण दूषित पानी और दूषित भोजन माना गया है। हैजा के कारण हमारे शरीर के अंदर पानी की कमी हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल पुरे विश्व में हैजा के 29 लाख मामले सामने आते है जिनमे से लगभग 95 हजार लोगो की मृत्यु हैजा के कारण होती है। हैजा रोग विबियो कोलेरी बैक्टीरिया' से फैलता है। इसका सीधा असर आंतों में होता है, जिससे उनको उल्टी -दस्त हो जाते है और वक्त रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो इससे पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। यह बैक्टीरिया कई प्रकार का होता है इसमें रोग के लक्षण के अनुसार संक्रमण के प्रकार का पता लगाया जाता है।
यह संक्रमण होने के दो-तीन दिन बाद इस रोग के लक्षण दिखाई देते है उपचार के पश्चात जब रोगी ठीक हो जाता है फिर भी कुछ बैक्टीरिया शरीर में बने रहते है। मनुष्य के मल में हैजा के बैक्टीरिया पायें जाते है। जब मक्खियाँ उस मल पर बैठती है तो उनके पैरों में यह जीवाणु चिपक जाते है और यह मक्खियाँ जब किसी खाने-पीने की चीजों पर बैठ जाती है तो यह जीवाणु वहां पर छुट जाते है जिससे जब भी कोई स्वस्थ व्यक्ति इन चीजों को खाता या पीता है तो उसके जरिये उनकी आंतो तक पहुंच जाते है और उनकी आंतो को संक्रमित कर इस रोग को बढाता है
और हैजा होने पर उल्टी दस्त होने लगते है अत्यधिक दस्त होने पर रोगी के शरीर से पानी के साथ द्रव्य और खनिज लवण भी निकल जाते है। इससे रोगी के शरीर में इन चीजों की बहुत कमी हो जाती है। तुरंत इनकी पूर्ति शरीर में करना अति आवश्यक होता है नही तो दो-तीन दिन तक अगर ऐसी ही स्थिति रही तो और उपचार में कोताही बरती गई जाएँ तो पीड़ित की मृत्यु भी हो सकती है यह रोग शीघ्र ही महामारी का रूप धारण कर लेता है, इसलिए सार्वजनिक जगहों पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खुले जगहों पर रखी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
हैजे के बैक्टीरिया दूषित पानी या भोजन के जरिये शरीर में घुसकर अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और जब पर्याप्त संख्या में हो जाते हैं तो वहाँ विष उत्पन्न करते हैं, यह विष खून के जरिये शरीर के अन्य भागों में चला जाता है और रोग को बढ़ाता है। जिससे उल्टी के साथ ही पतले दस्त लग जाते हैं और ये लगातार होते ही रहते हैं, शरीर का सारा पानी इन दस्तों में निकल जाता है। इस बीमारी में बुखार नहीं आता, बस पीड़ित निढाल, थका-थका सा कमजोर व शक्तिहीन हो जाता है।
हैजा रोग के लक्षण-
हैजा होने पर व्यक्ति उल्टियाँ और दस्त होना शुरू हो जाती है। वैसे हैजा के लक्षण संक्रमण होने के दो से तीन दिन बाद दिखाई देते है।
बार-बार उल्टी और दस्त होना,पतला दस्त या पानी की तरह मल निकलना,दस्त के साथ पैरों में ऐंठन होना, हृदय की गति बढ़ना,
शरीर में थकान महसूस होना,बीपी लो हो जाना,प्यास अधिक लगना, कमजोरी महसूस होना,चक्कर आना आदि लक्षण होने पर तुरंत उपचार करवाना बहुत आवश्यक होता है नहीं तो रोगी की हालत और भी गंभीर हो सकते है।
बचाव के उपाय -
- दूषित भोजन या जल का सेवन नहीं करें। दूषित नदियों,तालाबों,कुओं,बावडियों के जल का सेवन नहीं करे।
- खुले में शौच के लिए नहीं जाएँ क्योंकि इससे यह संक्रमण अधिक फैलता है।
- रोगी को साफ स्वच्छ भोजन दिया जाएँ और पानी भी साफ और उबला हुआ पिलायें।
- रोगी का पेट पहले ही कमजोर हो चूका होता है इसलिए उसे हल्का आहार ही दें।
- रोगी को ताजे फलों का जूस पीला सकते है। नींबू पानी देना भी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अलावा सौंफ का पानी या तुलसी की पत्तियों को उबाल कर ठंडा कर यह पानी भी दे सकते हैं।
हैजा के घरेलू उपचार-
- अजवाइन का तेल 5-6 बूँद देने से हैजा के पेट के अंदर के बैक्टीरिया नष्ट हो जाते है।
2. हैजा होने पर प्यास अधिक लगती है। पानी में मुनक्के उबालकर चबाएं और उसी पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पियें। इससे हैजा ठीक हो जाएगा। और शरीर को शक्ति भी मिलेगी।
3.हैजा होने पर दस ग्राम प्याज के रस में पांच ग्राम शहद मिलाकर रोगी को देने से आराम मिलता है।
4.एक ग्राम या एक रत्ती भर फिटकरी में एक चम्मच शहद मिलाकर चटा देने से हैजा दूर होता है।
5. हैजा में उल्टी-दस्त होने पर 10 ग्राम इलायची को एक लीटर पानी में उबालते रहे जब तक पाव भर पानी बचे अब इसे उतारकर ठंडा कर लें। फिर इसका सेवन घूंट-घुट कर थोड़ी थोड़ी देर में करते रहें।यह अधिक प्यास लगने में और पेशाब रूकने पर अत्यन्त लाभप्रद है।
6.पुदीना हैजा के लिए रामबाण है। हैजा होने पर रोगी को लगातार पुदीने का अर्क देना चाहिए।
7.लहसुन को उबला पानी देने से हैजा के जीवाणु मर जाते हैं।
8. हैजा में रोगी को नींबू का पानी या नारियल का पानी मिलाकर पीना चाहिए, ताकि उल्टी से दूषित चीजें दूर हो जाएं।
9.तुलसी के रस में 5 ग्राम हींग, 10 ग्राम कपूर और नीम की 10 कोमल पत्तियों को पीसकर चने के बराबर गोलियां तैयार करके दिन में तीन से चार बार एक-एक गोली देने से हैजे में लाभ होता है।