आम जन के मस्तिष्क में यह बात बहुत गहराई तक बैठी हुई है। कि गंभीर इमरजेंसी से होम्योपैथीक दवा (Homeopathic medicines) का कोई नाता नहीं है क्योंकि गंभीर इमरजेंसी में यह नाकाम है लेकिन यह तथ्य पूर्णत:गलत है। कुछ विशिष्ट होम्योपैथिक दवाएं गंभीर इमरजेंसी को फौरन नियंत्रित करने में सक्षम है।
कुछ शारीरिक परेशानियाँ जिसमे होम्योपैथिक दवाओ का उपयोग -
हड्डी टूटना - हड्डी टूटने पर होम्योपेथी दवा अर्निका 1m देना है जो दर्द को दूर करता है। अर्निका 200 की 2-2 हर आधा घंटे में तीन बार देना है। अगर हड्डी टूट गई है तो टूटी हड्डी को पुनः जोड़ने के लिए अगले दिन एक दाना गेंहू के बराबर चुना दही में मिलाकर दिन में एक बार 15 से 20 तक देना है।
मोच आने पर -
अर्निका 200 की 2-2बूंद हर आधा घंटे में तीन बार है।सामान्य चोट आने पर -शरीर के किसी भी भाग में बिना रक्त निकले चोट लगने या मुड़ जाने या मार लगने, गिरने पर अर्निका 200 की 2-2 बूंद हर आधा घंटे में तीन बार देना है।
खून बहने पर - शरीर पर चोट लगने से खून बहने पर होम्योपेथी दवा हाईपेरिकम 200 की 2-2 बूंद हर आधे घंटे में तीन बार,यदि चोट ज्यादा है और खून ज्यादा भी रहा है। तो हाईपेरिकम 1m की 1-1 बूंद हर आधे घंटे में तीन बार देना है।
चोट लगने लेकिन खून ना बहने पर - अर्निका 200 की 2-2 बूंद हर आधे घंटे में तीन बार देना है।
टिटनेस - लोहे की जंग लगी वस्तु से चोट लगने पर या वाहन से दुर्घटना होने रपर टिटनेस का खतरा पैदा जाता है जो जानलेवा भी साबित हो सकता है। होम्योपैथी में टिटनेस के लिए दोनों विकल्प मौजूद है।
hypericum 200 की 2-2 बूंद आधे घंटे में तीन बार लेना है।
सांप के काटने पर चिकित्सा - सांप के काटने पर नाजा 30 हर दस मिनट में 2-2 बूंद तीन बार देना है। अगर ठीक हो रहा है तो इसी को चालू रखना है। अगर समय ज्यादा हो गया है या फर्क नहीं है तो नाजा 200 की 2-2 बूंद हर दस मिनट में तीन बार देना है। ठीक होने पर कोई दवा नहीं देना है। यदि नाजा 200 से भी ठीक नहीं है
तो नाजा 1m की 2 बूंद आधा कप पानी में डालकर एक चम्मच हर आधे घंटे में पिलाना है। अगर इससे भी ठीक नहीं हो तो नाजा 10m की आधा कप पानी में एक बूंद डालकर एक चम्मच एक ही बार पिलाना है। जब नियन्त्रण में आए तो गर्म पानी या मूंगदाल का उबला हुआ पानी देना है खाना अगर देना है तो थोड़ी मूंगदाल की खिचड़ी दे सकते है।
बिच्छु,मधुमक्खी के काटने पर ,सुई या कांटा लगने की चिकित्सा -बिच्छु के काटने पर sillicea 200 की एक बूंद 10-10 मिनट के अंतर में तीन बार जीभ पर रख लेनी है। 10-10 मिनट पर 1-1 बूंद और लेनी है और आप देखेंगे की वो डंक अपने आप निकल कर बाहर आ जायेगा। सिर्फ तीन डोज में आधे घंटे में आप रोगी को ठीक कर सकते है यह दवाई और भी बहुत काम आती है।
अगर आप सिलाई मशीन में काम करती है तो कभी कभी सुई चुभ जाती है और अन्दर टूट जाती है। उस समय भी आप ये दवाई ले लिजिए। ये सुई को भी बाहर निकाल देगी आप इस दवाई को और भी कई परिस्थितियों में ले सकते है। जैसे कांटा लग गया हो,कांच घुस गया हो,ततैया ने काट लिया हो,मधुमक्खी ने काट लिया हो तो ये सब जो काटने वाले अन्दर जो छोड़ देते है।
उन सब के लिए आप इसको ले सकते है बंदूक की गोली लगने पर गोली को बाहर निकालने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते है। बहुत तेज दर्द निवारक है। और जो कुछ अन्दर छूटा है उसको बाहर निकालने की दवाई है। बहुत सस्ती दवाई है 5 मिली.सिर्फ 10 रूपये की आती है। इससे कम से कम 50 से 100 लोगों का भला हो सकता है।
मकड़ी मलने पर - लीडम पाल 200 दिन में तीन बार लेना है।
पागल कुत्ता काटने पर - कुत्ता कभी भी काटे,पागल से पागल कुत्ता काटे,घबराइए मत दवा का नाम है। hydrophohinum 200 और इसको 10-10 मिनट पर जीभ में तीन ड्रॉप डालना है। कितना भी पागल कुत्ता काटे आप ये दवा दे दीजिये और भूल जाइये कि कोई इंजेक्शन देना है। इस दवा को सूरज की धुप और रेफ्रीजीरेटर से बचाना है रेबीज केवल पागल कुत्ता काटने से ही होता है। पर साधारण कुत्ता काटने से रेबीज नहीं होता है आवारा कुत्तों ने काट दिया है। तो आप अपने मन का बहम दूर करने के लिए ये दवा दे सकते है।
लेकिन उससे कुछ नहीं होता वो हमारे मन का बहम होता है जिससे हम परेशान रहते है। और कुछ डर डॉक्टरों ने बिठा रखा है की इंजेक्शन तो लेना ही पड़ेगा अपने शरीर में थोड़े,बहुत resistance सबके पास है। अगर कुत्ते के काटने से उनके लार-ग्रथि के कुछ वायरस चले भी गये है तो उनको खत्म करने के लिए हमारे रक्त में काफी कुछ है। जो उनको खत्म कर ही देते है।
लेकिन क्योंकि मन में भय बिठा दिया है शंका हो जाती है हमको यकीन ही नहीं होता है। जब तक 20000 -50000 खर्च नहीं कर देते है उस समय ये दवाई आपको लेनी है। और इसका एक-एक ड्रॉप 10-10 मिनट में जीभ पर तीन बार डाल के छोड़ दीजिये 30 मिनट में ये दवा सब काम कर देगी।
हार्ट-अटैक में होम्योपैथिक चिकित्सा -
