Corona epidemic

कोरोना महामारी (Corona epidemic) का जाल हैं एक महाषड्यंत्र

कोरोना महामारी (Corona epidemic) का जाल हैं एक महाषड्यंत्र कोरोना का हाहाकार पूरी दुनिया में छाया हुआ हैं,अमेरिका रूस और चीन के मीडिया और नेताओं की बात करें

तो वो ये मान रहे हैं कि कोरोना वायरस अपने आप पैदा नहीं हुआ बल्कि इसे साजिश के तहत पैदा किया गया हैं। चीन,रूस और ईरान इसके लिए सीधे अमेरिका को निशाने पर ले रहे हैं, क्या इसके पीछे सच में चीन की कोई साजिश हैं कोरोना से जुड़ा सच छिपा रहा हैं चीन,जब से वैश्र्विक मीडिया ने कोरोना वायरस के बारे में खबरें छापनी शुरू की हैं तभी से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन की सरकार ने इस बिमारी से जुड़े कई आधिकारिक आंकड़ों को छिपाने की कोशिश की हैं। एक तथ्य ये हैं कि चीनी सरकार ने वहिसलब्लोअर्स और डॉक्टरों को डराने की कोशिश की, ताकि सही जानकारी सामने न आ सकें। दरअसल इन लोगों ने इस महामारी के बारे में लोगों को पहले ही सचेत करने की कोशिश की थी। लेकिन चीनी (China) सरकार ने फिर भी किसी को मुहँ नहीं खोलने दिया। हालांकि चीनी की सरकार (Government) इस तरह की बातों को पूरी तरह नकार चुकी हैं। कोरोना की भविष्यवाणी भी की जा चुकी हैं। सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा हैं कि इस महामारी की भविष्यवाणी पहले की जा चुकी हैं। जिसमें कहा गया हैं कि इस जैविक हथियार में इतनी ताकत थी कि वो पूरी मानव जाति का ही खात्मा कर सकता था। लेकिन इस दावों में कितनी सच्चाई हैं इसकी कोई पुष्टि नहीं कर रहा हैं। सोशल मीडिया पर जिन बातों का जिक्र किया गया हैं,उसे चीन के शहर वुहान से जोड़कर देखा जा रहा हैं। लेकिन यह पूरी असलियत नहीं हैं। पिछले कुछ दिनों में यह हर जगह सुनने को मिला कि कोरोना चीन के जैविक हथियार बनाने की कोशिश का नतीजा हैं। कोरोना की उत्पति को लेकर जहाँ एक तरफ चीन को सवालों के घेरे में खड़ा करने की कोशिश हो रही हैं। Corona epidemic और इसे चीन का जैविक हथियार बताया जा रहा हैं,वहीं एक हालिया शोध में दावा किया गया हैं कि यह वायरस प्राकृतिक हैं। किताब के पहले एडिशन में बताया गया हैं कि ये वायरस रुसी शहर गोर्की से फैला हैं। किताब के अनुसार रूस का बनाया गया सबसे खतरनाक जैविक हथियार हैं। चारों और तरह-तरह की रिसर्च चल रही हैं, लेकिन फिलवक्त इस महामारी का कोई इलाज नहीं, इधर राष्ट्रीय स्तर पर जब खेल जैसे सभी खेल स्थागित हैं, कतिपय मरीज डॉक्टर, नर्स,वार्ड बॉय और पुलिस के साथ छुपम-छुपाई खेलते हुए भावुकता में सरोबार हुए जाते हैं, वे सोच रहे हैं कि इस कदीमी लुकाछिपी के जरिये वे इस बार महाकाल को भी धता बता देंगें,हंसते-हंसाते आनंद से गुजर जाना हमारे समय का महज मुहावरा या अस्सी के दशक की फ़िल्मी कहानी नहीं, असल जिन्दगी का संप्रति सर्वमान्य फसलफा हैं, निठल्लेपन से भरे वक्त में घर के छज्जों पर तैनात तमाम टीनएजर्स के हाथ स्मार्टफोन के स्क्रीन के ईद-गिर्द अकुला रहे हैं कि कुछ अनहोनी दिखे, तो उसे कैप्चर कर व्हाट्सएप ग्रुप में चस्पा कर दें।उनके भीतर का शरलोक होम्स आतिशी शीशी लिए जर्रे-जर्रे पर गहरी नजर रखे हुए हैं। 37 वर्षीय अमेरिकी पोंप सिंगर केरी हिल्सन ने अपने ट्विटर हैंडल से एक और अफवाह को जन्म दे दिया हैं। उन्होंने कोविड- 19 को एक षड्यंत्र बताते हुए अपने ट्वीटमें दावा किया कि 5जी सेवा कोरोनावायरस के प्रकोप से जुड़ी हैं। केरी ने स्क्रिनशोर्ट और वीडियो के साथ ट्वीट्स की एक के बाद एक कई तस्वीरें साझा की जिसमे यह कहा गया था कि 5जी सेलुलर नेटवर्क सेवा सीधे तौर पर सिओवीआईडी-19 के प्रसार से जुड़ी हुई हैं। जब कोरोनावायरस फैलना शुरू हो गया तो लोगों ने इसकी तुलना सार्स (Sars) के प्रकोप से कर दी गई। Sidrap रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस के लिए मृत्यु दर 23%हैं जबकि sars के लिए यह 9.6% था। हालांकि इस बात पर भी संदेह किया जा रहा हैं कि क्या इससे जुड़े सही आंकड़े छिपाएं जा रहे हैं। Corona epidemic

