स्वस्थ रहने के लिए (Best oil) कौनसा हैं खाना पकाने में तेल का उपयोग खूब होता हैं, तेल के बिना खाने में स्वाद लाना मुमकिन ही नहीं हैं, लेकिन आपने सूना तो होगा की तेल का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए
ज्यादा तेल खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता हैं इसलिए खाना बनाने में कम से कम तेल उपयोग करें। पर शायद आप नहीं जानते हैं की उचित मात्रा में तेल का उपयोग करना ह्रदय के लिए अच्छा होता हैं। लेकिन इस बात का भी आपको ध्यान रखना हैं की कोनसे तेल का प्रयोग करना फायदेमंद हैं।
जैतून के तेल के फायदे - जैतून का तेल खाने से कई तरह के फायदे होते हैं इससे आप स्वस्थ रह सकते हैं यह तेल सेहत के लिए कई तरह से लाभकारी होता हैं और रिसर्च में भी यह साबित हो चुका हैं की हार्ट अटैक के लिए ऑलिव ऑयल का सेवन सबसे ज्यादा फायदेमंद होता हैं,इस बात में कोई शक नहीं हैं।
की मेडिटेरियन डाईट सबसे ज्यादा हेल्दी होती हैं और इस डाईट का सबसे प्रमुख हिस्सा होता हैं। जैतून का तेल सर्वाधिक स्वास्थ्यवर्धक खाद्य तेल हैं इस तेल के उपयोग से ह्रदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियों में रक्षा हो सकती हैं। आँखों के लिए भी यह तेल काफी फायदेमंद हैं, इसके नियमित प्रयोग से आँखों की रोशनी बढ़ती हैं।
और इससे कब्ज में भी आराम मिलता हैं। यह विटामिन-ई विटामिन के,आयरन, ओमेगा-3 व 6 फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता हैं इस तेल के नियमित उपयोग से कई बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती हैं।
तिल के तेल के फायदे - तिल का तेल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं, इस वजह से तिल के तेल की लोकप्रियता काफी बढ़ गई हैं। खाना पकाने के अलावा कोस्मेटिक और दवाओं में भी इसका उपयोग किया जाता हैं तिल के तेल से मालिश भी की जाती हैं।
यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होता हैं,इस कारण इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी कहा जाता हैं।भुने हुए तिल के बीजों से तेल बनाने पर उसका रंग भूरा होता हैं,और इस तेल का इस्तेमाल खाना पकाने के बजाय फ्लेवर देने के लिए भी किया जाता हैं।
पॉलीअनुसैचुरेटेड फैट होने की वजह से तिल का तेल सेहत के लिए फायदेमंद रहता हैं इनमें विटामिन k विटामिन b कोम्प्लेक्स, विटामिन d विटामिन ई और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता हैं,प्रोटीन होते हैं, इसलिए तिल का तेल बालों के लिए भी लाभकारी हैं। आयुर्वेद के अनुसार तिल का तेल वात को संतुलित करने में प्रभावी हैं
और कफ दोष या व्यक्ति की प्रकृति को नियन्त्रण करने में उपयोग किया जा सकता हैं। स्वस्थ दांत और मसूड़ों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता हैं आँतों को चिकना करने में तिल का तेल उपयोगी हैं।
तिल के तेल के नुकसान- कई बार तिल के तेल का उपयोग नुकसानदायक भी हो सकता हैं, संवेदनशील लोगों को तिल के तेल के उपयोग से एलर्जी हो सकती हैं। तिल के तेल में रक्तचाप का स्तर कम करने की क्षमता होती हैं
इस लिहाज से अगर कोई ब्लड शुगर कम करने वाली दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इससे ब्लड शुगर का स्तर अधिक कम हो सकता हैं। तिल के तेल में कैलोरी अधिक होती हैं। जिस वजह से अधिक सेवन के कारण शरीर का वजन बढ़ सकता हैं।
रिफाइंड तेल के नुक्सान - क्या आपके घर में भी खाना रिफाइंड तेल से बनता हैं यदि आपका जवाब हाँ हैं तो सावधान हो जाए जिस रिफाइंड तेल को आप सेहत के लिए फायदेमंद समझ कर खाने में प्रयोग कर रहे हैं,वह आपकी सेहत के लिए गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता हैं,
