ब्रेन अटैक (Brain attack) से छुटकारा पाने के रामबाण उपाय हार्ट अटैक पर अक्सर काफी कुछ लिखा-पढ़ा जाता है, लेकिन ब्रेन अटैक (Brain attack) या ब्रेन स्ट्रोक को लेकर हम लोग ज्यादा सचेत नहीं हैं।
ऐसा करना मुसीबत को न्योता देना है क्योंकि कभी उम्रदराज लोगों की बीमारी समझे जाने वाले ब्रेन अटैक की चपेट में अब युवा भी आ रहे हैं। गलत लाइफस्टाइल भी इस बीमारी को बढ़ावा दे रहा है।
और आज का खानपान तो आपको पता ही है लोग अपने शरीर के बारे में बिलकुल भी नही सोचते की वो अपने ही शरीर में क्या डाल रहे है,आज हम हर दुसरे तीसरे व्यक्ति के बारे में तो कह देते है की वह फला व्यक्ति ऐसा है वैसा है पर
एक सवाल जो में हर व्यक्ति से करता हु की आप अपने शरीर के बारे में कितना जानते है...उस समय हर व्यक्ति इस सवाल को पूछने के बाद मौन नजर आता है
ब्रेन अटैक, हार्ट अटैक,लकवा, शुगर ,हाई ब्लड प्रेशर अगर इन बीमारियों से आपको बचना है तो आप इनका उपचार करने से पूर्व इनके होने के कारणों के बारे में जरुर जाने.
ये सारी बीमारियाँ खून की बीमारियाँ है. खून अगर गन्दा होगा तो यह सारी बिमारियां आपको कभी भी अपनी चपेट में ले सकती है
आप सवाल करने की आदत डालिए अपने आप से ...बात यही तक खत्म नही होती अब आप इस बात को जानिए की आखिर हमारा खून किस कारण गन्दा होता है...इस चेन(कड़ी) के साथ सवाल खड़े करते जाइए आपको बीमारी का मूल कारण मिल जायेगा...इससे आपको अन्य बीमारियों के मूल कारणों को जाने में आसानी होगी...हमारा खून हम अपने खानपान से गन्दा करते है...खानपान की सही जानकारी नही होने के कारण आज हरएक व्यक्ति किसी न किसी शारीरक समस्या से जूझ रहा है...
आपको इस बात का पता होना चाहिए की हमारे शरीर में 20% अम्ल तत्व और 80%क्षार तत्व होता है...ये जब बेलेंस में होता है तो हमे बीमारियाँ नही होती है या हम स्वस्थ रहते है...इनके अनबेलेंस से ही शरीर रोगी होता है...इनका रेशियो हमारे खानपान से ही बढ़ता या गटता रहता है..लगातार अगर आप अम्लीय चीजे अपने भोजन में इस्तेमाल करते है तो सीधी सी बात है की शरीर में अम्ल बढेगा...अम्ल अगर जरुरत से अधिक बढ़ता है तो हम कहते की हमे एसिडिटी हो रही है ...खट्टी डकारे आ रही है और मुह में पानी आना शरीर में अम्ल बढ़ने का संकेत है...
हम फिर भी इसके खेल की नही समज पाते और जो दिनचर्या पहले चल रही है वैसी की वैसी उसमे कोई बदलाव नही करते है...और फिर यही एसिडिटी आगे रक्त में चली जाती है जिसके कारण रक्त दूषित हो जाता है,रक्त गाढ़ा हो जाता है और फिर ही शुरू होती है खून की बीमारियाँ रक्त में जैसे ही एसिड मिलता है
तो हमारा खून गाढ़ा हो जाता है और खून गाढ़ा होने से नसें ब्लॉक हो जाती है और अटैक आता है। दिमाग की कोई भी नस अचानक ब्लॉक हो जाए या फट जाए तो उसे ब्रेन स्ट्रोक कहा जाता है। हार्ट अटैक की तरह इसे ब्रेन अटैक भी कहा जा सकता है। ऐसा होने पर दिमाग को खून की सप्लाई रुक जाती है और दिमाग के काम पर असर पड़ता है। यह बेहद इमरजेंसी की स्थिति होती है।
ब्रेक स्ट्रोक किसी भी वक्त हो सकता है, लेकिन इसके बहुत सारे मामले सुबह के वक्त होते हैं क्योंकि उस वक्त ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है। यह माना जाता है कि स्ट्रोक को रोका नहीं जा सकता है, जो निश्चित रूप से एक मिथक है। यह निश्चित रूप से 80 प्रतिशत मामलों में रोका जा सकता है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि स्ट्रोक के प्रभाव को निश्चित रूप से उलटा किया जा सकता है, लगभग 100 प्रतिशत, अगर केवल तुरंत संबोधित किया जाए।
शुरुआती लक्षण और संकेत-
1.चेहरे, बांह, पैर (खासकर शरीर के एक तरफ) में अचानक संवेदन शून्यता या कमजोरी।
2.अचानक भ्रम की स्थिति, बोलने या किसी बात को समझने में दिक्कत।
3.एक या दोनों आंखों से देखने में अचानक दिक्कत।
4.चलने में तकलीफ, चक्कर आना, संतुलन या समन्वय का अभाव।
