डेंगू बुखार (dengue fever)के कारण ,प्रकार, बचाव,उपचार

डेंगू बुखार (dengue fever)के कारण ,प्रकार, बचाव,उपचार

डेंगू बुखार(dengue fever)-

डेंगू बुख़ार(dengue fever) एक संक्रामक रोग है जो डेंगू (dengue fever)संक्रमित मच्छर के काटने से होता है डेंगू का उपचार समय पर कराना बहुत आवश्यक होता हैं। डेंगू बुख़ार को "हड्डीतोड़ बुख़ार" भी कहते है क्योकि इसके रोगी को इतना तेज दर्द होता है कि उसको लगता है जैसे उसकी हड्डियाँ टूट गयी और पुरे शरीर में अत्यधिक दर्द होता है डेंगू बुखार एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। मच्छर के काटने के तीन-चार दिन बाद व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देते है।

डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर को पूरी तरह से नहीं मारा जा सकता। क्योंकि यह गर्म से गर्म माहौल में भी यह जिंदा रह सकते है। इन मच्छरों के अंडे इतने सूक्ष्म होते है जो आंखों से दिखते भी नहीं हैं, जिसके कारण इसे मार पाना संभव नहीं है। इनके अंडे पानी के संपर्क में आते ही लार्वा में बदल जाते है और फिर वयस्क मच्छर बन जाता है। गर्मी और बारिश के दिनों में डेंगू नामक रोग बहुत अधिक फैलता है। डेंगू ज्यादातर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है। क्योंकि यह एक ऐसा संक्रामक रोग है, जिसमें रोगी को तेज़ बुखार आता है भले ही ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को न हो लेकिन एक संक्रमित मच्छर से ज्यादा से ज्यादा लोगों को हो सकता है।
अगर साधारण शब्दों में कहें तो मच्छर किसी डेंगू से पीड़ित व्यक्ति को काट लेता है तो उसका खून भी साथ में चूस लेता है।

ऐसे में उस पीड़ित व्यक्ति के खून में मौजूद डेंगू का वायरस मच्छर को भी संक्रमित बना देता है। फिर जब यही संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है तो उसे भी इन्फेक्शन कर देता है। इससे यह रोग फैलता जाता है और वह संक्रमित मच्छर जितने भी स्वस्थ व्यक्तियों को काटता है, उन्हें संक्रमित कर देता है। यह रोग वयस्कों के साथ-साथ बच्चो को भी अपनी चपेट में ले लेता है। इसके अलावा डेंगू के फैलने के अन्य कारण भी है जैसे अपनी आसपास की जगहों पर पर्याप्त साफ-सफाई नहीं रखना। कूलर, कीचड़ या फिर किसी गड्ढे या गंदे नाले में भी मच्छर बड़ी तादात में रहते हैं जो डेंगू का कारण बन सकते हैं।

उन लोगो को भी डेंगू हो सकता है जो इस रोग से के संक्रमित क्षेत्रों में रह रहे हों और अपने बचाव के लिए किसी तरह का उपाय ना कर रहे हों। जैसे उस एरिया के मच्छरों से बचने के लिए अपने पुरे शरीर को कपड़ों से ढक कर नहीं रखना, मच्छरों से बचने के लिए एंटी-मच्छर क्रीम का उपयोग नहीं करना ,इसके साथ घर में मच्छरदानी का उपयोग नहीं करना मच्छर से बचने के लिए बाज़ार में उपलब्ध क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना से मच्छर घरो में घुस जाते है और लोगों को भी संक्रमित कर देते है।

डेंगू के लक्षण- तेज बुखार आना, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते हो जाना,मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना,पुरे शरीर में दर्द रहना, बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होना,भूख नहीं लगना,जी मचलना और मुंह का स्वाद खराब रहना,गले में हल्का दर्द रहना आदि लक्षण हो सकते है।
डेंगू बुखार के प्रकार -

