संग्रहणी रोग (IBS) की समस्या को ठीक करने के 26 अद्भुत उपाय हरड़, छोटी पीपल, सोंठ और चित्रक (चीता) को मिलाकर चूर्ण बनाकर छाछ के साथ पीने से पेचिश रोग दूर होता
20 ग्राम छोटी हरड़ और 10 ग्राम पोस्तदाना को अलग-अलग भूनकर पीस लें और इसमें 30 ग्राम चीनी डालकर मिलालें। यह 9 ग्राम चूर्ण सुबह पानी के साथ लेने से संग्रहणी (IBS) अतिसार रोग समाप्त होता है।
और मेथी का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी (IBS) दूर होता है।
10 ग्राम अनारदाना, 2 ग्राम सोंठ, 2 ग्राम कालीमिर्च और 5 ग्राम मिश्री को पीसकर चूर्ण बनाकर संग्रहणी (IBS) रोग समाप्त होता है।
पतले दस्त, बदबूदार पसीना व पेचिश रोग में अतीस और शुंठी 10-10 ग्राम को कूटकर दो किलो पानी में पकाएं और आधा शेष रहने पर छानकर थोड़ा अनार का रस मिलाकर दिन में 3-4 बार पीएं। इससे दस्त में खून व आंव आना बंद होता है।
2 ग्राम धुली हुई भांग को भूनकर 3 ग्राम शहद के साथ चाटने से संग्रहणी (IBS) रोग ठीक होता है।
अदरक, सोंठ, नागरमोथा, अतीस और गिलोय बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से पेचिश रोग में आराम मिलता है।
सोंठ और कच्चे बेल का गूदा बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से घोटकर इसमें 2 गुने मात्रा में पुराना गुड़ मिलाकर मटर के आकार की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली सुबह-शाम लस्सी के साथ सेवन करने से संग्रहणी (IBS) रोग समाप्त होता है।
सोंठ, कुटकी, रसौत, धाय के फूल, बड़ी हरड़, इन्द्रजौ, नागरमोथा और कुड़ा की छाल समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें। यह काढ़ा संग्रहणी (IBS) व पाचनतंत्र सम्बंधी गड़बड़ी को दूर करता है।
अनार के रस में जायफल, लौंग और सोंठ का चूर्ण और शहद मिलाकर पीने से संग्रहणी (IBS) रोग ठीक होता है।
• सूखे अनार के छिलके को पानी में पीसकर पीने से भी संग्रहणी (IBS) रोग दूर होता है।
- गिलोय, सोंठ, मोथा और अतीस बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ काढ़ा बनाकर 30-30 मिलीलीटर सुबह-शाम पीने से पाचनक्रिया की खराबी दूर होकर संग्रहणी (IBS) रोग समाप्त हो जाता है।
- लहसुन : लहसुन की भुनी हुई पुती, 3 ग्राम सोंठ का चूर्ण और 5 ग्राम मिश्री को मिलाकर दिन में 3 बार लेने से दस्त के साथ खून आना बंद होता है।
- पीपल : पीपल, सोंठ, पीपलामूल, चित्रक और चव्य बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर एक चम्मच चूर्ण लस्सी के साथ सेवन करने से संग्रहणी (IBS), अपच व भूख न लगना ठीक होता है।
- 100 ग्राम भांग, 200 ग्राम शुंठी और 400 ग्राम जीरा को अच्छी तरह एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। यह 1-2 चम्मच चूर्ण दही में मिलाकर भोजन से आधा घंटे पहले खाने से पुरानी पेचिश दूर होती है।
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- दालचीनी का काढ़ा प्रतिदिन 3 बार सेवन करने से संग्रहणी (IBS) रोग ठीक होता है।
- रीठा : 4 ग्राम रीठा को 250 मिलीलीटर पानी के साथ तब तक उबाले जब तक झाग न उठ जाएं और फिर इसे हल्का ठंडा करके पीएं। इससे संग्रहणी रोग दूर होता है और कब्ज दूर होकर पाचनशक्ति बढ़ती है।
- सोंठ, कूचर, कालीमिर्च, पीपल, यवक्षार, सज्जीखार, पीपलामूल और बिजौरा नींबू का चूर्ण बनाकर नमक मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ आंव व खून आना बंद होता है। यह पाचनशक्ति को बढ़ाता है।
- मूसली : 6 ग्राम काली मूसली बारीक पीसकर 125 ग्राम गाय के लस्सी के साथ सेवन करने से पेचिश रोग समाप्त होता है।
- कच्चे अनार के रस में माजूफल, लौंग और सोंठ घिसकर शहद मिलाकर पीने से दस्त के साथ आंव व खून आना बंद होता है।
- 20 से 40 मिलीलीटर अनार की छाल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से संग्रहणी रोग ठीक होता है।
- सोंठ, हरड़ की छाल, पीपल, कालानमक और कालीमिर्च 10-10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। यह चुटकी भर चूर्ण सुबह-शाम प्रतिदिन 15 दिनों तक सेवन करने से संग्रहणी रोग ठीक होता है।
- जीरा : जीरा, छोटी हरड़, लहसुन की भुनी हुई पुती 5-5 ग्राम भूनकर पीस लें और इसे गर्म पानी या लस्सी के साथ सेवन करने से संग्रहणी रोग ठीक होता है।
- सोंठ, नागरमोथा, अतीस और गिलोय का काढ़ा बनाकर सेवन करने से संग्रहणी रोग दूर होता है।
- लहसुन, धनिया, अतीस, वेगवाला, नागरमोथा, सोंठ और खरेटी एक समान लेकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से पेचिश रोग समाप्त होता है।
- सोंठ, गुरुच, नागरमोथा और अतीस बराबर मात्रा में लेकर मोटा-मोटा कूटकर चूर्ण बना लें। यह 2 चम्मच चूर्ण काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से पेचिश रोग दूर होता है।
- बड़ी हरड़, मुनक्का, सौंफ और गुलाब का फूल को पीसकर काढ़ा बनाकर पीने से आंवदस्त ठीक होता है।
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