आम तौर पर ब्रेन अटैक में बिना वजह अचानक भयंकर सिरदर्द होने लगता है. इसके साथ ही उल्टी, दौरा या मानसिक चेतना का अभाव जैसी शिकायतें भी होती हैं। इन मामलों में नॉन-कॉन्ट्रास्ट सीटी तत्काल करा लेना चाहिए।
बचाव के लिए उठाएं ये कदम-
1.ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए बीपी, डायबिटीज और वजन को कंट्रोल में रखें।
2.बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का सेवन न करें। खाने में हरी सब्जियां और फल की मात्रा बढ़ाएं।
3.लो कोलेस्ट्रॉल, लो सैच्युरेटेड फैट को डायट में शामिल करें।
4.शराब और धूम्रपान को अनिवार्य रूप से छोड़ें और व्यायाम को नियमित दिनचर्या में शामिल करें।
5. प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। वायु में धूल के कणों की वजह से सांस की नली संकरी हो जाती है। इससे शरीर में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है, जिस कारण भी खून की धमनियां फट जाती हैं और दिमाग में खून की सप्लाई बंद हो जाती है। खून की सप्लाई बंद होने से थक्के जमने शुरू हो जाते है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज का खतरा बढ़ जाता है। काम का तनाव, हाई बीपी और स्मोकिंग भी प्रमुख कारण हैं
विशेष बात :- लक्षण दिखने के शुरुआती साढ़े चार घंटे में अगर इलाज शुरू हो, तो बड़े नुकसान से बच सकते हैं। जितनी जल्दी क्लॉट(थक्के जमना) खत्म करने की दवा दी जायेगी, उतना ही बेहतर परिणाम मिलेगा।
किसको हो सकता है ब्रेन स्ट्रोक यूं तो किसी को भी हो सकता है, लेकिन निम्न लोगों को आशंका ज्यादा होती है-
•उम्रदराज
• ब्रेन स्ट्रोक की फैमिली हिस्ट्री
• स्मोकिंग करने वाले
• दिल के मरीज
• शुगर के मरीज
• कॉलेस्ट्रॉल के मरीज
• ब्लड प्रेशर के मरीज
बचाव कैसे करें
1. तनाव कम करें
2. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। फल और हरी सब्जियां खूब खाएं।
3. शुगर( फास्टिंग- 100 से कम, पीपी- 140 से कम), ब्लड प्रेशर- 120/80, कॉलेस्ट्रॉल(200 से कम) को कंट्रोल में रखें।
4. रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें।
5. फैट से भरपूर खाना और जंक फूड न खाएं।
6. प्रदूषण से बचें।
ब्रेन अटैक में क्या खाना चाहिए?
•सब्जियों और फलों का सेवन करें व समृद्ध आहार खाएं।
•संपूर्ण अनाज, उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ खाएं।
•सफेद शक्कर और उससे बनने वाले पेय और खाद्य पदार्थों को न खाएं।
•ऐसी चीजे जिनमे अम्ल तत्व(खट्टी चीजें) ज्यादा हो नहीं खाएं क्योंकि अम्लीय खाद्य पदार्थों से हमे एसिडिटी होती है और एसिडिटी से रक्त अम्लता होती है और रक्त अम्लता से रक्त गाढ़ा होता है और रक्त गाढ़ा होने से खून में थक्के जम जाते है इसी से ब्रेन अटैक होता है।
•आप क्षारीय चीजो को खाइए जिसमे सब्जियों में -फुल गोभी,ताजा ककड़ी,काली मिर्च,चिव,लहसुन, प्याज,गाजर,मुली,आलू,टमाटर फलों में - एवोकैडो, सूखे मेवे में - बादाम,ब्राजील नट बीजो में- जीरा सौफ बीज,कद्दू के बीज,तिल के बिज आदि क्षारीय तत्वों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि क्षारीय चीजों से रक्त की अम्लता कम होती है और किसी भी प्रकार के अटैक का खतरा कम रहता है
•नमक का प्रयोग बिलकुल नहीं करना है
•यदि आप शराब पीते हैं, तो इसे छोड़ दे।
•धूम्रपान न करें।
योग कौनसे करें -
स्ट्रोक से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल बहुत जरूरी है। रोजाना नियमित रूप से एक्सरसाइज के अलावा योग जरूर करें। यह मन को रिलैक्स रखता है। निम्न योग रोजाना करें।
1. अनुलोम-विलोम प्राणायाम -5 मिनट
2. डीप ब्रीदिंग- 2-3 मिनट
3. भ्रामरी प्राणायाम- 2-3 मिनट
4. ओम का जाप - 2 मिनट
5. ध्यान (मेडिटेशन) - 2-3 मिनट
6. शवासन - 2-3 मिनट
7. हास्यासन - 1-2 मिनट
इन सभी क्रियाओं को रोजाना करीब 15-20 मिनट के लिए करें। ये तमाम मानसिक बीमारियों से बचाने में कारगर हैं। स्ट्रोक से बचने में ये काफी मददगार हैं। अगर स्ट्रोक हो जाए तो रिकवरी के बाद भी इन्हें नियमित रूप से करें।