  • सामान्य डेंगू बुखार - इसमें मरीज को तेज बुखार के साथ पुरे बदन में तेज दर्द रहता है, सिर में दर्द रहता है शरीर पर लाल दाने हो जाते है। इसमें अधिक लक्षण भी नहीं दिखते है। ऐसे में मरीज की जाँच कराने पर वह डेंगू पॉजिटिव आता है लेकिन मरीज बिना किसी इलाज के ठीक हो जाता है।
  • क्लासिकल डेंगू बुखार- यह डेंगू बुखार का एक साधारण वायरल बुखार है। इसमें पुरे शरीर में दर्द रहता है तेज भिखर भी आता है सिरदर्द होता है शरीर पर दाने हो जाते है यह 7-8 दिन में ठीक हो जाता है।
  • डेंगू हेमरेजिक बुखार - यह थोड़ा अधिक खतरनाक हो सकता है। इसमें प्लेटलेट और श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होने लगती है। इसमें मसूड़ों और नाक से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना या त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के चकते दिखना आदि लक्षण होते हैं।
  • डेंगू शॉक सिंड्रोम- इसमें व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है इसमें व्यक्ति की ब्लड प्रेशर और नाड़ी एकदम कम हो जाती है तेज बुखार होने पर भी त्वचा ठंडी होने लगती है और मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है आदि लक्षण होते है।
    बचाव के उपाय-
  • कहीं भी बाहर जाएँ तो अपने पुरे शरीर को ढक कर रखें पुरे आस्तीन के कपड़े पहने।
  • अपने घर के बाहर कहीं भी गन्दा पानी नहीं जमा होने दे।
  • अपने घर पर पानी पूरी तरह ढककर रखें, कूलर, बाथरूम, किचन आदि में जहां पानी रुका रहता है, वहां दिन में एक बार मिट्टी का तेल डाल अवश्य डाले।
  • घर की छत्तों पर टायर,बर्तन,या टूटे-फूटे डिब्बे व बोतलें आदि पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।
  • हल्के रंग के कपड़े पहने और तेज सुगंध वाली परफ्यूम नहीं लगायें।
  • अपने घर में मच्छरदानी का उपयोग करे।
    डेंगू के घरेलू उपचार-
    हल्दी का उपयोग - आप दूध में हल्दी मिलाकर पी सकते है इसके अलावा दाल और सब्जियों में इसका इस्तेमाल कर सकते है इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी।और आप बिमारियों से बचे रहेंगे।
    तुलसी और शहद - तुलसी को पानी में उबालकर, उसमें शहद मिलाकर इसका सेवन करे। इसके अलावा, आप काढ़े या चाय में मिलाकर तुलसी का कर सकते हैं। इसके एंटी बैक्टीरियल गुण आपको डेंगू से लड़ने में मदद करेंगे।
    ​बकरी का दूध- डेंगू बुखार से शरीर प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाती है और लगातार घटती रहती है। ऐसे में आप बकरी के दूध का सेवन करें।इससे प्लेटलेट्स घटना कम हो जाएगी। डेंगू में बकरी का दूध एक कारगर नुस्खा है यह उपाय कम उम्र के बच्चो पर नहीं करें।
    पपीते के पत्ते-पपीते के पत्तों का रस शरीर मे प्लेटलेट्स बढ़ाने मे बहुत उपयोगी है पपीते के पत्तों का रस डेंगू के किसी भी ट्रीटमेंट से बहुत अच्छा होता है इससे प्लेटलेट्स काफी तेज़ी से बढ़ती है 4-5 पपीते के पत्ते लेकर उनको मिक्सी में पीसकर बारीक़ कर ले और इसको दो गिलास पानी में तेज आंच पर उबाल लें और आधा पानी बचने पर उतारकर ठंडा करके सेवन करें इसका इस्तेमाल खाली पेट करने पर अधिक लाभ होता है।
    अनार- अनार का रस भी रामबाण इलाज है यह शरीर मे खून बढ़ाने का काम करता हैं। और हमारे खून मे मौजूद प्लेटलेट्स को बढ़ाने मे भी उपयोगी है जिससे डेंगू की समस्या दूर करने मे काफी मदद मिलती है।
    गिलोय- गिलोय का सेवन करने से शरीर मे मेटाबोलिज़्म तेज़ी से बढने लगता है रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है और यह शरीर को सभी तरह के संक्रमण से बचाता है आप गिलोय के रस को एलोवेरा का रस ,अनार का रस और पपीते के पत्तों का रस इन सबको साथ मिलाकर पीएं इन सबको साथ मिलकर पीने से रामबाण इलाज होता है। इससे इतनी तेज़ी से प्लेटलेट्स बढ़ती है जितनी किसी और दवा या नुस्खे से नहीं बढ़ती।
    गेहूं के ज्वारे- गेहूं के ज्वारे का रस डेंगू के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होता है यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए रामबाण है और डेंगू मे हमे ऐसी चीज़ की सबसे अधिक ज़रूरत होती है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए।
    रोजाना सुबह मे गेहूं की ज्वारे का रस बनाकर पीएं इसके प्रयोग से पाचन शक्ति मजबूत होती है और लीवर की कमजोरी दूर होती है।

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