Vomiting

अगर उल्टी (Vomiting) की समस्या है, तो करे यह 6 आसान उपाय

उल्टी (Vomiting) एक ऐसी समस्या है जो किसी को भी आ सकती है। कभी अपच होने के कारण, तो कभी कुछ भी उल्टा-सीधा खाने के कारण भी उल्टी हो सकती है।

महिलाओं को भी गर्भावस्था में उल्टी आती है। बहुत से लोगों को बस, कार या टैक्सी में सफर करने पर उल्टियां हो जाती हैं। हमारे शरीर की बनावट ही कुछ तरह की होती है कि अगर पेट में कोई किसी प्रकार का अनावश्यक पदार्थ या जो शरीर के लिए सही नहीं है या जो शरीर के इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है है तो पेट उस चीज को बाहर निकाल देता है जिससे हमें उल्टी होती है।
इसी तरह अगर शरीर में आमाशय के अंदर कोई विषाक्त पदार्थ चला जाता है तो शरीर बलपूर्वक इसको बाहर निकाल देता है और इसी शारीरिक प्रक्रिया को उल्टी होना कहते हैं। उल्टी एक अनियंत्रित अनैच्छिक शारीरिक प्रक्रिया है, जो पेट के अन्दर मौजूद पदार्थ को मुंह के रास्ते बाहर निकाल देती है। उल्टी मस्तिष्क के उस हिस्से के द्वारा कंट्रोल की जाती है, जो अनैच्छिक, शारीरिक कार्यों को कंट्रोल में रखता है।
उल्टी एक ऐसी क्रिया है, जो मस्तिष्क के संकेत पर काम करती है। कई ऐसे कारण है जिससे हमें उल्टियाँ होती है अक्सर किसी सामान्य वायरस या अन्य किसी संक्रमण के कारण पेट में जलन होती है इससे पेट में एक ऐंठन के साथ-साथ दर्द होने लगता है। जिसके कारण उल्टी हो सकती है।
पेट में इन्फेक्शन के कारण भी उल्टी और दस्त हो सकती है। ठण्ड लगने और बुखार आने के कारण भी उल्टी हो सकती है फूड पॉइजनिंग के कारण गम्भीर रूप से उल्टियां हो सकती हैं। शराब का अधिक सेवन करने और अधिक मात्रा में धूम्रपान करने पर पेट की अंदरूनी परत में जलन होने लगती हैं। जिससे उल्टी हो सकती है। पेट में होने वाले छाले के कारण पेट की अंदरुनी परत में जलन होती है, जो पेट की रक्षा करने वाली परत को नुकसान पहुंचाने लगती है।,इससे भी उल्टी होने लगती है।,
सिर दर्द के कारण भी उल्टी होती है। दिमाग में दबाव बढने के कारण, या किसी भी बीमारी या चोट से जब मस्तिष्क में दबाव बढ़ जाता है, तो उससे उल्टी जैसी समस्या होने लगती है। इसी तरह हानिकारक प्रतिक्रियाएं जैसे किसी प्रकार की गंध या कोई आवाज, जिससे हमारा दिमाग प्रभावित होता हैं उससे उल्टी हो सकती है। अधिक तेज धूप, या गर्मी के कारण उल्टी हो सकती है। बहुत से ऐसे रोग होते है जो पेट के अंदरूनी अंगों को प्रभावित करते हैं,जिससे मतली और उल्टी आ सकती है ,
इनमें पाचन अंगों के रोग शामिल हैं, जैसे- हैपेटाइटिस, पित्ताश्य की बीमारियाँ, अग्नाश्य की बीमारियाँ, गुर्दे की बीमारियाँ (गुर्दों की पथरी, क्रोनिक किडनी डिजीज, कैंसर और अपेंडिसाइटिस आदि शामिल हैं)।जिन लोगो को डायबिटीज की समस्या है उन्हें अक्सर उल्टी और मतली की शिकायत होती रहती है क्योंकि उनके रक्त में वसा (फैट) का स्तर असामान्य तरीके से घटता और बढ़ता रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके रक्त में इन्सुलिन का बैलेंस बिगड़ जाता है।
इसके अलावा हर्निया और पाचनतंत्र का सही तरह से काम ना करने के कारण भी उल्टी हो सकती है। इसके साथ-साथ पेट का अकड़ना, आंतो के संक्रमण,ट्यूमर आदि के कारण भी उल्टी हो सकती है। अधिकतर लोगों को इत्र और अगरबत्ती, धूपबत्ती आदि की गंध के कारण उल्टी हो जाती है। ऐसा तब होता है जब किसी को सुबह-सुबह जल्दी ही यात्रा पर जाना पड़े। इस समय ऐसा देखा गया है कि बहुत से यात्रियों की नाक इत्र की गंध को सूंघना नहीं चाहती है।
ऐसे में जब अगरबत्ती की गंध नाक तक पहुंचती है, तो इससे दिमाग और पेट असहज महसूस करने लगता है,और उल्टी हो जाती है। इसी तरह जब दिमाग के अंदर के कान का भाग, आंख और नसों को विपरीत जानकारी मिलती है, तो उल्टी की संभावना बढ़ जाती है, जैसे- यदि कोई व्यक्ति मोबाईल देख रहा है,
ऐसे में जब उसकी आंखे केवल मोबाईल देखने में व्यस्त होती है, और इस समय कान कुछ और सुन रहा है और दिमाग को लगता है कि हम कही चल रहे है। तीनों की एक सी समझ ना होने के कारण शरीर को लगता है विष की उत्पत्ति हो गई है। शरीर विष को निकालने के लिए उल्टी कर देता है। कान के अंदर का भाग का संतुलन बिगड़ने के कारण उल्टी होती है।