एक और कारण भी हैं कोरोना महामारी का

जिस तरह कोरोनावायरस महामारी ने गति पकड़ी हैं उसी तरह इसके शुरू होने और फैलने का कारण बताने वाले तमाम किससे भी शुरू हो गये हैं। इन कहानियों में एक सिद्धांत ऐसा भी हैं जिसने 5जी तकनीकी के हालिया आगमन को ही दोषी मान लिया हैं। 5जी के खतरों के बारे में चेतावनी देने वाले समूहों की संख्या बढ़ रही हैं और कई देश इसके गवाह बन रहे हैं। यूके, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में एक्टिविस्ट यह मानते हैं कि 5जी ही इस महामारी की असल वजह हैं और विषाणु के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए 5जी नेटवर्क में खलल डालना बेहद जरूरी हैं। वो चेतावनी देने वाले इन समूहों के चरम छोर पर वो लोग हैं जो कोविड-19 को एक छल मानते हैं। उनका कहना हैं कि एक अधिक नुक्सान वाली कहानी हैं, जिसमें 5जी एक अहम हिस्सा हैं। लोग षड्यंत्रकारी सिद्धांतो पर यकीन क्यों करते हैं और इनकी बढ़ती लोकप्रियता का राज क्या हैं? इन यकीन की जड़ो में मिलता हैं कि ऐसे लोगों का मौजूदा सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों के प्रति अविश्वास का भाव हैं। इसके अलावा, संकट के समय लोग खासतौर पर इन वैकल्पिक सिद्धांतों को तैयार करते हैं। साजिश का सिद्धांत रचने वाले लोग खुद अपनी पहचान सच की खोज करने वाले के तौर पर करते हैं। वे अक्सर किसी व्यापक जन आन्दोलन का हिस्सा होते हैं,जिससे यह माना जाता हैं कि वे स्वतंत्र ख्यालों वाले हैं और उनमें सच को कहने और जानने के लिए पर्याप्त साहस हैं। वे साहसी गुप्तचरों की तरह काम करते हैं। वे शक्तिशाली समूहों का खुलासा करते हैं जो गोपनीयता में दुर्भावनापूर्ण नतीजों को हासिल करने के लिए संचालित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ''इन्फोड़ीमिक'' यानी सूचनाओं की महामारी का नाम दिया हैं। सोशल मीडिया कंपनियों पर दुष्प्रचार के इस प्रवाह को रोकने का दबाव बन रहा हैं। इसके बावजूद सत्यशोधक समूह सोशल मीडिया यानी फेसबुक,ट्विटर और वोट्सऐप्प के ह्स्तक्षेपों को ताकतवर संस्थाओं व अभिजात वर्ग द्वारा 'असल सच' छुपाने के षड्यंत्र के बतौर देखती हैं। 5जी के खंभों पर हमले जैसी घटनाएं, एक ऐसे बैरोमीटर की तरह काम करती हैं जिससे हमें नेतृत्व और विशेषज्ञों के प्रति लोगों के अविश्वास की थाह मिलती हैं। असे में सरकारों और मीडिया के लिए यह चुनौती होगी कि वे लोगों का विश्वास फिर से पाने के लिए पारदर्शी तरीके से खुलेपन की मिसाल पेश न करें कि वैकल्पिक सत्यों को लेकर उनकी भूख को और बढाएं। जो इस महामारी के षड्यंत्र के खेल को समझ चुके हैं,वे तत्काल अपने सारे अधूरे कार्य पूरे कर ले,अपने आवागमन को 6 माह या 1 वर्ष तक या इससे भी अधिक समय तक पूरी तरह से सीमित कर दे या बाधित कर लें,राशन कार्ड, गैस कॉपी का बहिष्कार करें,

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फ़ूड की सप्लाई शहरों की तरफ जाने से रोके, अपना-अपना आधार कार्ड डिएक्टिवेट करवाएं। तथा अब जन्म लेने वाले बच्चों का आधार कार्ड से लेकर कोई भी डिजिटल आई डी न बनवाये उससे पहले बैंक से पैसा निकालकर बैंक अकाउंट व मोबाइल नम्बर बंद कर दें,अपने घरों में अनाज का भंडारण स्वयं करें और जरूरत से ज्यादा करें पर बेचे नही। तथा साथ ही अपने खेतों में साग सब्जी मशाला, अनाज दाल आदि का उत्पादन करें,और बीज के लिए अलग से बचाकर रखें बाजारों से नमक खरीद करके रख सकते हैं। रुपयों को खर्च करके दैनिक एवं लम्बे समय तक काम आने वाली चीजों को खरीद करके रख सकते हैं,कुछ इमरजेंसी दवाएँ भी आपने घरों में रखें, और कुछ चूर्ण हैं जिन्हें आपको बनाना पड़ सकता हैं। जिसे आपको हम बताएंगे साथ ही अपने घरों में लाठी,डंडे,फावड़ा,गैती,बांका,भाला, बरछी, कुल्हाड़ी, आरा आदि जरुर रखें, और अपने घरों के सामने दीवाल एवं दरवाजे पर यह लिखकर पोस्टर अवश्य चिपकाए कि हम लडकर मर जाएंगे पर वैक्सीन नहीं लगवाएंगे और न ही डिजिटल गुलामी को स्वीकार करेंगे।

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