कहीं रिफाइंड का प्रयोग आपकी सेहत को बिगाड़ न दें,रिफाइनिंग की प्रक्रिया में तेल को अत्यधिक तापमान पर गर्म किया जाता हैं। जिससे उनका क्षरण होता हैं और जहरीले पदार्थ पैदा होते हैं। जिस रिफाइंड तेल को आप खाने में काम लेते हैं वो 7-8 प्रकार के रसायन से रिफाइंड किया जाता हैं,
इन रसायनों में एक भी रसायन ऑर्गेनिक नहीं होता बल्कि अन्य रसायनों के साथ मिलकर यह जहरीले तत्वों का निर्माण करने में सक्षम होते हैं। कोलेस्ट्रोल से बचने के लिए हम जिस रिफाइंड तेल का प्रयोग करते हैं वह हमारे शरीर में आंतरिक अंगों से प्राकृतिक चिकनाई भी छीन लेते हैं।
रिफाइंड तेल की गंध निकालने पर उसमें से फैटी एसिड की मात्रा भी निकल जाती हैं चिपचिपापन और गंध निकाल देने से तेल महज पानी रह जाता हैं, जो जहर से कम नहीं होता हैं रिफाइंड तेल खाने से घुटने और कमरदर्द, ह्रदयघात, पैरालिसिस ब्रेन डैमेज और हड्डियों का दर्द हो सकता हैं।
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रिफाइंड तेल कैसे रिफाइंड किया हैं?
कास्टिक सोडा, फोस्फेरिक एसिड, ब्लीचिंग क्लेंज जैसे केमिकल मिलाकर ये तेल तैयार होता हैं तेलों में 4-5 प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं जबकि रिफाइंड में एक भी प्रोटीन नहीं बचता और इस तरह के सभी महत्वपूर्ण घटक खत्म हो जाते हैं,पौष्टिकता खत्म हो जाती हैं तब जाकर रिफाइंड तेल बनता हैं।
सोयाबीन तेल कैसे बनता हैं - सोयाबीन को तोड़कर नमी की मात्रा समयोजित कर इन्हें फ्लैक्स में रील किया जाता हैं और फिर रसापनिक के साथ घोल बनाकर खींचा जाता हैं जिससे सोयाबीन का तेल बनता हैं तेल को बाद में पारीश्कृत कर विभिन्न प्रयोग के लिए मिलाया जाता हैं और कभी हाइड्रोजीनेट किया जाता हैं।सफोला तेल कैसे बनता हैं?
सैफ फ्लावर के बीज से बनाया गया तेल कर्डी ऑयल या कुसुंभ तेल के नाम से जाना जाता हैं। सफोला का नाम भी इसी से लिया गया हैं, भारत सहित अमेरिका और मैक्सिको में यह काफी मात्रा में होता हैं और ऑयल पेंटिग में काफी काम में लिया जाता हैं ये काफी गुणकारी तेल हैं और पौषक तत्व (न्यूट्रीशियंस) काफी होते हैं।
तेल कोनसा खाएँ? (कच्ची घाणी का तेल खाएँ) रिफाइंड तेलों से बचे क्योंकि इनमे जहरीले रसायन मिलाये जाते हैं। सरसों के तेल को सरसों का पौधा के बीजों से निकला जाता हैं इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका जुन्सा हैं जिसे विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों में जाना जाता हैं
सरसों के बीज भूरे लाल और पीले रंग के होते हैं मशीनों की मदद से इनमें से तेल निकाला जाता हैं। भारत में इसका प्रचलन ज्यादा हैं और प्रतिदिन बनने वाले भोजन में भी इसका इस्तेमाल किया जाता हैं। यह तेल जायका बढ़ाने के साथ-साथ भोजन को पौष्टिक भी बनाता हैं।
इसे आमतौर पर कच्ची घानी के नाम से जाना जाता हैं,यह सरसों के तेल का शुद्ध रूप हैं यही वजह हैं की भारतीय गृहणी भोजन बनाने के लिए इसी तेल का इस्तेमाल करना पसंद करती हैं। इसी प्रकार का सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं।
रिफाइंड की जगह खाएँ सरसों का तेल सरसों के तेल के सेवन से अंदरूनी दर्द में आराम मिलता हैं सरसों का तेल त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद हैं, इसमें विटामिन ई पर्याप्त मात्रा में पाया जाता हैं इसके सेवन से त्वचा को अंदरूनी पोषण मिलता हैं। साथ ही शरीर पर इसकी मालिस से त्वचा की नमी बनी रहती हैं।