उल्टी होने के लक्षण-Vomiting

पेट में दर्द रहना,पेट में परेशानी होना, चक्कर आना,चिंता करना,बुखार आना ,नाड़ी (नस) का तेज होना,बहुत ज्यादा पसीना आना,छाती में दर्द आदि लक्षण हो सकते है। आयुर्वेद के अनुसार उल्टियाँ 5 प्रकार की होती है।
1. वातज - पेट में गैस बनने से होने वाली उल्टी वातज की श्रेणी में आती है। इस तरह की उल्टी पानी जैसी, झाग वाली और थोड़ी कडवी होती है। लेकिन अनेक बार इसके साथ सिर का दर्द होना, सीने में जलन होने लगती है,या खांसी हो जाना आदि समस्याएं भी होती हैं।
2. पित्तज- पित्त की गर्मी बढने से होने वाली उल्टी पित्तज की श्रेणी में आती है। इसमें व्यक्ति को हरे और पीले रंग की उल्टी आती है और मुंह का स्वाद बहुत भूरा कर देती है। इसमें भोजन नली व गले में जलन होती है। चक्कर आना, बेहोशी भी इसके लक्षणों में शामिल है।
3. कफज - कफ के वजह से होने वाली उल्टी को कफज उल्टी कहते है। इसमें उल्टी सफेद रंग की होती है और इससे मुंह का स्वाद मीठा होने लगता है। मुंह में बार -बार पानी आता है, बार-बार नींद आना, जैसे लक्षण इस प्रकार की उल्टी में होते है।
4. त्रिदोषज - त्रिदोषज उल्टी वह होती है जो वात, पित और कफ, तीनों दोषों के कारणों के चलते होती है। इसमें खून की उल्टी भी हो जाती है यह गाढ़ी और नील रंग की भी हो सकती है। इससे मुंह का स्वाद खट्टा हो सकता है। इसके अलावा पेट में तेज दर्द होना, भूख न लगना, जलन होना,सांस लेने में दिक्कत होना,और बेहोशी भी इसके लक्षणों में शामिल है।
5. आगंतुज- इस तरह की उल्टी पेट में कीड़े,बदबू, गर्भावस्था, बासी भोजन से,या किसी असहज स्थान पर जाने से हो सकती है। इस तरह की उल्टी को आगंतुज उल्टी कहते हैं।

घरेलू उपचार -

तुलसी का रस - तुलसी का रस बनाकर पीने से उल्टी में तुरंत आराम मिलता है।
काली मिर्च -अगर उल्टी या मितली आ रही है तो चार दाने काली मिर्च लेकर चूसें। उल्टी नहीं आएगी है। करेले के पत्तों के रस में 5-6 काली मिर्च कूटकर मिला लें। इसे पीने से भी उल्टी बंद हो जाएगी।
लौंग- उल्टी रोकने में लौंग बहुत ही सहायक है लौंग को चूस सकते हैं। लौंग और दालचीनी का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं।
अदरक और निम्बू- अदरक और नींबू के रस को समान मात्रा में लेकर मिलाकर पी लें। यह उल्टी का घरेलू इलाज है।
हरा धनिया- हरे धनिया का रस निकालें। इसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक, और एक नींबू डालकर पीने से उल्टी में तुरंत आराम होता है। सौंफ - सौंफ की 1/4 चम्मच को गर्म पानी में डालकर कुछ देर उबाल लें। इसके बाद इस पानी को छानकर गुनगुना हो जाने पर इसका सेवन करें।

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